‘वर्तमान दौर में शांति और मानव गरिमा’ विषय पर आयोजित जन-संवाद में डॉ. एवलिन ग्रेडा लिंडनर

इंदौर, 2 फरवरी। एक व्यक्ति, समाज और राष्ट्र के रूप में हमें सामूहिक जिम्मेदारी से गरिमामय वैश्विक सहयोग की ओर बढ़ना होगा। दुनिया को एक ग्लोबल विलेज की तरह सामूहिक जिम्मेदारी से चलाना होगा, जहां हर नागरिक एक वैश्विक नागरिक के रूप में अपना योगदान दे। संवाद और मोहब्बत मज़बूत सहयोग का आधार होता है। वैश्विक संघवाद की भावना को प्रबल करना होगा। संयुक्त राष्ट्र के स्थान पर संयुक्त नागरिकता को अपनाना होगा।

ये विचार ह्यूमन डिग्निटी एंड ह्यूमिलेशन स्टडीज (एचडीएचएस) की संस्थापक अध्यक्ष एवं वर्ल्ड डिग्निटी यूनिवर्सिटी की सह-संस्थापक डॉ. एवलिन ग्रेडा लिंडनर ने “वर्तमान दौर में शांति और मानव गरिमा” विषय पर आयोजित जन-संवाद में व्यक्त किए। कार्यक्रम का आयोजन अखिल भारतीय शांति एवं एकजुटता संगठन और स्टेट प्रेस क्लब, मध्य प्रदेश द्वारा गांधी शहादत दिवस के अवसर पर किया गया।

उन्‍होंने कहा कि आज व्यक्ति और राष्ट्रों के बीच संबंध बाजार की कीमत और मुनाफे से तय और संचालित होते हैं। सामूहिक हित और जिम्मेदारी की भावना विलुप्त हो रही है। यही कारण है कि सामाजिक और पारिस्थितिक अपराध बढ़ रहे हैं। हिंसा,  नफरत और आतंकवाद का सीधा संबंध संसाधनों, अहम और प्रतिष्ठा के लिए प्रतिस्पर्धा और वर्चस्व की भावना से है।

प्रबुद्ध नागरिकों से संवाद करते हुए डॉ. लिंडनर ने मानव गरिमा कायम रखने और अवमान से ऊपर उठने की दिशा में अपने दीर्घकालिक कार्य अनुभव का जिक्र करते हुए कहा कि युद्ध के साथ ही आर्थिक, सामाजिक,  लैंगिक गैर बराबरी,  अवसरों की असमानता, क्षेत्रीय विषमता, पर्यावरणीय संकट जैसे कारक न केवल दुनिया में जारी युद्धों और विवादों की वज़ह है अपितु वे मानवता को भी लगातार अपमानित करते हैं और मानव गरिमा औऱ विश्व शांति की राह में बाधा हैं। राष्ट्रों की एक दूसरे के प्रति असुरक्षा की भावना हथियारों की होड़ का कारण बनती है। उदारवाद की नजर में बाजार और व्यापार युद्ध टाल सकते हैं I

महात्मा गांधी को उध्‍दृत करते हुए उन्होंने कहा कि शांति का कोई मार्ग नहीं है अपितु शांति स्वयं एक मार्ग है। गांधी के अहिंसा, प्यार और सहकारिता के सूत्र इस दिशा में हमारा मार्गदर्शन करते हैं। आज भी दुनिया भर में गांधी विचार की गूंज है।  

तेजी से बदलती तकनीक के दौर में जब एआई से दुनिया संचालित करने के प्रयास हो रहे हैं,  ऐसे समय में मानवीय मूल्यों के संरक्षण हेतु एक नई विचारधारा विकसित करने का प्रयास किया जा रहा है, इस हेतु मैं पिछले पचास वर्षों से दुनिया का भ्रमण कर रही हूं। दुनिया में समानता और सम्मान पूर्वक जीवन जीने का सबको अवसर मिलना चाहिए।

संवाद का समन्वय और अनुवाद रेनेसां विश्वविद्यालय, इंदौर के कुलपति डॉ. राजेश दीक्षित नीरव ने किया। अतिथि स्वागत स्टेट प्रेस क्लब के अध्यक्ष प्रवीण खारीवाल, अखिल भारतीय शांति एवं एकजुटता संगठन के शिवाजी मोहिते, हरनामसिंह, रामस्वरूप मंत्री,  सुनील चंद्रन, डॉ कीर्ति यादव, अर्चना सेन, सारिका श्रीवास्तव, शफी शैख, विजय दलाल, अजीत केतकर, मिलिंद रावल ने किया। अतिथि परिचय अखिल भारतीय शांति एवं एकजुटता संगठन के महासचिव अरविंद पोरवाल ने दिया, संचालन विवेक मेहता और आभार प्रदर्शन श्याम सुंदर यादव ने किया। कार्यक्रम में शहर के प्रबुद्ध नागरिक, सामाजिक कार्यकर्ता, पत्रकार आदि बडी संख्‍या में उपस्थित थे।

उल्‍लेखनीय है कि एवलिन लिंडनर एक चिकित्सक और मनोवैज्ञानिक हैं, जो चिकित्सा और मनोविज्ञान विषय की उपाधि प्राप्‍त है। उन्होंने जर्मनी के हैम्बर्ग विश्वविद्यालय से चिकित्सा में पीएच.डी. और नॉर्वे के ओस्लो विश्वविद्यालय से मनोविज्ञान में पीएच.डी. प्राप्त की है। वे ह्यूमन डिग्निटी एंड ह्यूमिलिएशन स्टडीज (HumanDHS) की संस्थापक अध्यक्ष हैं। यह एक वैश्विक अंतर्विषयक समुदाय है, जिसमें शिक्षाविदों और विशेषज्ञों की भागीदारी है, जो गरिमा को बढ़ावा देने और अपमान से ऊपर उठने के प्रयासों में समर्पित हैं। इसके साथ ही, वे वर्ल्ड डिग्निटी यूनिवर्सिटी पहल की सह-संस्थापक हैं, जिसमें डिग्निटी प्रेस और वर्ल्ड डिग्निटी यूनिवर्सिटी प्रेस शामिल हैं। ये सभी पहलें गैर-लाभकारी हैं और वैश्विक स्तर पर गरिमा और सम्मान को प्रोत्साहित करने के लिए समर्पित हैं।