अनैतिक और अलोकतांत्रिक ढंग से गांधी विचारक के ऐतिहासिक स्थल का विध्वंस
वाराणसी, 12 अगस्त। सर्व सेवा संघ परिसर,राजघाट को आज सुबह स्थानीय प्रशासन तथा रेलवे की जुगलबंदी से ध्वस्त करने की कार्यवाही शुरू हुई। यहां सर्व सेवा संघ परिसर में 80 भवनों को गिराने की कार्रवाई चल रही है। सुबह से ही ध्वस्तीकरण में 6 बुलडोजर बुला लिये गए थे। इस दौरान सर्व सेवा संघ परिसर में भवनों के ध्वस्तीकरण के खिलाफ गांधी विचारकों व परिसर के निवासियों ने पुरजोर विरोध किया, जिसके बाद पुलिस ने 10 कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया है। दूसरी तरफ, वाराणसी में हो रहे बुलडोजरों के खिलाफ शनिवार को देशभर में सर्वोदय कार्यकर्ता एक दिन का उपवास रखकर विरोध जता रहे हैं।
सर्व सेवा संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंदन पाल में बताया कि आज सुबह 6:30 बजे तक बुलडोजर और भारी संख्या में पुलिसकर्मी सर्व सेवा संघ परिसर के अंदर प्रवेश कर गए और भवनों को गिराना शुरू कर दिया। उन्हें ऐसा करने का किसी भी प्रकार का अदालती आदेश हासिल नहीं है। फिर भी वैसा कर रहे हैं, जो सरासर गलत है। यह लोकतंत्र, विधान एवं कानून के राज के सिद्धांत पर सीधा हमला है, यह निंदनीय है। प्रशासन की इस मनमानी का जब विरोध करने के लिए सर्व सेवा संघ के मंत्री अरविंद कुशवाहा, उत्तर प्रदेश सर्वोदय मंडल के अध्यक्ष राम धीरज तथा सामाजिक कार्यकर्ता नंदलाल मास्टर, फादर आनंद, जागृति राही, अनूप श्रमिक, ध्रुव राज,अनूप आचार्य, तारकेश्वर आदि को गिरफ्तार कर लिया गया है।
उन्होंने कहा कि प्रशासन का यह हमला पूर्व नियोजित है। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल एसएलपी का आदेश 10 अगस्त 2023 को वेबसाइट पर अपलोड हुआ, जिसमें कहा गया है कि ध्वस्तीकरण के स्थगन के लिए सिविल कोर्ट में सुनवाई हो। पर 11 अगस्त को कोर्ट जाने के बाद पता चला कि फास्ट ट्रैक कोर्ट, सीनियर डिवीजन, सिविल के जज श्री आकाश वर्मा का स्थानांतरण हो गया है। शनिवार को सिविल कोर्ट में अवकाश है। अतः यह रास्ता भी बंद है।
75 वर्षीय वरिष्ठ गांधी विचारक चंदन पाल ने कहा कि यह सोचना नादानी होगी कि स्थानीय सांसद एवं प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की सहमति के बिना ऐसा हो रहा है। स्पष्ट है कि प्रधानमंत्री कार्यालय के इशारे पर ही यह विध्वंस रचा जा रहा है। यह घटना भारतीय इतिहास की एक शर्मनाक घटना के रूप में याद किया जाएगा। जहां गांधी, विनोबा, जयप्रकाश, दादा धर्माधिकारी, नारायण देसाई, जे सी कुमारप्पा, धीरेंद्र मजूमदार, शिवानंद, जे कृष्णमूर्ति जैसे मनीषियों की किताबों का कत्ल किया गया है। किताबें और पुस्तकालय को बर्बाद करने वाले दुर्दांत जालिम के रूप में ये सत्ताधीश जाने जाएंगे। यह बुलडोजर सत्ता का हमला है, जो गांधी, विनोबा और जेपी की विरासत को नष्ट करने के इरादे से किया जा रहा है। लेकिन ऐसा संभव नहीं है। दुनिया गांधी के रास्ते पर चल पड़ी है। हमारे सत्ताधीश गांधी के रास्ते पर चलने का नाटक करते हैं। पर ये गांधी की स्मृतियों को नष्ट करने पर तुले हुए है। उनका यह पाखंड ज्यादा दिन चलने वाला नहीं है।
