सामाजिक, साहित्यिक और गांधी विचारक संस्थाओं ने दी श्रद्धांजलि
जाने माने शिक्षाविद, समाज सेवी एवं गांधी विचारक श्री विट्ठल त्रिवेदी का 14 जून 20 को इंदौर में निधन हो गया। वे कुछ समय से बीमार चल रहे थे। वे 84 वर्ष के थे। श्री त्रिवेदी अपने पीछे पत्नी और दो पुत्र छोड़ गए। श्री त्रिवेदी लगभग चार दशक तक शिक्षा के क्षेत्र से सम्बद्ध रहे। शिक्षकीय पेशे से सेवानिवृत्त होने के बाद उनका जुडाव गांधी विचार संस्थाओं से हो गया था। साथ ही वे शहर की अन्य रचनात्मक संस्थाओं में भी उनकी सहभागिता होती थी। खासतौर पर विसर्जन आश्रम, जीवनशाला, हिंदी परिवार इन्दौर, अभ्यास मण्डल, शांति मंच, गांधी 150 आदि कई संस्थाओं में सक्रियता से भागीदारी करते रहे।
श्री त्रिवेदी की साहित्यिक क्षेत्र में गहरी रूचि थी और कई साहित्यिक बिरादरी के व्यक्तियों से अभिन्नता थी। कवि, साहित्यकार चंद्रकांत देवताले उनके अभिन्न मित्रों और सहपाठियों में रहे है। देवतालेजी का उनके साथ विशेष लगाव था और विट्ठल का नाम उनकी कविताओं में उल्लेखित होता है। एक साक्षात्कार के दौरान देवतालेजी ने विट्ठल त्रिवेदी का परिचय देते हुए कहा था कि ये विट्ठल त्रिवेदी हैं, मेरे बचपन के दोस्त। जीवन के बहुत से उतार-चढ़ाव, संघर्ष हमने साथ-साथ देखे हैं। ये एक एक्टिविस्ट हैं और जनता और किसानों के बीच विचार के क्षेत्र में काम करते हैं। हम जब भी मिलते हें तो हमें ऐसा लगता है जैसे हम अपने बिछड़े हुए भाई से मिल रहे हैं।
सर्वोदयी विचारक, जीवन शाला के प्रमुख श्री किशोर भाई गुप्ता ने बताया कि विट्ठल त्रिवेदी संपूर्ण क्रांति अध्ययन मंडल, आजादी बचाओ आंदोलन ,सर्वोदय योग प्राकृतिक जीवन संघ ,जिला सर्वोदय मंडल, जीवनशाला ,समन्वय समिति आदि रचनात्मक संस्थानों में वरिष्ठ पदों पर रहते हुए देश समाज के लिए समर्पित होकर उल्लेखनीय कार्य किया। लोकनायक जयप्रकाश नारायण के विचारों से अनुप्राणित श्री त्रिवेदी विनम्रता, सज्जनता एवं दृढ़ता के संगम थे। उनका अभाव लंबे समय तक महसूस होता रहेगा।
सर्वोदय प्रेस सर्विस के कुमार सिद्धार्थ ने कहा कि हमारे अनन्य प्रेरक साथी श्री त्रिवेदीजी की स्मृतियां हमारे दिलों दिमाग में सदैव अंकित रहेगी। उनका अपनापन, सादगी और विनम्रता उनकी जीवनशैली का सदैव हिस्सा रही। शांतचित्त स्वभाव की प्रकृति वाले इस व्यक्तित्व से हम हमेशा अनुप्रेरित होते रहेंगे।
सहज व्यक्तित्व के निधन पर वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्त्ता श्री मुकुन्द कुलकर्णी, शांति मंच के श्री शफी शेख, हिंदी परिवार के श्री हरेराम वाजपेयी, सन्तोष मोहन्ती दीप, डॉ. जी.डी अग्रवाल, प्रदीप नवीन, मुकेश इन्दौरी आदि साहित्यकारों ने विनम्र श्रद्धांजलि दी है। उनके निधन पर गांधी संस्थाओं – विसर्जन आश्रम, कस्तूरबा गांधी राष्ट्रीय स्मारक ट्रस्ट, गांधी शांति प्रतिष्ठान केंद्र आदि ने भी उन्हें विनम्र श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए दिवंगत आत्मा की शांति के लिए प्रभु से प्रार्थना एवं शोक संतप्त परिवार के लिए संवेदनाएं प्रकट की हैं।