स्वास्थ्य मुद्दों पर कार्यरत डॉ. अनंत फड़के राष्ट्रीय जन स्वास्थ्य सम्मान से सम्‍मानित

भोपाल, 6 मार्च। वैज्ञानिक एवं चिकित्सकों की जिम्मेदारी जनता के प्रति होना चाहिए न कि सत्ता के साथ। लोक स्वास्थ्य के क्षेत्र में वित्तीय प्रावधानों को बढ़ाने की आवश्यकता है। जबकि आगामी बजट 2021-22 में जीडीपी का मात्र 10 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी की गयी है। ये बातें लोक स्वास्थ्य संसाधन नेटवर्क की सलाहकार एवं शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. वंदना प्रसाद ने कोविड-19 और भारत में सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यवस्था विषय पर बोलते हुए कही।

डॉ. वंदना प्रसाद आज गाँधी भवन के सभागार में जन स्वास्थ्य अभियान, मप्र द्वारा डॉ. अजय खरे मेमोरियल सातवीं व्याख्यान माला में मुख्य वक्ता के रूप में बोल रही थी। ज्ञातव्‍य है कि डॉ. वंदना प्रसाद खाद्य अभियान के अधिकार एवं राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग, भारत सरकार के सदस्य (बाल स्वास्थ्य), के रूप में भी जुडी रही है। इस मौके पर पिछले 5 दशक से विभिन्न स्वास्थ्य और विज्ञान आंदोलनों के साथ सक्रिय तथा राज्य स्वास्थ्य संसाधन केंद्र, महाराष्ट्र सरकार की सलाहकार समिति के सदस्य डॉ. अनंत फड़के ने भी संबेाधित किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता ग्लोबल हेल्थ, हेल्थ पॉलिसी और बायोएथिक्स के क्षेत्र में कार्यरत वरिष्ठ शोधकर्ता डॉ. अनंत भान ने की। आप वर्तमान में सेंटर फॉर एथिक्स, येनेपोया विश्वविद्यालय, मंगलुरु में सहायक चिकित्सक के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं ।

 कोविड-19 महामारी की चुनौतियों के बारे में बोलते हुए डॉ वंदना प्रसाद ने कहा कि वनों का विनाश एवं इसके परिणामस्वरूप जलवायु के परिवर्त की वजह से विभिन्न तरह की महामारियां जन्म ले रही हैं।

डॉ. अनंत फड़के ने कोविड-19 एवं निजी स्वास्थ्य क्षेत्र पर नियंत्रण की जरूरत के विषय पर बोलते हुए कहा कि प्राथमिक स्वास्थ्य तंत्र एवं चिकित्सा शिक्षा पर बढ़ते दाम एवं निजीकरण पर चिंता व्यक्त किया। इस क्षेत्र में स्वनियंत्रण होना चाहिए। चिकित्सक एवं मरीज के संबंधों को व्यापारिक के स्थान पर सामाजिक होना चाहिए।

कार्यक्रम के दौरान डॉ. अनंत फड़के को राष्ट्रीय जन स्वास्थ्य सम्मान से सम्मानित किया गया। सम्‍मान स्‍वरूप उन्‍हें प्रशस्ति पत्र, शाल, स्‍मृति चिन्‍ह भेंट किया गया। इस मौके पर श्रीमती फडके का भी शाल भेंट कर अभिनंदन किया। उल्‍लेखनीय है कि डॉ. अनंत फड़के भारत में स्वास्थ्य और विज्ञान आंदोलन के क्षेत्र में कार्यरत कई संगठनों जैसे मेडिको-फ्रेंड सर्कल, ऑल इंडिया ड्रग एक्शन नेटवर्क (AIDAN), लोक विद्या संगठन, लोकास्ट, जन स्वास्थ्य अभियान आदि से जुड़े रहे । प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल, स्वास्थ्य अधिकारों और स्वास्थ्य मुद्दों पर कार्यरत संस्था साथी सेहत के संस्थापक समन्वयक रहे और अब एक वरिष्ठ सलाहकार के रूप में कार्य कर रहे हैं। 1978 से भारत में स्वास्थ्य और विज्ञान आंदोलन के लिए निरन्तर 20 साल तक पूर्णकालिक रूप में काम किया । उनके 300 से अधिक शैक्षिक लेख पत्र अंग्रेजी और मराठी प्रमुख समाचार पत्रों मे प्रकाशित हो चुके हैं। स्वास्थ्य क्षेत्र में उनके महत्वपूर्ण व्यापक योगदान के लिए वर्ष 2000 के लिए सुनंदा अवचात स्मारक जीवन संघर्ष पुरस्कार, 2006 में महाराष्ट्र फाउंडेशन पुरस्कार और एम. वी. चिपलोनकर पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है।

इस अवसर पर वरिष्‍ठ स्‍वास्‍थ्‍य अधिकारी डॉ. माधव हासानी, महासचिव, मप्र मेडिकल ऑफि‍सर एसोसिएशन एवं जन स्‍वास्‍थ्‍य अभियान के अमूल्‍य निधि ने स्वास्थ्य मंत्री प्रभुराम चौधरी से उनके आवास पर भेंट की। उन्‍होंने बताया कि डॉ. अजय खरे असाधारण ईमानदार, योग्य और समाज के लिए समर्पित व्यक्ति थे। बड़वानी से भोपाल लौटते वक्त सीहोर जिले में डॉ. खरे की कार सड़क पर रखे पत्थरों से टकराने के बाद एक वाहन में जा घुसी थी। इस हादसे में डॉ. खरे की मौत हो गई थी। कर्मठ चिकित्‍सक रहे डॉ. खरे की स्‍मृति में हॉल एवं शासकीय चिकित्सकों के लिए गेस्ट हाउस बनाने के लिए स्वास्थ्य मंत्री प्रभुराम चौधरी स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री ने इस हेतु सकारात्मक चर्चा कर इस पहल के लिए आश्वस्‍त किया । 

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