देश के विभिन्न हिस्सों से लगभग 75,000 लोगों ने ‘फेसबुक लाइव’ में की हिस्सेदारी
कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी के 87वें स्थापना दिवस को ‘हम समाजवादी संस्थाएं’ की पहल पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संवाद के रूप में आयोजित किया गया। यह सही है कि आज समाजवादियों का कोई राष्ट्रीय मंच नहीं है। यह भी सही है कि हम समाजवादी लोग विभिन्न क्षेत्रीय दलों के जरिये किसी व्यक्ति या बिरादरी के इर्द-गिर्द चुनावी पहचान और राजनीतिक अस्तित्व को कायम रखने में ही ज्यादा शक्ति लगाते दिखते है। लेकिन इस बात को भी याद रखना चाहिए कि दर्जनों दलों में बिखरे समाजवादियों की उदासीनता के बावजूद देश के हर जीवंत जन-आन्दोलन में – किसानों और श्रमिकों से लेकर स्त्रियों, दलितों, आदिवासियों, अल्पसंख्यकों और छात्रों-युवजनों की हर लड़ाई में – समाजवादी परम्परा से जुड़े स्त्री-पुरुषों की सतत हिस्सेदारी जारी है। विचार प्रसार और साहित्य विस्तार का काम किया जा रहा है। छोटे – बड़े समागमों का सिलसिला बना हुआ है। इसीलिए इस राष्ट्रीय संकट की घड़ी में भी देश के विभिन्न हिस्सों से लगभग 75,000 लोगों ने ‘फेसबुक लाइव’ में हिस्सेदारी के जरिए देश में समाजवादी सपनों की धारावाहिकता और प्रासंगिकता का प्रमाण प्रस्तुत किया है।
ऑनलाइन सोशलिस्ट कांफ्रेंस का समापन करते हुए राष्ट्र सेवा दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष गणेश देवी ने कहा कि वैचारिक स्तर पर समाजवादियों के सामने चार बड़ी चुनौतियां हैं। पहली चुनौती लोकतंत्र का आगे का रास्ता तलाशने की है। एक ऐसी संरचना विकसित करना जरूरी है जिसमें पूरी प्रकृति, ब्रह्मांड का प्रतिनिधित्व हो। उन्होंने इसे ‘कॉस्मोक्रेसी’ के तौर पर परिभाषित किया। दूसरी चुनौती को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि वर्तमान पर्यावरण संकट के चलते अब समाजवाद का मूल आधार पर्यावरण बनाना जरूरी हो गया है। उन्होंने कहा कि जिन शक्तियों से समाजवादियों का मुकाबला है उन शक्तियों से निपटने के लिए व्यापक एकजुटता जरूरी है। तीसरी चुनौती को उन्होंने ब्रेटनवूड संस्थाओं (विश्व. बैंक, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष,विश्व व्यापार संगठन) द्वारा पैदा की गई नई व्यवस्था को सरकारों को दरकिनार करने वाली व्यवस्था बताया। उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में स्थानीय संघर्षों को अंतरराष्ट्रीय स्वरूप देना आवश्यक हो गया है ।
कांफ्रेंस में सोशलिस्ट पार्टी इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष पन्नालाल द्वारा फॉरेस्ट राईट एक्ट 2006 के तहत आवेदन करने वाले सभी जरूरत मंदों को पट्टा दिये जाने, गरीबी रेखा के नीचे रहने वाली विधवा, परित्यक्ता महिलाओं की शिक्षा रोजगार और राशन का इंतजाम किये जाने तथा जम्मू कश्मीर की जेलों में बंद पांच हजार से अधिक राजनीतिक बंदियों को तत्काल रिहा किये जाने, राज्य का दर्जा बहाल करने, लोकतंत्र की बहाली कर चुनाव कराए जाने आदि प्रस्ताव रखे गये, जिसे कांफ्रेंस में पारित किया गया। ।
