बड़वानी लौटकर आदिवासियों ने की शासन-प्रशासन से कार्यवाही की मांग
बड़वानी । 16 वर्षीय युवती द्वारा बंधुआ मजदूरी के दौरान उसके साथ ठेकेदारों द्वारा सामूहिक बलात्कार की शिकायत से आदिवासी महिलाओं के साथ मजदूरी के दौरान होने वाली प्रताड़ना की रोंगटे खड़े कर देने वाली सच्चाई उजागर हुई है। नवम्बर में एक दिन सुबह 4 बजे पानी भरने गयी पीड़िता को ठेकेदार गणेश भोंसले, जीतू भोंसले और एक अन्य व्यक्ति द्वारा अपहरण कर कई बार सामूहिक बलात्कार किया गया । वह 4 महीने की गर्भवती थी, और बलात्कार के कारण युवती का गर्भपात हो गया और उसके कपड़े खून से भर चुके थे ।
उक्त घटना की शिकायत महाराष्ट्र के सतारा जिले में बंधुआ मजदूरी में फंसे गाँव सिवनी (बड़वानी) के आदिवासी सुरक्षित वापस घर लौटने पर 17 फरवरी को मजदूरों ने जागृत आदिवासी दलित संगठन के कार्यकर्ताओं को अपनी स्थिति के बारे में अवगत कराया था। जिसके बाद संगठन और पुलिस के सहयोग से सभी मजदूर कुछ दिन पहले सुरक्षित लौट पाए और फिर पीड़ित युवती इस भयानक अनुभव से सहमी एवं डरी होने के बावजूद अपने परिजन और अन्य मजदूर के साथ पाटी थाने में शिकायत दर्ज करने पहुंची और ठेकेदारों पर कार्यवाही और उनकी गिरफ्तारी की मांग उठाई।
उन्होंने बताया कि ठेकेदारों द्वारा पीड़िता और उसके परिवार को जान से मार देने की धमकी दी गई। 6 दिन तक पीड़िता का खून बहता रहा, जिसके बावजूद उसे लगातार काम करने के लिए मजबूर किया गया । ठेकेदार की दबंगाई देखते हुए अनजान जगह में भयभीत मजदूरों द्वारा थाने में रिपोर्ट नहीं की जा सकी।
जागृत आदिवासी दलित संगठन के वालसिंग सस्ते व माधुरी बहन ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि जनवरी महीने में एक बार फिर संक्रांति के छुट्टी के दिन पीड़िता का अपहरण कर सामूहिक बलात्कार किया गया। कई घंटे ठेकेदार से विनती करने के बाद अंततः आदिवासी मजदूर पैदल थाने के लिए निकले। पर मजदूरों के पहुंचने के पहले ही ठेकेदार पीड़िता को डरा धमका कर उनके पक्ष में झूठे बयान देने के लिए मजबूर कर चुके थे। आदिवासियों द्वारा शिकायत करने पर पुलिस ने उन्हीं को थाने में बंद करने की धमकी दे कर लौटा दिया।
ठेकेदार के कर्ज़ में दबे आदिवासी, अपने गाँव से दूर नई जगह पर ठेकेदार पर ही पूरी तरह मोहताज होने की स्थिति में कई बार बलात्कार जैसे अत्याचार होने पर घर लौटकर ही शिकायत कर पाते हैं। नजदीकी जिले खरगोन से बेलगावी में गन्ना कटाई का काम करने गए आदिवासियों के समूह में 3 महिलाओं और 3 नाबालिग लड़कियों का ठेकेदारों द्वारा कई बार बलात्कार किया गया था, जिसके खिलाफ उन्होंने माह दिसंबर में बेलगावी से बच निकलकर झिरनिया थाने में रिपोर्ट लिखाने पहुंचे थे। पर पुलिस द्वारा लगभग एक महीने बाद ही एफ़आईआर दर्ज की गई, जिस पर अब तक कोई कार्यवाही नहीं हुई है। महिलाओं पर बंधुआ मजदूरी, बेगारी और यौन उत्पीड़न की दोहरी मार पड़ रही है, जिसके प्रति शासन-प्रशासन की उदासीनता आदिवासी समाज के खिलाफ उत्पीड़न ही है।
संगठन की सुश्री माधुरी बहन ने कहा कि बड़वानी के लगभग 250-300 मजदूर महाराष्ट्र एवं कर्नाटक में बंधुआ मजदूरी से छूट कर हाल ही में लौटे है, और बंधुआ मजदूरी और यौन शोषण, बलात्कार करने वाले ठेकेदारों के खिलाफ कार्यवाही की मांग उठा रहे है । परंतु, पुलिस-प्रशासन द्वारा मजदूरों की शिकायत पर कोई भी दंडात्मक कार्यवाही अभी तक नहीं की गई है। उन्होंने कहा कि आदिवासियों के ऐसे शोषण के खिलाफ धारा 370, 374 भादस के साथ बंधित श्रम पद्धति (उत्सादन) अधिनियम, अत्याचार निवारण अधिनियम और अंतरराजीय प्रवासी कामगार अधिनियम के तहत गिरफ्तारी होनी चाहिए । यदि यह कार्यवाही नहीं किया गया तो कुछ माह बाद फिर से ठेकेदार कर्ज़ दे कर बंधुआ मजदूरी के रूप मे आदिवासियों को धकेलेंगे और यही शोषण का चक्रव्यूह चलता रहेगा।
प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया कि गन्ना कटाई के काम के लिए मध्य प्रदेश के निमाड़ से हजारों की संख्या में नौजवान आदिवासी दंपति अपने बच्चों के साथ महाराष्ट्र, गुजरात और कर्नाटक तक पलायन करने के लिए मजबूर है। बड़े-बड़े शक्कर फ़ैक्टरियों के लिए काम करने वाले ठेकेदारों द्वारा इन मजदूरों को 30-40 हजार रुपए का कर्ज देकर लाया जाता है। मजदूरों को इस आश्वासन के साथ लाया जाता है कि मात्र 3 महीने का काम होगा, और अच्छी मजदूरी मिलेगी, जिसमें कर्ज भी खत्म हो जाएगा। कमरतोड़ काम के बावजूद इन मजदूरों को न ही कोई अतिरिक्त मजदूरी दी जाती है, न ही उनके काम का कोई हिसाब।
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