पीयूसीएल एवं भारतीय महिला फेडरेशन, मध्य प्रदेश इकाई ने की मांग
नईदिल्ली 11 जुलाई । लोकनायक जयप्रकाश नारायण द्वारा स्थापित मानवाधिकार संगठन पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (PUCL) ने भारतीय महिला फेडरेशन (एनएफआईडब्ल्यू) की राष्ट्रीय महासचिव एनी राजा, राष्ट्रीय सचिव निशा सिद्धू और एडवोकेट दीक्षा द्विवेदी के खिलाफ मणिपुर दौरे मामले पर एफआईआर दर्ज किये जाने की कड़ी निंदा की है और इसे शीघ्र ही वापस लेने की मांग की है। तीनों सम्मानित महिला नेताओं ने मणिपुर में तथ्य संकलन के लिए किये गए दौरे के समापन पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया था, जिसमें उन्होंने बताया कि मणिपुर की हिंसा राज्य प्रायोजित है।
तीन सदस्यीय इस तथ्यान्वेषी टीम ने इंफाल और मणिपुर के अन्य इलाकों का दौरा किया, समाज के विभिन्न तबकों और विभिन्न समुदायों से मुलाकात की और यह पाया कि दोनों तरफ के तरफ शांति बहाली चाहते हैं।
पुलिस कानून का उपयोग नागरिकों को डराने-धमकाने के लिए कर रही है
पीयूसीएल ने कहा है कि पुलिस कानून का उपयोग उन नागरिकों को डराने और धमकाने के लिए आतंक के एक औजार के रूप में कर रही है, जो अशांत क्षेत्रों में व्यक्तिगत दौरे के माध्यम से सच्चाई का पता लगाना चाहते हैं। इसमें शामिल विभिन्न हितधारकों और पार्टियों से मिलना और अपने निष्कर्षों को चर्चा के लिए सार्वजनिक जानकारी में लाना चाहते हैं।
पीयूसीएल ने भारत सरकार से माँग की है कि मानवाधिकार कार्य, अकादमिक लेखन और इस तरह की अन्य गतिविधियों के चलते किसी को अपराधी नहीं ठहराया जा सकता, और इस बारे में सभी राज्यों और पुलिस को सलाह जारी की जाए।
समुदायों के बीच शांति प्रक्रिया आरंभ हो और राज्य हिंसा को समाप्त किया जाए
पीयूसीएल ने यह भी माँग की है कि मणिपुर सरकार सम्मानित महिला नेताओं के खिलाफ सभी आरोप तुरंत वापस ले और एनएफआईडब्ल्यू की तथ्यान्वेषी टीम के खिलाफ दर्ज एफआईआर रद्द करे। हम मणिपुर सरकार से सीजेएम कोर्ट, इंफाल के समक्ष दायर आपराधिक शिकायत में हस्तक्षेप करने के लिए सभी आवश्यक कार्रवाई करने का भी आह्वान भी करते हैं, साथ ही हम आग्रह करते हैं, कि दोनों समुदायों के बीच शांति प्रक्रिया शुरू की जाए और राज्य हिंसा को समाप्त किया जाए।
इधर, भारतीय महिला फेडरेशन की राष्ट्रीय महासचिव साथी एनी राजा, राष्ट्रीय सचिव निशा सिद्धु और एक एडवोकेट दीक्षा द्विवेदी के मणिपुर दौरे पर दर्ज की गई एफआईआर के खिलाफ भारतीय महिला फेडरेशन, मध्य प्रदेश इकाई ने भी कड़ी भर्त्सना की है।
भारतीय महिला फेडरेशन, मध्य प्रदेश इकाई की उपाध्यक्ष, किरण प्रकाश बुर्डे ने जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि मणिपुर हमारे देश का ही हिस्सा है, वहाँ लंबे समय से हिंसा और तनाव का माहौल है। 55 दिन तक राज्य व केंद्र ने शांति बहाल करने के लिए कुछ नहीं किया। भारतीय महिला फेडरेशन की अन्य राज्यों की तरह मणिपुर में भी इकाई है तो अपने साथियों का हाल चाल जानना और सरकार की अकर्मण्यता की जानकारी सामने लाना अपराध कैसे हो गया?
उन्होंने कहा कि यह दिखाई दे रहा है कि सरकार एन केन प्रकारेण हर उस आवाज को दबा देना चाहती है जो उसकी नाकामी और बर्बरता को सामने लाने की कोशिश भी करे।
तमाम मौलिक और संवैधानिक अधिकारों से वंचित कर रही है सरकार
बयान में कहा गया है कि एक तरफ ये राज्य और केन्द्र सरकार एक -एक कर राज्यों को भेदभाव और सामुदायिक, सांप्रदायिक हिंसा में झोंक कर उनके तमाम मौलिक और संवैधानिक अधिकारों से वंचित कर तबाह कर रही हैं और किसी को उनके इरादों को बाहर लाने का भी अधिकार नहीं। पूरा देश धीरे – धीरे एक जेल में बदल देने और सरकारी पुलिस का नागरिकों की आवाज कुचलने का अधिकार केंद्र और राज्य सरकारों को है, वहीं जान हथेली पर लेकर आम जनता के सामने सच्चाई लाने वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाती है।
भारतीय महिला फेडरेशन, मध्य प्रदेश ने इन तीनों महिला नेताओं के खिलाफ दर्ज हुई एफआईआर को तुरंत वापस लेने की मांग सरकार से की है।