डॉ. संदीप पांडे ने कहा कि हमारी स्वास्थ्य सेवा पूरी तरह से चरमरा गई है। इस संकट की घड़ी में स्वास्थ्य सेवा सिर्फ सरकारी अस्पतालों पर निर्भर हो गई है। उन्होंने यह भी कहा कि स्वास्थ्य, शिक्षा, परिवहन, बैंकिंग और बीमा का राष्ट्रीयकरण होना चाहिए , इनका निजीकरण नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि न्यूनतम आय और अधिकतम आय में सिर्फ़ 10 गुना का अंतर होना चाहिए। कृषि क्षेत्र की आय अधिकतम हो ,उनकी आय बाकि क्षेत्रों से सम्मानजनक हो।
प्रस्तावों में शराब व तम्बाकू पर पूर्णतया प्रतिबंध लगाये जाने, स्वास्थ्य व शिक्षा क्षेत्र का राष्ट्रीयकरण किया जाने, सार्वजनिक यातायात की व्यवस्था मजबूत की जाने, सार्वजनिक वितरण प्रणाली का लोकव्यापीकरण किया जाने अर्थात राशन की दुकान आकर जो भी राशन लेना चाहे उसे राशन मिले ,राशन कार्ड की व्यवस्था समाप्त किये जाने की मांग की गई । तीन वर्षों के लिए निजी कम्पनियों बिना मुनाफे के काम करने, किसी भी कम्पनी, विभाग में न्यूनतम व अधिकतम वेतन में दस गुणा से ज्यादा का अंतर समाप्त करने , कृषि को अधिकतम आय का क्षेत्र बनाया जाने, फसल चक्र के बाद भू-स्वामी व भूमिहीन मजदूर की आय लगभग बराबर किये जाने, शिक्षा व्यवस्था से परीक्षा प्रणाली को समाप्त किया जाने, शिक्षक एक प्रमाण पत्र जारी करे कि छात्र ने उसके द्वारा पढ़ाए विषय में ज्ञान हासिल किया है। परीक्षा सिर्फ चयन प्रक्रियाओं हेतु हो।सभी धार्मिक स्थलों पर गुरुद्वारों की भांति लंगर की व्यवस्था अनिवार्य की जाने, जिससे पंजाब की तरह देश के दूसरे हिस्सों में भी खाद्य सुरक्षा की गारंटी हो,अति महत्वपूर्ण व्यक्ति की श्रेणी समाप्त की जाए। मंत्री, अधिकारी, न्यायाधीश सामान्य नागरिकों की तरह रहें। उनके निजी कामों के लिए सरकारी संसाधनों का व्यय न हो। अवैध गतिविधियां निरोधक अधिनियम खत्म कर उसके तहत जेलों में बंद लोगों को रिहा किया जाने की मांग की गई।
सांसद संजय सिंह ने कहा कि समाजवादियों की जमात सर्वाधिक त्याग और बलिदान करने वालो की जमात है | उन्होंने कहा कि दो तरह का समाज बनाया जा रहा है जिसमें एक तरफ तो अंबानी के पास 450 कमरों का मकान है वहीं दूसरी तरफ गरीब 20 रूपये प्रतिदिन जीवन यापन करने को मजबूर है । समाजवादी विचारधारा से ही देश का विकास संभव है। उन्होंने परिवर्तन के लिए व्यापक एकता पर बल दिया।
समाजवादी चिंतक एवं पत्रकार कुर्बान अली ने समाजवादी आंदोलन की विरासत पर प्रकाश डालते हुए कहा कि राष्ट्रीय आंदोलन के मूल्यों और संविधान को बचाना समाजवादियों की सबसे बडी जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि हमे अपनी कमियों को महसूस कर उनमें सुधार करने का प्रयत्न करना चाहिए तथा देश को बचाने के लिए व्यापक मोर्चा बनाना चाहिए।
कर्नाटक के डॉ. टी एन प्रकाश, (पूर्व कर्नाटक मूल्य आयोग अध्यक्ष ,बंगलुरू) ने कहा कि खाद्य एवं पोष्टिक आहार सुरक्षा सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी राज्य की है, उन्होंने कहा कि आजादी के बाद जिस तरह समाजवादियों ने भूमि के बंटवारे के लिए संघर्ष संघर्ष किया था उसी तरीके का संघर्ष खाद्य एवं पौष्टिक आहार वितरण के लिए होना चाहिए। उन्होंने कहा कि देश की 50 प्रतिशत महिलाओं और बच्चों की आबादी कुपोषित और खून की कमी से पीड़ित है जबकि अनाज ,फल ,सब्जी और दूध सड़ रहा है।
