एक सौ से अधिक रचनात्मक संस्थाओं और व्यक्तियों ने की हस्तक्षेप करने की मांग
देश के विभिन्न जन आंदोलनों, संगठनों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और अमन-प्रेमी आम नागरिकों की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक खुला पत्र लिखकर पिछले कुछ समय से देश के विभिन्न हिस्सों मे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रतिमा को खंडित करने और उन्हें तरह तरह से अपमानित करने की घटनाओं के विरोध और इस मामले में न्याय करने हेतु मांग की हैं। पत्र में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी कि प्रतिमाओं को तोड़ने और उन्हें अपमानित करने वाली प्रमुख घटनाओं का जिक्र किया गया।
हस्ताक्षरकर्त्ताओं मानना है कि प्रधान मंत्री होने के नाते आज़ादी आंदोलन के शहीदों के सम्मान और संवैधानिक मूल्यों, अधिकारों की रक्षा करना पहला फर्ज है तथा सामूहिक रूप से मांग की हैं कि इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए तत्काल कदम उठाएं।
हस्ताक्षरकर्ताओं ने पत्र में लिखा है कहा कि महात्मा गांधी की कर्मभूमि चंपारण जिले के मुख्यालय मोतीहारी (बिहार) में गांधी की आदमकद प्रतिमा को कुछ दिन पहले (फरवरी 2022 में) तोड़ दिया गया। यह मात्र एक घटना नहीं है। पिछले कुछ वर्षों से, इस तरह की घटनाएं लगातार हो रही है। वहीं मार्च 2018 में केरल के कन्नूर में गांधी प्रतिमा तोड़ी गई। अक्तूबर 2018 को आन्ध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम, मधुरवाङा में गांधी की 150 वीं जयंती के अवसर पर भी गांधी की प्रतिमा को खंडित किया गया। 2019 में उत्तर प्रदेश के जालौन जिले में गांधी प्रतिमा को तोड़ा गया। फरवरी 2020 में झारखंड के हजारीबाग में गांधी प्रतिमा को क्षतिग्रस्त किया गया। मार्च 2021 में मध्य प्रदेश के मंदसौर में गुर्जर माध्यमिक विद्यालय में गांधी प्रतिमा को क्षतिग्रस्त किया गया।
हाल के वर्षों में गांधीजी की प्रतिमा को तोड़ना, उनके बारे में अपशब्द कहना और उनके खिलाफ़ दुष्प्रचार फैलाने की घटनाएं, विशेष रूप से हिन्दुत्ववादी कट्टरपंथी संगठनों द्वारा निरंतर जारी हैं। इसके अलावा गांधीजी की मूर्ति बनाकर उसे गोली मारने एवं गांधी जी के हत्यारे नथुराम गोडसे का महिमामंडन करने वाली भी घटनाएं भी रोज-बरोज सामने आती ही रहती हैं।
आज़ादी की लड़ाई में नेतृत्वकारी भूमिका निभाने वाले, हिन्दू–मुस्लिम एकता के लिए जान अर्पित करने वाले राष्ट्रपिता का यह अपमान देश की बड़ी आबादी को शर्मशार और व्यथित कर रहा है। पत्र में कहा गया है कि आपकी तरफ से कभी भी इन घटनाओं की साफ निंदा नहीं की गई और न ही इस मानसिकता के लोगों को स्पष्ट संदेश दिया जा रहा है। यह बहुत ही दुःखद है।
पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में भारत ज्ञान विज्ञान समिति, गांधी शांति प्रतिष्ठान, गांधी विचार फाउंडेशन, राइट टू फूड केंपेन, सर्व सेवा संघ, गुजरात लेाक समिति, नेशनल मुस्लिम वूमन वेलफेयर सेासायटी, जयपुर, आजादी बचाओ आंदोलन, नर्मदा बचाओ आंदोलन, नेशनल एलाइंस आफ पीपुल मूवमेंट, स्वास्थ्य अधिकार मंच, नर्मदा बचाओ आंदोलन, एकता परिषद् सहित 140 से अधिक संस्थाओं के प्रतिनिधियों और व्यक्ति उल्लेखनीय है।