चंदन पाल ने गिरफ्तार साथियों का अभिनंदन करते हुए कहा है कि पूरा देश उनके साथ खड़ा है, आदर्शों के साथ खड़ा है। हम सभी लोकतंत्र एवं मानवता के प्रति आस्था रखने वाले और गांधी, विनोबा, जयप्रकाश, डॉक्टर लोहिया, बाबा साहेब अंबेडकर के सपनों को साकार करने के लिए संघर्ष करते रहेंगे।। सर्व सेवा संघ सहित सभी लोकतांत्रिक संगठनों से मेरा अपील है कि इस हमले के खिलाफ अपने-अपने स्तर पर हर संभव प्रतिवाद करें।
सर्व सेवा संघ के प्रबंधक ट्रस्टी महादेव विद्रोही ने कहा कि वाराणसी में रेलवे और प्रशासन द्वारा सर्व सेवा संघ के भवनों को तोड़ने की कार्रवाई अनुचित और गैर जिम्मेदाराना है। पता नहीं वे इससे क्या सिद्ध करना चाहते हैं। कहीं वे यह तो नहीं दिखाना चाहते हैं कि जो न्याय की मांग करेगा उसका यही हस्र होगा?
श्री विद्रोही ने कहा कि यह मामला अभी भी न्यायालय के विचाराधीन है और 14 अगस्त को उस पर सुनवाई होनी है। उससे पहले मकानों को ध्वस्त करना न्याय की प्रक्रिया में व्यवधान डालना है और यह सिद्ध करने की कोशिश करना है कि न्यायपालिका नहीं कार्यपालिका ही सर्वोच्च है। प्रशासन ने आपराधिक कृत्य किया है।
इस मामले में वे लोग भी उतने ही जिम्मेवार हैं जो अनाधिकृत रूप से और आधे -अधूरे तथ्यों के साथ न्यायालय गये, परिणामस्वरूप हर जगह मुंह की खानी पड़ी। अपने घमंड तथा गलत ढंग से मकानों पर काबिज़ लोगों को बचाने के लिए पूरे सर्व सेवा संघ की ही दांव पर लगा दिया।
सर्व सेवा संघ एक गैर राजनीतिक संगठन है, पर इन स्वार्थियों ने इसे राजनीतिक दलों का अखाड़ा बना दिया।
विरोध करने वालों को थाने भेजा
शनिवार सुबह करीब 8 बजे सर्व सेवा संघ पर पुलिस पहुंच गई। पूरे एरिया को घेर लिया गया। करीब 9 बजे यहां प्रशासन-पुलिस के अफसर भी पहुंच गए। विरोध कर रहे कार्यकर्ताओं को समझाने के बाद उन्हें परिसर से दूर ले जाया गया। बुलडोजर ने करीब 10 बजे ध्वस्तीकरण शुरू किया।
गांधी विद्या संस्थान को अभी नहीं किया ध्वस्त
सर्व सेवा संघ से जुडे एक चश्मदीद ने बताया कि गांधी विद्या संस्थान के बारे में पुलिस वालों से पूछा गया तो बताया कि अभी गांधी विद्या संस्थान के मुख्य ऑफिस और और गेस्ट हाउस गिराने के आदेश नहीं मिले है। गांधी विद्या संस्थान का निर्देशक आवास भी अभी नहीं गिराया गया है। बाकी पूरा परिसर जमींदोज कर दिया गया है, सब कुछ इस खंडहर में दफन हो गया है, अब बस यादें रह गई हैं।
हाल ही में किसान राकेश टिकैत, योगेंद्र यादव और मेधा पाटकर ने सर्व सेवा संघ परिसर को बचाने के लिए जोर-शोर से आवाज उठाई थी। राकेश टिकैत ने कहा था कि अगर सरकार ने बुलडोजर चलाया तो अपने ट्रैक्टर हम दिल्ली के आगे बनारस भी मोड़ सकते हैं। जमीन बचाने को लेकर पिछले करीब 80 दिन से सर्व सेवा संघ के लोगों ने जी तोड़ धरना प्रदर्शन किया। जमीन के कई कागज भी दिखाए, मगर सारे दावे नकार दिए गए।
