भोपाल में दो दिवसीय गांधीजन सम्मेलन का हुआ समापन, प्रदेश के 15 जिलों के लोगों ने लिया हिस्सा

भोपाल. 2 जुलाई । भोपाल के गांधी भवन न्‍यास में दो दिवसीय गांधीजन सम्मेलन का आयोजन 1 व 2 जुलाई को किया गया। इस आयोजन में मध्यप्रदेश के गांधीजनों ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम की शुरुआत सर्वधर्म प्रार्थना के साथ हुई। इसके बाद बापू के प्रिय भजन वैष्णव जन तो तेने कहिए ….  की प्रस्‍तुति की गई। सम्‍मेजन के उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि सर्व सेवा संघ, वर्धा के प्रतिनिधि शेख हुसैन, केंद्रीय गांधी स्मारक निधि के सचिव संजय सिंह, मप्र सर्वोदय मंडल के अध्यक्ष चिन्मय मिश्र और गांधीवादी चिंतक राकेश पालीवाल थे।

गांधी भवन न्यास के सचिव दयाराम नामदेव ने स्वागत भाषण दिया। उन्होंने बुद्ध, रविंद्रनाथ टैगोर, महावीर और स्वामी विवेकादंन के सूत्र वाक्यों को दोहराते हुए देश की वर्तमान परिस्थितियों पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि समाज में एकता और भाईचारे को बनाए रखने के लिए कार्य करना जरूरी है। इसके बाद चिन्मय मिश्र ने हिंसक दौर में गांधी की उपयोगिता पर बात की। पर्यावरण, आर्थिक नीति और समाजिक पतन पर चिंता जाहिर की। उन्होंने नौआखली के दंगों पर बात करते हुए गांधी के सफल अहिंसक प्रयासों को बताया। राकेश पालीवाल ने अपने संबोधन में गांधी के विकास पर कार्य करने की बात कही। संजय सिंह  ने केंद्र सरकार की नीतियों पर बात करते हुई साबरमती आश्रम पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि सरकार गांधी की निशानी साबरमती आश्रम को नष्ट करना चाहती है। शेख हुसैन ने गांधीवादी संस्थाओं की मजबूती  पर बात करते हुए संगठनात्मक ताकत को बढ़ाने की बात कही। इस सत्र का संचालन संतोष कुमार द्विवेदी ने किया।

इसके बाद खुला सत्र रखा गया, जिसमें प्रदेश भर के गांधीवादियों ने देश-प्रदेश के मुद्दों पर चर्चा की। पूर्व आईएएस राजेश बहुगुणा ने गांधी की अहिंसक शक्ति को बताते हुई प्रशासनिक कार्य में कैसे मददगार है, इस पर बात की। इसके बाद निर्दलीय समाचार पत्र के संपादक कैलाश आदमी ने संसद के स्वरूप के बदलने की बात कही। महेन्द्र हर्टेट ने मंडला  के एक उस दलित परिवार के बारे में बताया, जिनके यहां गांधीजी ने रात्रि विश्राम किया था। उन्होंने उस परिवार द्वारा हर साल मनाई जाने वाली अनौखी गांधी जयंती का विवरण दिया। कवि सुधीर सक्सेना ने कहा कि गांधी पूजने की नहीं आचरण में उतारने की चीज हैं। इसके बाद डॉ. नरेंद्र चौधरी ने प्रोफेसर बोहरा और गांधी के बीच हुए संवाद की जिक्र करते हुई गांधी की जीव विज्ञान के प्रति क्या आशाएं थी, इसको बताया।

प्रथम दिन के दूसरे सत्र की शुरुआत इंदौर के ताराचंद्र डोदडिया ग्रुप के द्वारा कबीर गायन से हुआ। इसके बाद प्रदेश की गांधीवादी संस्थाओं में आपसी ताल-मेल कैसे बढ़े इस पर चर्चा हुई। इस सत्र में प्रदेश की गांधीवादी संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने अपनी बात रखी। सर्वोदय प्रेस सर्विस के राकेश दीवान, बीना सर्वोदय भवन के जशरथ राजपूत, राष्ट्रीय युवा संगठन के भूपेष भूषण और गांधी स्मारक निधि से दमयंती पाणी ने हिस्सा लिया। इस चर्चा का विषय प्रवेश संतोष कुमार द्विवेदी ने किया। चर्चा में निकलकर आया कि प्रदेश की संस्थाओं को समय-समय पर रचनात्मक कार्यक्रमों को करते रहना चाहिए। इन कार्यक्रमों में अन्य संस्थाओं के लोगों को बुलाना चाहिए। शिविरों के आयोजन पर भी चर्चा हुई। इसके अलावा सुझाव आया कि एक निर्धारित समय पर हमें मीटिंग करनी चाहिए, जिसमें आगामी योजनाओं की प्लानिंग की जाए। इस सत्र का संचालन अंकित मिश्रा के द्वारा किया गया।

