विचारक, विद्वान और श्रमिक नेता हरीश अदलकर का 3 सितंबर 2020 को कोरोना में निधन हो गया। वह 83 वर्ष के थे। वे पूर्व केंद्रीय मंत्री स्व. जॉर्ज फर्नांडिस एक सच्चे ‘साथी’ थे। वह वरिष्ठ समाजवादी नेता राम मनोहर लोहिया के विचारों से काफी प्रभावित थे। उन्होंने लोहिया अध्ययन केंद्र की स्थापना की थी।
स्मृति शेष : श्रध्दांजलि
83 वर्षीय समाजवादी चिंतक हरीश अदलकर नहीं रहे। हरीश अदलकर कट्टर लोहियावादी, लोहिया अध्ययन केंद्र के संस्थापक और सामान्य जन के संपादक के तौर पर जाने जाते थे। रेलवे में नौकरी करते हुए वे ट्रेड यूनियन में सक्रिय रहे । 1974 के आंदोलन की अगुआई की, जेल भी काटी।
मैं आज तक जितनी बार भी नागपुर गया लोहिया अध्ययन केंद्र जाकर हरीश जी से जरूर मिला। जिस तरह से नागपुर देश का केंद्र है, उसी तरीके से देशभर के समाजवादी साथियों के लिए वे एक केंद्र की तरह थे, जिनसे सभी प्रेरणा लेते थे। बेबाक बोलना, फक्कड़पन लिया हुआ जीवन उनकी पहचान थी। मैंने उन्हें सदा खादी की पैंट शर्ट में ही देखा। हरीश अदलकर जी के जाने से नागपुर में समाजवादी आंदोलन को अपूरणीय क्षति हुई है जिसकी भरपाई होना बहुत कठिन है।
45 वर्षों में उन्होंने लोहिया अध्ययन केंद्र को नागपुर का बौद्धिक चर्चा का केंद्र बना दिया था, जहां डॉ. लोहिया और गांधी जी के विचारों की किताबों की बिक्री की जाती है। ‘सामान्य जन’ त्रैमासिक पत्रिका के 129 अंकों के माध्यम से उन्होंने अंतिम समय तक डॉ. लोहिया के विचारों का प्रचार प्रसार जारी रखा।
कोई भी साधारण कार्यकर्ता समाजवादी विचार से प्रतिबद्ध होकर दृढ़ संकल्प के साथ वैचारिक आंदोलन में महत्वपूर्ण योगदान कर सकता है इसका अनुकरणीय उदाहरण हरीश अदलकर जी ने पेश किया।
हरीश जी लोहिया अध्ययन केंद्र के तौर पर और ‘सामान्य जन’ के रूप में बहुत समृद्ध विरासत हमारे बीच छोड़कर गए हैं । मुझे विश्वास है कि नागपुर में जिन साथियों ने हरीश जी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर लोहिया केंद्र का निर्माण और संचालन किया तथा कई दशकों तक ‘सामान्यजन’ को चलाया वे साथी भविष्य में भी लोहिया केंद्र के संचालन तथा ‘सामान्यजन’ के प्रकाशन को जारी रखेंगे। किसान संघर्ष समिति, जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय, राष्ट्र सेवा दल, समाजवादी समागम, समाजवादी पार्टी ,बहुजन संवाद की ओर से भावभीनी श्रद्धांजलि।