फैजल खान को किस अपराध की सजा मिली है ?
नईदिल्ली, 9 नवंबर । देश के लब्ध प्रतिष्ठित गांधी संस्थाओं, पत्रकारों, सामाजिक संगठनों एवं गणमान्य व्यक्तियों ने आज फैजल खान की गिरफ्तारी के संदर्भ में एक संयुक्त बयान जारी कर सरकार से प्रार्थना की है कि फैजल खान प्रकरण पर सरकार, पुलिस और न्यायपालिका को अपने किए का पछतावा हो और वह इस प्रकरण को आगे बढ़ाने के बजाय फैजल खान को सारे आरोपों से बरी कर, ससम्मान रिहा किया जाए, जो सरकार के सामने एकमात्र सम्मानजनक रास्ता यही बचा है।
इस बयान में कहा गया है कि मथुरा के नंद बाबा के मंदिर के परिसर में नमाज पढ़ने के अपराध में फैजल खान की, उत्तरप्रदेश पुलिस द्वारा दिल्ली से गिरफ्तारी सभ्य और संवेदनशील भारतीय समाज के मुंह पर तमाचा है। फैजल खान अनजान, सामान्य सामाजिक कार्यकर्ता नहीं, सद्भावना अभियान के परखे हुए सिपाही तथा इस्लाम, हिंदू तथा अन्य धर्मों के आधिकारिक विद्वान हैं। कहा जा सकता है कि सामाजिक विश्वासों के वैसे गंभीर अध्येता गिनती के मिलेंगे।
इस बयान को जारी करने वालों में गांधी शांति प्रतिष्ठान के अध्यक्ष कुमार प्रशांत, रामचंद्र राही, अध्यक्ष, राष्ट्रीय गांधी स्मारक निधि, नई दिल्ली, ए. अन्नामलाई, मंत्री, राष्ट्रीय गांधी संग्रहालय, नई दिल्ली, डॉ. विश्वजीत, राष्ट्रीय संयोजक, राष्ट्रीय युवा संगठन, वर्धा, राजमोहन गांधी, इतिहासकार, गणेश देवी, भाषाविद् व वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता, वडोदरा, अपूर्वानंद, प्राध्यापक, दिल्ली विश्वविद्यालय, दिलीप सिमियन, पूर्व प्राध्यापक व इतिहासकार, नई दिल्ली , अरविंद मोहन, वरिष्ठ पत्रकार, नई दिल्ली,अोम थानवी, उप-कुलपति, पत्रकारिता विश्वविद्यालय, जयपुर, अभय कुमार दुबे, प्राध्यापक-निदेशक, इंडियन लाइग्वेजेस प्रो, सी.एस.डी.एस., नई दिल्ली, अनिल सद्गोपाल, पूर्व डीन, शिक्षा निकाय, दिल्ली विश्वविद्यालय आदि ने उल्लेखनीय है।
इस संयुक्त बयान में कहा गया है कि फैजल भाई का अपराध क्या है ? यह वही अपराध है जिसकी सजा महात्मा गांधी को तब मिली थी जब वे हरिजनों के साथ प्रार्थनापूर्वक मंदिर प्रवेश कर रहे थे या संत विनोबा भावे अपने ईसाई साथियों के साथ, पंडों की सहमति के बाद, दर्शन कर मंदिर से वापस लौट रहे थे। तब साम्राज्यवादी शक्तियों ने हमें उतना प्रतिगामी साबित किया था, आज सांप्रदायिक ताकतें भी हमें उतना ही गर्हित साबित करने में लगी हैं। यह सत्ता की शह पर समाज के पतन की पराकाष्ठा है।
जब मंदिरों से अजान की आवाज उठे और मस्जिदों से गीता के श्लोक सुनाईं दें; जब गिरिजाघरों से रामधुन की लहर उठे और गुरुद्वारों से बाइबल का पाठ सुनाई दे और समाज उसे खुशी से कबूल करे तभी भारत की सर्वधर्मसमभावी तस्वीर उजागर हो सकती है। अपनी सार्वजनिक सर्वधर्म प्रार्थना द्वारा महात्मा गांधी ने ऐसा भारतीय मन तैयार करने की कोशिश की थी जिसे फैजल खान जैसे साथी आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं। उनकी जगह जेल में नहीं, हमारे दिलों में होनी चाहिए क्योंकि यह भारत की भावी तस्वीर आंकने की कोशिश है।
बयान के अंत में कहा गया है कि वह सरकार, वह पुलिस और वह न्यायालय, जिसने फैजल खान को अपराधी माना है, उसने भारतीय संविधान का निरादर ही नहीं किया है बल्कि सद्भावना और समन्वय की भारतीय परंपरा को भी कलंकित किया है। इस प्रकरण पर सरकार को आगे बढ़ाने के बजाय फैजल खान को सारे आरोपों से बरी कर, ससम्मान रिहा किया जाए, जो एकमात्र सम्मानजनक रास्ता यही बचा है।
बयान पर अन्य वरिष्ठ जनों जिसमें कुमार शुभमूर्ति, पूर्व अध्यक्ष, बिहार भूदान कमिटी, पटना, किशोर संत, वरिष्ठ गांधी-कार्यकर्ता, जोधपुर आत्माराम सरावगी, वरिष्ठ गांधी-कार्यकर्ता, कोलकाता, डॉ. ए.के. अरुण, संपादक, युवा संवाद, नई दिल्ली, राजीव रंजन गिरि, प्राध्यापक, राजधानी कॉलेज, नई दिल्ली, डॉ. सुजाता चौधरी, गांधी-अध्येता व लेखिका, भागलपुर, अर्चना बहुगुणा, संस्थापक, स्पेस फॉर नर्चरिंग चिल्ड्रेन, गुप्तकाशी, देवाशीष मजूमदार, अध्यक्ष, युवा विकास केंद्र, त्रिपुरा, सविता प्रभु, पत्रकार, डाउन टू अर्थ, राकेश दीवान व कुमार सिद्धार्थ, सर्वोदय प्रेस सर्विस, आशा बोथरा, गांधी शांति प्रतिष्ठान केंद्र, जोधपुर, जयंत दीवाण, अध्यक्ष, मुंबई सर्वोदय मंडल, मुंबई, आशा भार्गव, संपादक’ गरीबों का सेतु’, जयपुर, मीनाक्षी राजदेव, सामाजिक कार्यकर्ता, जयवंती शुक्ला, गोपाल मिश्र, फर्राह शाकेब, राष्ट्रीय आंदोलन फ्रंट, नई दिल्ली, प्रेरणा, अजमत खान, प्रशांत नागोसे, मनोज ठाकरे तथा राष्ट्रीय युवा संगठन के अन्य सदस्य, गांधी शांति प्रतिष्ठान के देश भर के केंद्र से जुडे प्रतिनिधियों ने भी अपनी सहमति दर्ज कर सरकार से अपील की है कि फैजल खान की शीघ्र रिहाई हो तथा उन दर्ज किये गए प्रकरण को समाप्त किया जाए।
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