पिछले पांच साल में बिना बिजली खरीदे वि़द्युत कम्पनियों को बतौर फिक्स चार्ज किया 12834 करोङ़ रुपए का भुगतान
परमाणु उर्जा स्वच्छ नहीं है। इसके विकिरण के खतरे सर्वविदित है। वहीं परमाणु संयंत्र से निकलने वाली रेडियोधर्मी कचरा का निस्तारण करने की सुरक्षित विधि विज्ञान के पास भी नहीं है। ऐसी दशा में 2.4 लाख वर्ष तक रेडियोधर्मी कचरा जैवविविधता को नुकसान पहुंचाता रहेगा। अध्ययन में यह बात भी सामने आया है कि परियोजना के आसपास निवास करने वाले लोगों के बीच विकलांगता, कैंसर और महिलाओं में गर्भपात एवं बांझपन की मात्रा बढ़ गई है।
परमाणु उर्जा संयत्रों के इतिहास की तीन भीषण दुर्घटनाओं थ्री माइल आइस लैंड (अमेरिका), चेर्नोबिल (यूक्रेन) और फुकुशिमा (जापान) ने बार – बार हमें यह चेताया है कि यह एक ऐसी तकनीक है जिस पर इंसानी नियंत्रण नहीं है। इस परिस्थिति में इस परियोजना के निर्माण पर पुनर्विचार करना चाहिए। अगर इन खतरों के बाद भी सरकार इस परियोजना को बनाना चाहती है तो प्रदेश की जनता परमाणु संयंत्र से बनने वाली बिजली का दर जानना चाहती है। जो नहीं बताया जा रहा है, जबकि उत्पादित बिजली का 50 % मध्यप्रदेश सरकार को खरीदना है।
ज्ञात हो कि रीवा सोलर प्लांट से मिलने वाली बिजली का अधिकतम दर रूपये 2.97 है। जो दिल्ली मेट्रो को बेचा जा रहा है। वर्ष 2020 के सरकारी आंकङे अनुसार प्रदेश में नवीकरणीय उर्जा की क्षमता 3965 मेगावाट है। जबकि प्रदेश के विभिन्न अंचलों में 5 हजार मेगावाट की सोलर पावर प्लांट निर्माणाधीन है।
बरगी बांध विस्थापित एवं विस्थापित संघ के राजकुमार सिन्हा ने बताया कि रिसर्च फाउंडेशन दिल्ली रिपोर्ट के अनुसार परमाणु बिजली की लागत 9 से 12 रूपये प्रति यूनिट आएगी। लगभग चालीस वर्ष तक चलने वाली परमाणु उर्जा संयत्र का डी- कमिशनिंग (संयंत्र को बंद करना) आवश्यक होगा। जिसका खर्च स्थापना खर्च के बराबर होगा। अगर इस खर्च को भी जोङ़ा जाएगा तो बिजली उत्पादन की लागत 20 रुपए प्रति यूनिट आएगी। अब इस हालत में मध्यप्रदेश सरकार बिजली खरीदी अनुबंध कैसे करेगी?
ज्ञात हो कि प्रदेश में मांग से 50 फीसदी बिजली ज्यादा बिजली उपलब्ध है। वर्ष 2019- 20 में कुल 28293.97 मिलियन यूनिट यानि 2 अरब 82 करोङ़ 93 लाख 97 हजार 726 यूनिट बिजली सरेंडर की गई थी। मध्यप्रदेश पावर मेनेजमेन्ट कम्पनी ने पिछले पांच साल में बिना बिजली खरीदे वि़द्युत कम्पनियों को 12834 करोङ़ रुपए का भुगतान बतौर फिक्स चार्ज कर दिया है। 2014 से 2020 वि़द्युत कम्पनियों का घाटा 36812 करोङ़ रुपए और कर्ज 50 हजार करोङ़ रुपए पार हो गया है। इस कारण प्रदेश के हर बिजली उपभोक्ता पर 25 हजार का कर्ज है। अगर विद्युत कम्पनियां चुटका परमाणु संयंत्र से महंगी बिजली खरीदी अनुबंध करती है तो प्रदेश की 1.30 करोङ़ बिजली उपभोक्ताओं को ही आर्थिक बोझ उठाने के लिए तैयार रहना होगा।
बरगी बांध विस्थापित एवं विस्थापित संघ मांग करता है कि मध्य प्रदेश के मंडला जिले के चुटका गाँव में निर्माणाधीन चुटका परमाणु संयंत्र से उत्पादित बिजली का दर सार्वजनिक किया जाए।