बुलडोजर और पुलिस बल के साथ सर्व सेवा संघ परिसर पहुंचे प्रशासनिक और रेलवे के अधिकारियों ने 22 जुलाई को सामान बाहर निकलवा दिया था। लाइब्रेरी की काफी किताबें बाहर फेंक दी गईं थीं। तब 8 लोगों को हिरासत में ले लिया गया था। यहां के करीब 50 आवास और चार संग्रहालयों को खाली कराया गया। जमीन पर संघ के मालिकाना दावे को जिलाधिकारी कोर्ट ने पहले ही खारिज कर दिया था। इसके बाद रेलवे प्रशासन ने जमीन से कब्जा हटाने और भवन ध्वस्त करने का नोटिस चस्पा कर दिया था।
समाजवादी विचारक योगेंद्र यादव ने इस घटनाक्रम पर कहा कि बनारस के सर्वसेवा संघ में सरकार ने जो कुछ किया है वह गांधी विरासत को हड़पने व नष्ट करने के षड्यंत्र के बड़े प्रयास का एक हिस्सा है। यह पहले साबरमती आश्रम गुजरात में हो चुका है।यही प्रयास गांधीग्राम वर्धा में भी हुआ है।अब इसी खेल को सर्वसेवा संघ बनारस में खेला जा रहा है!
विरोध में एक दिवसीय उपवास सत्याग्रह: महामहिम राष्ट्रपति से भवन ध्वस्तीकरण पर रोक लगाने की अपील
भवनों के ध्वस्तीकरण की कार्रवाई के खिलाफ उतर प्रदेश सरकार तथा रेल पुलिस की तानाशाही तथा अलोकतांत्रिक रवैया को लेकर सर्वोदय मंडल, सीतामढी (बिहार) के तत्वावधान में सर्व सेवा संघ के राष्ट्रीय महामंत्री प्रो आनन्द किशोर के नेतृत्व में एक दिवसीय उपवास सत्याग्रह किया गया तथा महामहिम राष्ट्रपति को मेल भेजकर अविलंब भवन ध्वस्तीकरण पर रोक लगाने की मांग की गई।
राष्ट्रपति को भेजे मेल में कहा गया है कि सर्व सेवा संघ की 13 एकड़ भूमि राष्ट्रपति डा. राजेन्द्र प्रसाद, लालबहादुर शास्त्री तथा जगजीवन बाबू के प्रयास से सर्व सेवा संघ को 1960,1961 तथा 1970 में निबंधित हुई थी, जिस पर संत विनोबा तथा जयप्रकाश नारायण द्वारा साधना केंद्र तथा गांधी विद्या संस्थान की स्थापना की गई। बापू साहित्य प्रकाशन की स्थापना हुई। सरकार की साजिश के तहत रेलवे द्वारा उसे कूटरचित रजिस्ट्री बताकर न्यायालय में मामला लंबित रहते हुए भी जबरन भूमि तथा भवन पर कब्जा किया गया और आज ध्वस्तीकरण शुरू करा दी गई। भूमि निबंधन की राशि रेल के कोषागार में जमा हुआ, दाखिल खारिज की नोटिस तामिला हुआ, रजिस्ट्रार ने रजिस्ट्रीकरण का प्रमाणीकरण किया। आज 63 वर्षो के बाद रेलवे द्वारा संत विनोबा पर कूटरचित तरीके से भूमि निबंधन कराने का आरोप लगाकर भवन ध्वस्तीकरण किया जाना तानाशाही सरकार का गांधी विचार को कमजोर करने की साजिश है।
महामहिम से आग्रह किया गया सरकार देश तथा दुनिया की नजर में महापाप कर रही है, आप देश को इस महापाप तथा बदनामी से बचाने हेतु हस्तक्षेप कर अविलंब ध्वस्तीकरण पर रोक लगाने का आदेश दें।
उपवास सत्याग्रह में प्रो. आनन्द किशोर के साथ सर्वोदयी शशिधर शर्मा, रामप्रमोद मिश्र, नन्दकिशोर मंडल, वीणा देवी, पूर्व प्राचार्य ब्रजमोहन मंडल, अशोक कुमार सिंह, विवेक कुमार यादव, मनीषा, राजीव कुमार, मनीष कुमार सहित अन्य शामिल थे।