भोपाल, 29 सितंबर। स्वयंसेवी संस्थाओं की नेटवर्किंग एवं कार्यकर्ताओं के दक्षता विकास में संलग्‍न एनजीओ पाठशाला ने अपने द्वितीय स्‍थापना दिवस के मौके पर 28 सितम्बर को समर्थन संस्था परिसर, भोपाल में अंतरराष्‍ट्रीय ख्याति प्राप्‍त वरिष्‍ठ सामााजिक कार्यकर्त्‍ता पद्मश्री डॉ. जनक पलटा मगिलिगन ( इंदौर) को स्वयंसेविता रत्न सम्मान, सामाजिक कार्यकर्ता निलेश देसाई ( झाबुआ),  समर्थन के निदेशक डॉ. योगेश कुमार (भोपाल) एवं मेहरागांव की समरस पंचायत की सरपंच सुश्री माया विश्वकर्मा (नरसिंहपुर) को ग्रामोदय सम्मान से सम्‍मानित किया गया। पुरस्‍कार में सम्‍मान स्‍वरूप प्रशस्ति पत्र, शाल, श्रीफल भेंट कर अभिनंदन किया गया।

कार्यक्रम में इसके अलावा डॉ. विद्या पाण्डेय (सतना) एवं श्रीमती सुदीप्ता भट्टाचार्य सक्सेना (भोपाल) को डॉ. जोस सूल स्मृति सम्मान से सम्मानित किया गया। सम्मानों की इसी कड़ी में विगत वर्ष में सामाजिक–विकास के मुद्दों पर जमीनी गतिविधियों द्वारा रचनात्मक एवं सक्रिय कार्य करने वाली चयनित 23 अन्य स्वयंसेवी संस्थाओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं एवं विषय-विशेषज्ञों को भी एनजीओ पाठशाला की ओर से स्वयंसेविता गौरव सम्मान प्रदान किया गया। कार्यक्रम में मप्र एवं छत्तीसगढ़ राज्यों के लगभग 70 प्रतिनिधि, विषय विशेषज्ञ एवं कार्यकर्ता शामिल रहे।

सम्‍मान के प्रतित्‍तर में सामाजिक कार्यकर्ता पद्मश्री डॉ. जनक पलटा मगिलिगन ( इंदौर) ने कहा कि एनजीओ पाठशाला स्वयंसेवी संस्थाओं की नेटवर्किंग एवं कार्यकर्ताओं के दक्षता विकास का समसामयिक कार्य कर रही है। इससे स्वयं सेवी संस्थाओं में जमीनी एवं व्यावहारिक सच्‍चाईयों के साथ काम करने का जज्बा एवं मूल्यगत समाज सेवा की परिपाटी का विकास होगा।

स्‍थानीय समस्‍या का हल स्‍थानीय नेतृत्‍व व ज्ञान से ही संभव : निलेश देसाई

Nilesh Desai

हाल ही में जमनालाल बजाज पुरस्‍कार से सम्‍मानित वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता श्री निलेश देसाई (संपर्क समाज सेवी संस्था, झाबुआ) ने “समग्र विकास की अवधारण एवं स्वयंसेवी संस्थाओं की भूमिका” विषय पर संवाद करते हुए कहा कि स्वयंसेवी संस्थाओं की सोच समाज के लिए काम करने की नहीं, बल्कि समाज के साथ काम करने की होना चाहिए।

निलेश भाई ने कहा कि स्‍थानीय समस्‍या का हल स्‍थानीय नेतृत्‍व व ज्ञान से ही संभव है। बदलाव के संवाहक स्‍थानीय लोग होते है, हम तो उत्‍प्रेरक की भूमिका निभाते है। आपने आदिवासी समुदाय के साथ किये अपने कार्य के सफर को रखते हुए कहा कि आदिवासी संस्‍कृति के अंदर समानता, मितव्‍ययिता और सामूहिकता का संस्‍कार होता है। लेकिन विकास की धारा ने इसे बदल दिया। आपने सिविल सोसायटी संस्थाओं के दायरे, सरकार, जन पैरवी के महत्व एवं ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने पर अपने विचार और अनुभव साझा किए।

संगठनात्‍मक रूप से साथ में खडे रहने की जरूरत; एनजीओ पाठशाला एक अच्‍छा मॉडल – डॉ. योगेश कुमार

समर्थन संस्था, मप्र एवं छग के संस्थापक डॉ. योगेश कुमार ने “सोशल स्टॉक एक्सचेंज” के विविध पहलुओं पर संवाद करते हुए कहा कि एनजीओ पाठशाला बिना सरकारी अथवा कार्पोरेट फंडिंग के अपने सदस्यों एवं सहयोगियों से धन- साधन जुटाकर प्रशिक्षण एवं मार्गदर्शन का सराहनीय कार्य कर रही है। उन्‍होंने कहा कि समाज में जिस तरह की परिस्थिति, चुनौतियां है, ऐसे समय में आज फिर जरूरत है कि हम संगठनात्‍मक रूप से साथ में खडे रहे। समाज की अपनी ताकत है, उसको जगाने की जरूरत है।  शिक्षण की प्रक्रिया में विकास के अच्छे रोल माडल के अध्ययन भ्रमण को शामिल किया जाना चाहिए ताकि युवा पीढ़ी बेहतर तरीके से सामुदायिक जागरूकता एवं बदलाव के कार्य कर सके।

कार्यक्रम का आरम्भ अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन, महात्मा गांधी की तस्वीर पर माल्यार्पण एवं शहीद भगत सिंह के विचारों के उद्घोष के साथ हुआ। निदान सेवा समिति, भोपाल के बच्चों द्वारा प्रस्तुत गीत- हमको मन की शक्ति देना….से आरंभ हुआ।

कोर टीम के सदस्यों डॉ. परशुराम तिवारी ने गतिविधि प्रतिवेदन, श्रीमती कला मोहन द्वारा मानसिक स्वास्थ्य पर, श्री दीपक माथुर द्वारा जलवायु परिवर्तन पर कार्य हेतु आगामी वर्ष के लिए संकल्प कार्ययोजना प्रस्तुत की गयी। सुदीप्ता भट्टाचार्य, डॉ. आलोक एवं प्रिय चौबे एवं अनुराधा श्रीवास्तव द्वारा सदाबहार सुरीले गीतों की प्रस्तुति की गयी। प्रश्नोत्तरी सत्र का संचालन डॉ. राजीव जैन तथा कार्यक्रम का संचालन सत्येन्द्र पाण्डेय ने किया।

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