गांधीजनों को अस्‍वीकार है मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में बनाया साबरमती आश्रम स्मारक ट्रस्ट

अहमदाबाद 24 अक्‍टूबर 21. देश के वरिष्‍ठ गांधीजनों के नेतृत्‍व में साबरमती आश्रम के स्वरूप में बदलाव की कोशिश के विरोध में निकाली गई 8 दिवसीय ‘सेवाग्राम साबरमती संदेश यात्रा’ का आज अहमदाबाद में समापन हुआ। यहां गांधीजनों ने एक संयुक्‍त बयान जारी कर कहा कि अभी इस यात्रा का समापन हुआ है, लेकिन गांधी का संदेश समाप्त नहीं हुआ है। उस संदेश को जन-जन तक पहुंचाने और उसे धरती पर उतारने का हमारा अभिक्रम जारी रहेगा। साबरमती आश्रम को सवारने चमकाने की अर्थहीन बातों को छोड़कर सरकार को लोक और लोकतंत्र को संवाद में चमकाने का अत्यंत जरूरी काम करना चाहिए। इसका एकमात्र रास्ता है कि संविधान के शब्दों व उसकी आत्मा का पूरा पालन किया जाए। संविधान-समता-लोकतंत्र ही हमारी आखिरी आशा है।

अहमदाबाद की गुजरात विद्यापीठ में सभी समान धर्मी नागरिकों की सार्वजनिक सभा में यह संकल्प जाहिर किया गया। सभा ने सर्वसम्मति से मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में बनाए गए साबरमती आश्रम स्मारक ट्रस्ट को अस्वीकार किया।

इस यात्रा में 12 राज्यों के गांधीजनों ने हिस्‍सा लिया उनमें प्रमुख रूप से कुमार प्रशांत (अध्यक्ष, गांधी शांति प्रतिष्ठान, नई दिल्ली), गुजरात के जानेमाने साहित्यकार प्रकाश भाई शाह, और सर्वोदय नेता उत्तम भाई परमार, रामचंद्र राही (अध्यक्ष, गांधी स्मारक निधि, नई दिल्ली), राजेन्द्र सिंह( अध्यक्ष, राष्ट्रीय जल बिरादरी), अन्नामलाई (निर्देशक, राष्ट्रीय गांधी संग्रहालय, नई दिल्ली), आशा बोथरा (प्रवक्ता, सर्व सेवा संघ), संजय सिंह (सचिव, गांधी स्मारक निधि, नई दिल्ली) सवाई सिंह (अध्यक्ष, राजस्थान समग्र सेवा संघ), डॉ बिस्वजीत (सर्वोदयी युवा नेता), अशोक भारत (संयोजक, आंदोलन समिति सर्व सेवा संघ), शेख हुसैन (ट्रस्टी, सर्व सेवा संघ), अरविंद कुशवाहा (मंत्री, सर्व सेवा संघ), टी. एन. प्रभु ( अध्यक्ष, सेवा ग्राम आश्रम), सुगन बरंठ, (अध्यक्ष, नई तालीम समिति) आदि उल्‍लेखनीय है।

सेवाग्राम- साबरमती संदेश यात्रा की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि 17 अक्टूबर 2021 को, सेवाग्राम (वर्धा महाराष्ट्र) से बापू कुटी के समक्ष संकल्पबद्ध हो कर हमने यह संदेश यात्रा शुरू की थी, और आज 24 अक्टूबर 2021 को, साबरमती आश्रम (अहमदाबाद गुजरात) में बापू कुटी के सामने सर झुकाते हुए हम इस यात्रा का समापन कर रहे है।

बयान में कहा गया है कि 8 दिनों की इस यात्रा में हमने महाराष्ट्र व गुजरात के कई पड़ाव पर अनगिनत लोगों से संवाद किया, अपनी बात समझाने व उनकी बात समझने की कोशिश की। जनमत को समझने के इस अभियान ने हमें बताया कि भारत के जनमानस में महात्मा गांधी के प्रति अपार श्रद्धा ही नहीं, बल्कि यह गहरा अहसास भी है कि देश की आज की दुर्दशा का सबसे बड़ा कारण है कि हमने गांधीजी का रास्ता छोड़ दिया। महात्मा गांधी के प्रति श्रद्धा और उनके विचारों में यही आस्था हमारी ताकत है।

