देहरादून, 15 फरवरी। चिपको आंदोलन एवं गांधी विचारों के रूप में अपनी अंतरराष्ट्रीय पहचान बनाने वाले सुंदरलाल बहुगुणा की पत्नी विमला बहुगुणा का बीते 14 फरवरी को 2:10 मिनट पर देहान्त हो गया। शनिवार 5 फरवरी को उनकी देह पंचतत्व में विलीन हो गई। 93 वर्षीय विमला बहुगुणा एक सर्वोदय कार्यकर्ता थीं और उन्होंने 1953- 55 में बिहार में भूदान आंदोलन में भाग लिया, जहां वह आचार्य विनोबा भावे, जयप्रकाश नारायण और दादा धर्माधिकारी के संपर्क में आईं, जो उनके काम से प्रभावित थे।
श्रीमती विमला बहुगुणा तरुणाई के दिनों से ही समाजसेवा मे सक्रिय हो गई थी। सुंदरलाल बहुगुणा 13 वर्ष की आयु में महान स्वतन्त्रता सेनानी श्रीदेव सुमन की प्रेरणा से राष्ट्रीय आंदोलनों में कार्य करने लगे थे, वहीं विमला नौटियाल 17 वर्ष की आयु में महान समाजसेवी सरला बहन के आश्रम की सदस्य बन गयी थी। दोनों के पिता अंबादत्त बहुगुणा एवं नारायणदत्त नौटियाल वन अधिकारी थे, दोनों की माताजी श्रीमती पूर्णादेवी बहुगुणा एवं श्रीमती रत्नकांता नौटियाल धार्मिक प्रवृत्ति की महिलाएं थी। इस प्रकार दोनों परिवारों की सांस्कृतिक और सामाजिक विरासत समान थी, जिसमे समाजसेवा की प्रेरणा निहित थी। विमला बहन सुंदरलालजी के सहधर्मिणी के रूप में आजीवन हर कदम पर उनके साथ प्रत्येक कार्यक्रमों में सहभागी बनी रही।
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महिला शिक्षा और ग्रामीण भारत में सर्वोदय के सिद्धांत को ध्यान में रखते हुए, दिसंबर 1946 में अल्मोड़ा जिले के कौसानी में लक्ष्मी आश्रम की स्थापना की गई। इस आश्रम की देखरेख की जिम्मेदारी सरला बहन की थी, जोकि महात्मा गांधी की करीबी शिष्या थी। लक्ष्मी आश्रम में जिन पांच छात्राओं ने एक साथ दाखिला लिया, उनमें से एक बिमला बहुगुणा थी। उनकी साफ समझ और कड़ी मेहनत के कारण उन्हें कम समय में ही आश्रम की सबसे प्रिया छात्रा बना दिया गया। विमला बहन ने आश्रम के बाहर की सामाजिक गतिविधियों में भी काफी महत्वपूर्ण योगदान दिया, जिसमें विनोबा भावे के भूदान आंदोलन में आश्रम के प्रतिनिधित्व के लिए विमला बहुगुणा को चुना गया था। इसके साथ ही विमला बहन को वन देवी की उपाधि भी दी गई थी।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शनिवार को शास्त्रीनगर स्थित आवास पर पहुंचकर उन्हें श्रद्धांजलि दी और स्व.विमला की अंतिम यात्रा में भी शामिल हुए। अंतिम यात्रा शनिवार सुबह देहरादून स्थित शास्त्रीनगर आवास से निकली। सीएम पुष्कर सिंह धामी ने शास्त्रीनगर पहुंचकर विमला बहुगुणा के पार्थिव शरीर पर पुष्पचक्र अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। उन्होंने दिवंगत आत्मा की शांति और शोकाकुल परिजनों को धैर्य प्रदान करने की ईश्वर से कामना की है। इसके बाद यात्रा ऋषिकेश के लिए निकली। अंतिम संस्कार पूर्णानंद घाट पर हुआ। रायपुर विधायक उमेश शर्मा काऊ के साथ ही सामाजिक, राजनीतिक समेत विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े लोग उनकी अंतिम यात्रा में शामिल हुए।
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विमला जी के देहांत पर देशभर की गांधी विचारक एवं रचनात्मक संस्थाओं ने भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की है। सर्वोदय प्रेस सर्विस से जुडे कुमार सिद्धार्थ ने विमलाजी के देहांत पर गहरा दुख व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष भी विमलाजी के साथ देहरादून में घंटों सान्निध्य प्राप्त हुआ था और महेंद्रभाई, सप्रेस आदि के कार्यों का आत्मीयता से जिक्र किया था। विमलाजी का चिपको आंदोलन में अवदान को कभी भुलाया नहीं जा सकेगा। पर्यावरण डाइजेस्ट के संपादक डॉ. खुशालसिंह पुरोहित ने कहा कि विमलाजी सुंदरलाल बहुगुणाजी की ताकत बनकर हमेशा कंधे से कंधा मिलाकर साथ खड़ी रही। महिला आंदोलन और नशाबंदी आंदोलन में विमलाजी का उल्लेखनीय योगदान है, जिससे वर्षों तक याद रखा जाएगा। उनके निधन पर कस्तूरबा गांधी राष्ट्रीय स्मारक ट्रस्ट, विसर्जन आश्रम, गांधी शांति प्रतिष्ठान, गांधी स्मारक निधि, सर्वोदय शिक्षण समिति, सेवा सुरभि आदि ने शोक व्यक्त किया।