डॉ. सुनीलम ने कहा कि केंद्र सरकार किसान, किसानी और गांव को खत्म करना चाहती है। किसानों के साथ भेदभाव किया जा रहा है। उन्होंने किसानों की क़र्ज़ मुक्ति ,डेढ़ गुने दाम पर खरीद की गारेंटी, 44 श्रम कानूनों की बहाली, 8 करोड़ प्रवासी मज़दूरों सहित 54 करोड़ श्रमिकों को 10 हज़ार रुपये दिए जाने, कृषि योग्य भूमि के अधिग्रहण पर रोक लगाने, मनरेगा में 200 दिन के काम की गांरटी सभी इच्छुक व्यक्तियों को काम दिए जाने हेतु 3 लाख करोड़ का पैकेज देने की मांग केंद्र सरकार के सामने रखी। उन्होंने कहा कि देश में किसानों, मज़दूरों, जनसंगठनों, आदिवासियों, छात्र छात्राओं के समन्वय काम कर रहे हैं, उनको एक मंच पर आकर मज़दूरों, किसानों, स्वस्थ्य, बेरोजगारी एवं पर्यावरण के मुद्दों पर केंद्रित संघर्ष चलाने का काम तत्काल शुरू करना चाहिए ताकि सरकार की तानाशाही पूर्ण एवं कॉरपोरेट मुखी नीतियों पर अंकुश लगाया जा सके ।
जन चेतना मंच के संयोजक राजेंद्र रजक ने कहा कि व्यवस्था परिवर्तन पर तो काम हुआ है लेकिन विचार परिवर्तन का काम अधूरा है । जब तक विचार परिवर्तन नहीं होगा तब तक केवल सत्ता हासिल करने से सुधार नहीं होगा । उन्होंने कहा कि विकासवाद के कारण लोगों की संवेदनाएँ मर गई है ।
बिहार सोशलिस्ट पार्टी इंडिया के महामंत्री गौतम प्रीतम कहा कि पूंजीपतियों की सेवा करने वाला युवा आज सड़कों पर पैदल चलकर घर लौट रहा है । उन्होंने सरकारों की निम्न वर्गों के प्रति उदासीनता पर कहा कि भारतीय समाज में धर्म, जाति से उपर उठकर मजबूर, वंचित वर्ग को साथ लेकर समाजवाद के रास्ते पर चलकर गैर बराबरी को मिटाया जा सकता है।
इंदौर के पत्रकार एवं समाजवादी नेता राम स्वरूप मंत्री ने समाजवादियों द्वारा प्रकाशित पत्र पत्रिकाओं की विस्तृत जानकारी देते हुए कहा कि समाजवादी साहित्य का प्रकाशन लगातार हो रहा है परंतु नई पीढ़ी में पढ़ने की रुचि पैदा करने की जरूरत है। 1934 में कांग्रेस समाजवादी पार्टी की स्थापना के समय से ही यह सोच बन चुकी थी कि पूंजीवादी समाचार हमारी बातों को स्थान नहीं देंगे । अतः हमारे समाचारों का प्रकाशन होना चाहिए।
गुजरात लोक समिति की मुदिता विद्रोही ने कहा कि सरकार लॉकडाउन का फायदा उठाते हुए मजदूरों की विषम परिस्थितियों में पूर्व के कानूनों को बदलकर मजदूर विरोधी कानून लागू कर रही है जिससे सरकारों का अमानवीय चेहरा सामने आ रहा है । उन्होंने कहा कि सरकारें आंदोलनकारियों को बदले की भावना से चुन चुनकर जेल में डाल रही है। लॉक डाउन के दौरान स्टेचू ऑफ यूनिटी के आसपास की आदिवासियों का अधिग्रहण सभी कानूनों को ताक पर रख कर किया जा रहा है।
सोशलिस्ट युवजन सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीरज कुमार ने समतावादी समाज में निर्माण में युवाओं की भूमिका पर कहा कि समाजवादी एकजुटता एतिहासिक आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि हमें गांव के युवाओं को एकजुट करने का प्रयास करना चाहिए । उन्होंने बताया कि लोहिया और अंबेडकर वैचारिक रूप से एक दूसरे के नजदीक थे। वर्तमान चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए समाजवादियों और वामपंथियों को एक साथ आना आज की जरूरत है।
खुदाई खिदमतगार के संयोजक फैजल खान ने कहा कि नए मनुष्य का निर्माण सबसे बड़ी चुनौती है। उंस पर ध्यान केंद्रित कर समाजवादियों को काम करना चाहिए , उन्होंने कहा कि सरकारें बदलना आसान है , इंसान को बदलना बहुत मुश्किल , उन्होंने कहा कि नया मनुष्य गढ़ने के सभी तरीके विफल रहे है इस कारण नेता ,पार्टी और सरकार बदलने से समाज नहीं बदलता।