सेवाग्राम, वर्धा। गांधी आश्रम परिसर, सेवाग्राम के यात्री निवास में देश के 16 राज्यों के 160 युवक-युवती इकट्ठा हुए हैं। सर्व सेवा संघ के युवा सेल द्वारा 20 से 24 सितंबर 2021 तक आयोजित इस तालीम- शिविर में शामिल सहभागी गांधी के रास्ते पर चलते हुए देश और दुनिया की समस्याओं का हल खोजेंगे। एक तरफ जब हिंसा,युद्ध,कट्टरता, आतंकवाद और धर्मांधता का माहौल है तो दूसरी तरफ शांति, अहिंसा, सादगी और मानवीय जरूरतों की पूर्ति का प्रयास तेज करने के लिए ये वापस जाकर देश के विभिन्न हिस्सों में चेतना जगायेंगे।

अंधराष्ट्रवाद के संकीर्ण माहौल में जय जगत के उदघोष के साथ शिविर का प्रारंभ हुआ। शिविर का उद्घाटन करते हुए सर्व सेवा संघ के अध्यक्ष चंदन पाल ने कहा कि शिविर एक नए मनुष्य के निर्माण का माध्यम बनता है। उन्होंने अपने अनुभव को साझा करते हुए कहा 1964 में पहली बार शिविर में शामिल हुआ था जिसमें जयप्रकाश नारायण, दादा धर्माधिकारी, मनमोहन चौधरी, ठाकुरदास बंग जैसे मनीषी आए थे। मेरे शिविर में शामिल होने का मेरे मन पर इतना गहरा असर हुआ कि वह आज भी भूला नहीं है और उसने मेरे जीवन को निश्चित दिशा में निर्धारित कर दिया। उन्होंने कहा कि गांधी कोई दार्शनिक नहीं थे बल्कि उदाहरण प्रस्तुत करने वाले  व्यक्ति थे। बांग्ला मुक्ति- आंदोलन के समय लाखों शरणार्थी भारत आए थे। उन्होंने बताया कि उन कैंपों में हम सफाई करने जाते थे और टेंपरेरी शौचालय से हाथ से पाखाना साफ करते थे। चंदन पाल ने कहा कि ऐसे काम हमें मानवीय बनाते हैं, दूसरों के दुख-दर्द को समझने का सामर्थ्य देते हैं। उन्होंने आशा व्यक्त की की यह शिविर आपके जीवन को नई दिशा प्रदान करने में सहायता करेगा ।

देश निर्माण में कानूनों की भूमिका का मूल्यांकन

पांच दिवसीय राष्ट्रीय युवा शिविर के दूसरे दिन “देश निर्माण के संदर्भ में कानूनों का मूल्यांकन” विषय पर विमर्श हुआ ।

सर्व सेवा संघ प्रकाशन समिति के संयोजक अरविंद अंजुम ने विषय प्रवेश कराते हुए कहा कि किसी भी कानून का मूल्यांकन सार्वभौम मानवीय मूल्यों , कानून के शासन का सिद्धांत तथा भारतीय संविधान की मूल प्रतिस्थापनाओं की कसौटी पर किया जाना चाहिए । अगर कानून इन आधारों का उल्लंघन करता है और देश की जनता के ऊपर जबरन थोपा जाता है तो वह सामाजिक एकता को विखंडित करेगा । देश सिर्फ भूगोल या किसी राजनीतिक विचारधारा या प्रणाली का नाम भर नही है । देश एक पारस्परिकता है जो आपसी मेल-मिलाप से स्वाभाविक रूप से विकसित होता है । 

दूसरे सत्र में प्राध्यापक डॉ अभय पांडेय ने वर्तमान चुनौतियों के संदर्भ में युवाओं की भूमिका विषय पर चर्चा करते हुए कहा कि युवा मन की अवस्था है , शिविर में कुछ 60 साल के जवान हैं तो कुछ 18 साल के बूढ़े भी । आपने कहा कि समस्याओं के सामने खड़े होना ही उससे मुक्ति का एकमात्र उपाय है । आपने कहा युवकों को जानकारी, जिम्मेदारी, भागीदारी और साझेदारी के लिए खुद को तैयार करना चाहिए ।

शिविर में नुक्कड़ नाटक पर राष्ट्रीय युवा सेल के संयोजक बजरंग सोनावणे ने सत्र लिया और शिविरार्थियों को नुक्कड़ नाटक की बारीकियां सिखाई । इसके पूर्व शिविर के सुबह के सत्र में प्रकृति प्रार्थना, श्रमदान, योगासन के साथ ही सुबह के सत्र में प्रेम विषय पर श्रीकांत बराते ने युवकों का प्रबोधन किया जबकि शाम की आश्रम प्रार्थना के बाद चौपाल में एडवोकेट रमा सरोदे ने शिविर को संबोधित किया । शिविरार्थियों की चर्चा में सहभागिता के लिए ग्रुप चर्चा और सवाल जबाब के सत्र रखे गए तथा समाज परिवर्तन के गीत सिखाये गए ।

शिविर में प्रबोधन के लिए सर्वोदय के वरिष्ठ साथी रामधीरज,  गौरांग महापात्र, शेख हुसैन, मुकुंद महस्के, सुरेश भाई, अशोक भारत, बजरंग सोनवने, अविनाश काकडे, अरविंद अंजुम, संतोष कुमार द्विवेदी, दीप्ति बेन, असीम सरोदे, प्रशांत गूजर, मनोज ठाकरे, यशपाल कपूर, लोकेश गुप्ता आदि उपस्थित रहे ।

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