समान विचार की संस्थाओं के साथ गांधी संस्थाएं रचनात्मक गतिविधियां आज के दौर में कैसे आगे बढ़ाए इस विषय पर सायंकालीन सत्र में नर्मदा बचाओ आंदोलन के डॉ सुनीलम, आराधना भार्गव, राजनीतिक चिंतक विश्लेषक भास्कर राव रोकड़े, पर्यावरणविद खुशहाल पुरोहित ने अपनी बात रखी और सामूहिक रूप से इस बात पर बल दिया गया कि अहिंसक तरीके के सभी आंदोलन गांधी विचार से प्रेरित होती हैं जिसमें हम सबको अपनी भागीदारी सुनिश्चित करना चाहिए और आज के दौर में हम सभी को जन आंदोलन के समन्वय में भागीदारी  करना चाहिए।

दूसरे दिन के प्रथम सत्र की शुरुआत सर्वधर्म प्रार्थना से हुई। इस सत्र में मुख्य वक्ता के रूप में लज्जाशंकर हरदेनिया, दयाराम नामदेव, राजेश बादल, महेश सक्सेना, अरुण डानायक और दमोदर जैन ने भाग लिया। इस सत्र के विषय प्रवेश की जिम्मेदारी चिन्‍मय मिश्र को दी गई। प्रथम वक्ता के रूप में दमोदर जैन ने अपनी बात रखी। उन्होंने गांधी की नई तालीम पर चर्चा करते हुए नई शिक्षा नीति पर प्रकाश डाला। उन्होंने गिजू भाई का जिक्र करते हुई शिक्षा में बदलाव की मांग की। इसके बाद अरुण डनायक ने गांधी के राम विषय पर बात की। महेश सक्सेना ने बाल सहित्य के माध्यम से बच्चों को कैसे संस्कारबान बनाया जा सकता है, इस पर प्रकाश डाला।

भारतीय पत्रकारिता के गिरते मूल्यों पर राजेश बादल ने बात करी। उन्होंने पत्रकारिता के महत्व को बताते हुए गांधी के सत्याग्रह अखबार का किस्सा सुनाया। इसके बाद लज्जाशंकर हरदेनिया ने अपनी बात रखी। उन्होंने नोबेल विजेता अमृत सेन के लेख का जिक्र करते हुए भारत की हालिया स्थितियों पर चिंता जताई। उन्होंने देश में बढ़ रही असहिष्णुता पर चिंता व्यक्त की।

दूसरे दिन का दूसरा सत्र संगठन की गतिविधियों पर केंद्रित रहा। इस सत्र में जिला सर्वोदय इकाईयों के प्रतिनिधियों ने अपनी बात रखी। साथ ही आगामी कार्यक्रमों पर चर्चा हुई। संस्थाओं में संसाधनों के आभाव के कारण हो रहीं समस्याओं पर भी चिंता जाहिर की गई। सर्वोदय मित्र और सर्वोदय लोकसेवकों की संख्या बढ़ाने पर भी जोर दिया गया। इस चर्चा में निर्धारित किया गया कि भोपाल में जल्द ही युवा शिविर का आयोजन किया जाएगा। इसके अलावा भी कई महत्वपूर्ण संगठनात्मक मुद्दों पर चर्चा हुईं। दो दिवसीय इस आयोजन में प्रदेश के 15 जिलों से 150 से अधिक गांधीजनों ने भाग लिया। इस कार्यक्रम का आयोजन गांधी भवन न्यास और मप्र सर्वोदय मंडल ने संयुक्त रूप से किया था। कार्यक्रम के अंत में गांधी भवन न्यास के अध्यक्ष संजय सिंह ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

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