राष्ट्रीय विमर्श के समापन पर सर्वसम्मति से लिया संकल्प
12 सितंबर। राजघाट,नई दिल्ली। राष्ट्रीय गांधी संग्रहालय के सभागार में देशभर से आये वरिष्ठ और प्रबुद्ध गाँधीजनों का तीन दिनी राष्ट्रीय विमर्श समाप्त हो गया। इस तीन दिवसीय विमर्श में देश,दुनिया और गांधी- जमात के सामने पेश आ रही चुनौतियों को उसके वास्तविक रूप में समझने और रास्ता निकालने पर सघन चर्चा हुई। यह तय किया गया कि स्वतंत्रता आंदोलन के धरोहरों और साबरमती को बचाने के लिए 2 अक्टूबर को पूरे देश में गाँधीजन उपवास करेंगे।
चर्चा में सर्व सेवा संघ के अध्यक्ष चंदन पाल, पूर्व अध्यक्ष एवं वरिष्ठ गांधी विचारक अमरनाथ भाई व सुगन बरंठ, सर्व सेवा संघ के प्रबंधक ट्रस्टी अशोक शरण, गांधी स्मारक निधि के अध्यक्ष रामचंद्र राही, गांधी शांति प्रतिष्ठान के अध्यक्ष कुमार प्रशांत, सर्वोदय समाज के संयोजक पी. वी. राजगोपाल, गांधी संग्रहालय के अध्यक्ष ए. अन्नामलाई, सेवाग्राम आश्रम प्रतिष्ठान, सेवाग्राम के अध्यक्ष टी. आर. एन. प्रभु ने प्रमुख रूप से अपने विचार रखे।
दिल्ली में आयोजित विमर्श में रमेश दाने, राष्ट्रीय युवा संगठन के डॉ. विश्वजीत, आशा बोथरा, रामसरण, मणिमाला,शुभा आरएम, गौरांग महापात्र, रविन्द्र सिंह चौहान, रामधीरज भाई, अशोक भारत, शुभा प्रेम, भगवान सिंह, शंकर नायक, शेख हुसैन, खम्मनलाल शांडिल्य, सुखपाल सिंह, प्रदीप खेलुलकर, संतोष द्विवेदी, पत्रकार अरविंद अंजुम, अविनाश काकड़े, सोपान जोशी, राकेश रफीक, जौहरी मल वर्मा, डॉ ए के अरुण,अजय सहाय, लक्ष्मण सिंह,शकर नायक, केंद्रीय गांधी स्मारक निधि के मंत्री संजय सिंह आदि शामिल हुए।
गांधीजनों ने मनाई विनोबा जयंती
इस अवसर पर सर्व सेवा संघ के अध्यक्ष चंदन पाल ने कहा कि विनोबा जी का विचार है कि युद्ध की अनुपस्थिति का मतलब शांति नहीं है, बल्कि भय की अनुपस्थिति से शांति आती है। आज चारों ओर भय का वातावरण है जिसे निर्भयता के संकल्प और कार्यक्रम के माध्यम से दूर करना सर्वोदय आंदोलन का दायित्व है। हम इस कर्तव्य के निर्वाह के लिए प्रतिबद्ध हैं।
वयोवृद्ध गांधीवादी अमरनाथ भाई ने कहा कि विनोबा का व्यक्तित्व हिमालय की शांति और बंगाल की क्रांति का समन्वय है। उन्होंने कहा कि भूदान और ग्रामदान युगांतर विचार और घटना है जिसमें समाज को एक हद तक बदला है।
आचार्य विनोबा भावे की 126वीं जयंती के अवसर पर देशभर के गाँधीजनों अमरनाथ भाई, आशा बोथरा, सवाई सिंह, राजेन्द्र सिंह आदि ने उनके चित्र पर सूतमाला पहनाकर श्रद्धांजलि अर्पित की।
सर्वोदय समाज के संयोजक पी. वी. राजगोपाल ने कहा कि वन अधिकार कानून, भूअर्जन-पुनर्वास कानून 2013 को भूदान-ग्रामदान का विस्तार और निरंतरता में देखा जाना चाहिए। जमीन की समस्या का समाधान के बारे में विनोबाजी ने तीन तरीके बताए थे — करुणा, कानून और कत्ल। विनोबाजी ने कत्ल का रास्ता खारिज कर करुणा का रास्ता अपनाया। अब कई कानूनों के जरिये जनता को भू-अधिकार मिले हैं, इसे भूलना नहीं चाहिए।