नईदिल्‍ली, 8 अक्‍टूबर । सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक द्वारा लद्दाख को छठी अनुसूची के तहत राज्य का दर्जा देने और पर्यावरण संरक्षण के लिए चलाए जा रहे सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक द्वारा लद्दाख को छठी अनुसूची के तहत राज्य का दर्जा देने और पर्यावरण संरक्षण के लिए चलाया जा रहा सत्‍याग्रह सोमवार को दूसरे दिन भी दिल्ली के लद्दाख भवन में जारी रहा। सत्याग्रह को गांधीवादी संगठनों का समर्थन मिला है। गांधी संगठनों के प्रमुख नेतृत्‍वकर्ताओं –  केंद्रीय गांधी स्मारक निधि के अध्यक्ष रामचंद्र राही, गांधी शांति प्रतिष्ठान के अध्यक्ष कुमार प्रशांत, और राष्ट्रीय गांधी संग्रहालय के निदेशक ए. अन्नामलाई, गांधी स्‍मारक निधि के सचिव संजय सिंह ने वांगचुक से सत्‍याग्रह स्‍थल पर मुलाकात की। उन्होंने लद्दाख के पर्यावरण को बचाने के लिए इस सत्याग्रह के लिए अपना समर्थन जाहिर किया।

गांधी संगठनों के वरिष्‍ठ पदाधिकारियों ने सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक के इस सत्याग्रह के उद्देश्यों और महत्त्व पर विस्तृत चर्चा की, जिसमें लद्दाख के नाजुक पारिस्थितिक संतुलन को बचाने और क्षेत्र में सतत विकास को बढ़ावा देने की तत्काल आवश्यकता पर विशेष ध्यान केंद्रित किया गया। गांधी संगठनों के नेतृत्‍वकर्ताओं ने इस आंदोलन को गांधीवादी सिद्धांतों —अहिंसा, पर्यावरण संरक्षण और सामुदायिक कार्यों से मेल खाने को मान्यता दी है।

लद्दाख बचाओ, हिमालय बचाओ, पर्यावरण बचाओ : गांधी विचारकों के समर्थन की अपील

ख्‍यातनाम गांधी संगठनों के नेतृत्‍वकर्त्‍ताओं ने महात्मा गांधी की अहिंसा, पर्यावरण संरक्षण और मानवता की निःस्वार्थ सेवा की सच्ची भावना से लद्दाख के संरक्षण के लिए कार्य कर रहे सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक के सत्‍याग्रह के समर्थन के लिए आमजनों से अपील की है।

उन्‍होंने कहा कि लद्दाख, हिमालय और हमारे राष्ट्र का नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र जलवायु परिवर्तन, अव्यवस्थित विकास और पर्यावरणीय क्षरण से अभूतपूर्व खतरों का सामना कर रहा है। गांधी विचार से जुडे होने के नाते हम शांतिपूर्ण लेकिन प्रभावी तरीकों में विश्वास करते हैं ताकि इन महत्वपूर्ण मुद्दों पर ध्यान आकर्षित किया जा सके।

गांधीवादी नेताओं ने वांगचुक के साथ एकजुटता दिखाने के लिए देशवासियों से इस सत्याग्रह में भाग लेने और उपवास करने की अपील की है। उनका कहना है कि उपवास द्वारा हम गांधीजी के आदर्शों का पालन करते हुए लद्दाख और हिमालय के पर्यावरण की सुरक्षा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जाहिर कर सकते हैं।

गांधीवादी संस्थाओं ने देश के लोगों से अपील की है कि वे अपनी प्राकृतिक संपदाओं की रक्षा में अपनी भूमिका निभाएं और आने वाली पीढ़ियों के लिए उन्हें सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी लें।