इंदौर, 17 अप्रैल। इंदौर के सपीप सनावदिया गांव स्थित श्री श्रीरविशंकर विद्या मंदिर स्कूल में  जिम्मी मगिलिगन मेमोरियल सस्टेनेबल डेवलपमेंट सप्ताह के अंतर्गत सतत विकास में कला और विज्ञान का योगदान”  विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया।

विद्यालय की प्राचार्या डॉ. कंचन तारे ने सतत विकास की दिशा में महत्‍वपूर्ण कार्य करने वाली पद्मश्री डॉ. जनक पलटा मगिलिगन और स्वाहा कंपनी के संस्थापक डॉ. समीर शर्मा का अभिनंदन किया।

समाज सेवी डॉ. जनक पलटा मगिलिगन ने अपने संबोधन में बताया कि उन्होंने अपने दिवंगत पति जिम्मी मगिलिगन के साथ झाबुआ, अलीराजपुर, निमाड़ और छत्तीसगढ़ में रहते हुए सतत विकास के सिद्धांतों को व्यवहार में सीखा और पिछले चार दशकों में हजारों आदिवासी महिलाओं को ‘सस्टेनेबल सामुदायिक सेविका’ के रूप में प्रशिक्षित किया है।

उन्होंने कहा कि “सतत विकास का सार अपने तन, मन और आत्मा के संयम, प्रकृति के साथ सद्भाव और संसाधनों के संरक्षण में निहित है।” उन्होंने बच्चों को अभिप्रेरित करते हुए कहा कि कैसे आयुर्वेद, जैविक खाद्य, सोलर कुकिंग और सोलर इंजीनियरिंग जैसे भारत की पारंपरिक कला और विज्ञान सतत जीवनशैली का हिस्सा बन सकते हैं।

पर्यावरण संरक्षण के विषय में बच्चों से संवाद करते हुए डॉ. समीर शर्मा ने कहा कि उनकी संस्था होटल, रेस्टोरेंट और बड़े आयोजनों से गीला कचरा इकट्ठा कर उसे गैस में बदलने का कार्य करती है। उन्होंने  बच्‍चों को ‘शून्य प्लास्टिक उपयोग’ का संकल्प दिलवाया और अमरनाथ यात्रा के दौरान पहाड़ों पर फैले कचरे को एकत्र कर रिसाइकिल करने के अपने अनुभव साझे किए।

कार्यक्रम में प्राचार्या डॉ. कंचन तारे ने कहा कि जनक दीदी के कार्यों का अनुसरण करते हुए हम सभी और बच्चों को न केवल पर्यावरण संरक्षण के लिए बल्कि सतत विकास में सक्रिय भागीदारी के लिए आगे आना चाहिए

कार्यशाला में विद्यार्थियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। कार्यक्रम का संचालन शैली भागवत ने किया, और समन्वयक अर्पणा मालवीय ने आभार प्रकट किया।