गांधी जनों ने इस बयान में आगे कहा कि हम इस देश के नेताओं से कहना चाहते हैं कि वे राजनीति के क्षेत्र में हों कि सामाजिक क्षेत्र में, वे सेवा के कार्य कर रहे हों कि विकास के, आज जनमत में उनकी कोई साख बची नही है। जनता आपका बोझ ढोते-ढोते थक भी गई है और निराश भी हो चुकी है। आजादी के रजत जयंती वर्ष में जनता की यह मनोभूमिका खतरे की घंटी है। यह रास्ता बदलने की घड़ी है अन्यथा लोकतंत्र का रास्ता बंद होने का खतरा है, लोभी, स्वार्थी व दिशाहीन राजनीति के इस जंगल में यदि लोकतंत्र खो गया तो हमारे हाथ हिंसा, विनाश और विघटन के अलावा कुछ नहीं लगेगा।

गांधीजनों ने एक स्‍वर में कहा कि साबरमती आश्रम भी और बापू के दूसरे सारे स्मृति स्थल उनकी साधना व हमारी प्रेरणा के स्थल हैं। वे अपनी सादगी से ही ऐसे संपन्न हैं कि उन्हें किसी बाहरी तड़क-भड़क की जरूरत नहीं है। व्यवस्था आदि की छोटी बातों की देख-भाल के लिए साबरमती आश्रम समेत सभी स्मृति स्थलों की अपनी व्यवस्थाएं बनी हुई है उन्हें स्वतंत्रतापूर्वक अपना काम करने देना चाहिए और जहां भी चाहे वहां उनकी मदद करनी चाहिए। जहां तक 1200 करोड़ रुपयों की विकास परियोजना का संबंध है।

12 राज्‍यों के यात्रियों और गणमान्‍य नगारिकों ने कहा कि इस यात्रा में मिले अनुभवों के आधार पर हम दृढ़ता से, विनयपूर्वक कहना चाहते हैं कि इसे प्रस्‍ताव को सरकार तुरंत वापस ले और यह बड़ी रकम जनहित की योजना पर खर्च की जाये। सरकार इसे अहंकार का मुद्दा नहीं बनाएगी और इस परियोजना के स्थगन की घोषणा करेगी।

बयान में गांधीजन तथा गांधी प्रेमियों से भी आग्रहपूर्वक निवेदन किया गया है। गांधीजनों से आव्‍हान किया हैं कि उनकी चुप्पी व निष्क्रियता ने देश-समाज का बहुत नुकसान किया है। उन्हें गांधीजी दिशा में सक्रिय होने तथा सत्य की आवाज साहसपूर्वक उठाने की जरूरत है। आज चुप्पी व निष्क्रियता अपराध से कम नहीं है।

यात्रा में अजमत उल्ला खान (संयोजक, राष्ट्रीय युवा संगठन), चिन्मय मिश्र (अध्यक्ष, म.प्र. सर्वोदय मंडल), अहमदाबाद के स्थानीय कार्यकर्ता साथी मनीषी जानी, देव देसाई, मीनाक्षी जोशी, मन्नन त्रिवेदी, तन्मय तिमिर, रजनीकांत कड, सर्वोदय नेता राम धीरज, मनोज ठाकरे, भूपेश भूषण तथा युवा कार्यकर्ता मानस पटनायक,शिवकांत त्रिपाठी, सोभा बहन, सुरेश सर्वोदयी, सागर दास, दीपाली, मधु, शारुबि, यशवंत भाई, जगदीश कुमार, के एल साडिल्य, विनोद पगार आदि भी शामिल हुए।

सेवाग्राम साबरमती संदेश यात्रा’ संयोजक संजय सिंह-बिस्वजीत रॉय ने सभी गांधीजनों और नगारिकों के प्रति आभार प्रकट करते हुए कहा कि आने वाले वक्‍त में हमें पुरजोर तरीके से साबरमती आश्रम में किये जाने वाले बदलावों के विरोध में मुखर कर अपनी आवाज को बुलंद करेंगे।   

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