जागृत आदिवासी दलित संगठन ने भेजे मुख्यमंत्री को मजदूरों हित में सुझाव
बड़वानी जिले में सेंधवा के बीजासन घाट में रोज महाराष्ट्र सरकार द्वारा निरंतर फंसे मजदूरों को भेजा जा रहा है लेकिन लॉकडाउन में फंसे इन मजदूरों को मध्य प्रदेश शासन-प्रशासन की उदासीनता के कारण भारी अव्यवस्था का सामना करना पड़ रहा है | हजारों मजदूरों के यहां पहुंचने पर प्रशासन योजनाबद्ध तरीके से काम नहीं कर पाया और अव्यवस्थाओं का आलम यहां पसरा रहा। महाराष्ट्र से आ रहे मजदूरों के हाल जानने के लिए जागृत आदिवासी दलित संगठन की माधुरी बहन भी इस इलाके में पहुंची थी। उन्होंने यहां की व्यवस्थाओं को देखकर नाराजगी जाहिर की। वहीं सैकड़ों किमी दूर से पैदल या वाहनों से आ रहे मजदूरों से चर्चा कर उनकी समस्याओं को जाना समझा।
मध्य प्रदेश में अव्यवस्था के कारण यहाँ से भेजे जाने के बाद मजदूरों को अपने घरों तक पहुँचने में 15 से 24 घंटे लग रहे हैं । इस स्थिति को समझ कर और प्रशासनिक अधिकारियों और मजदूरों से चर्चा करने के बाद जागृत आदिवासी दलित संगठन की प्रमुख सुश्री माधुरी बहन ने राज्य शासन और ज़िला प्रशासन को सुझाव पत्र भेजा है।
उन्होंने भेजे पत्र में कहा है कि मध्य प्रदेश सरकार व्दारा मजदूरों के लिए सही तरीके से इंतजाम न किेये जाने से दिक्कतों का सामना करना पड रहा है। उन्होंने कहा कि सभी मजदूरों को महाराष्ट्र से व्यवस्थित और योजनाबद्ध तरीके से लाया गया पर यहाँ हमें न ठीक से भोजन-पानी मिल रहा है और न ही उन्हें आगे पहुंचाने की कोई व्यवस्था की गई है। मजदूर खुले में रात और दिन की गर्मी में 12-20 घंटे रहने को मजबूर हैं । केवल 100 बसों की व्यवस्था की गई है, जबकि 200 बसों का इंतजाम किया जाना जरूरी प्रतीत होता है। वहीं प्रशासन गुपचुप तरीके से कई मजदूर समूहों को ट्रकों में चढा रहे हैं। भोजन की व्यवस्था ज़्यादातर प्रशासन के बजाए नागरिक समूहों ने की है | दोनों राज्य सरकारों में समन्वय की कमी के कारण स्थानीय प्रशासन के पास महाराष्ट्र द्वारा भेजे गए मजदूरों की जानकारी ही नहीं है, जिससे उन्हें पता चलें कि कहाँ के कितने मजदूर आ रहे हैं ताकि उनकी पर्याप्त व्यवस्था की जा सकें। ऐसी सूची उपलब्ध नहीं होना हास्यास्पद है और समन्वय के प्रति उदासीनता उजागर करता है ।