बागी समर्पण स्थल जौरा में देश भर आये नवजवानों ने की सर्वधर्म प्रार्थना
जौरा, मुरैना। 13 अप्रैल । चम्बल घाटी का जौरा हिंसा मुक्ति, प्रतिकार मुक्ति और शोषण मुक्ति के अभियान की जननी रही है। जहां पर 1970 के दशक में बागी आत्मसमर्पण प्रतिकार मुक्ति का पहला कदम था तो आदिवासियों को जागरूक कर उनके भूमि अधिकार की लड़ाई शोषण मुक्ति पर केन्द्रित रहा। इसलिए चम्बल घाटी की स्मृति से दुनिया को शांति का संदेश जायेगा, हिंसा प्रति हिंसा में आगे बढ़ रही इस दुनिया को गांधी के सिद्वांतों की बहुत ही जरूरत है। उक्त उद्गार प्रख्यात गांधीवादी व सर्वोदयी नेता श्री राजगोपाल पी.व्ही ने राष्ट्रीय युवा सम्मेलन के दौरान कहीं।
सर्वोदयी नेता श्री राजगोपाल पी.व्ही ने कहा कि दुनिया में गांधीवाद और अणुबम के बीच टकराव हो रहा है। अणुबम के समर्थक और अस्त्र-शस्त्र निर्माता व विक्रेता कम्पनियां गांधीवाद को समाप्त करना चाहती है जिससे कि समाज, देश व दुनिया में हिंसा बढे और उनको अपने कारोबार का फायदा मिले। समाज में हिंसा, नफरत, अत्याचार व शोषण करने वालों की संख्या में बढोत्तरी हो रही है तो दूसरी तरफ अहिंसा, प्रेम, करूणा व भाईचारा पर काम करने वालों की कमी है।
महात्मा गांधी सेवा आश्रम, जौरा के सचिव श्री रनसिंह परमार ने कहा कि चम्बल के बागी आत्मसमर्पण ने दुनिया को संदेश दिया कि गांधीवाद के बल पर हृदय परिवर्तन से समाज को हिंसामुक्त किया जा सकता है। इसलिए बागी आत्मसमर्पण की 50 वीं वर्षगांठ के अवसर पर पूरे भारत से युवाओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ समारोह मनाया जा रहा है जिससे लोग प्रेरित होकर अपने-अपने क्षेत्रों में प्रेम व भाईचारा पर काम कर सके।
बागी आत्मसमर्पण की स्वर्णजयंती समारोह के आकर्षक-
सन् 1972 में आश्रम परिसर में लोक नायक जयप्रकाश नारायण के समक्ष हथियार डालकर आत्मसमर्पण करने वाले बागियों में जीवित बचे बहादुर सिंह, अजमेर सिंह, सोबरन सिंह, घंमण्डी, सोनेराम, भिंड के गंगा सिंह इत्यादि बागी राजस्थान की कपूरी बाई और उत्तरप्रदेश के बागी और उनके परिजनों के साथ ही साथ बागी समस्या से पीड़ित परिवारों के परिजन भाग लेंगे और उनका स्वागत होगा।
इस अवसर पर चम्बल घाटी की स्मृति से दुनिया को संदेश विषय पर व्याख्यान में केन्द्रीय कृषिमंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता श्री मोहन प्रकाश, समाजवादी पार्टी के नेता श्री रामप्रताप, समाजवादी चिंतक और पूर्व सांसद श्री रघु ठाकुर, जवाहर लाल विश्वविद्यालय के प्रोफेसर आनन्द कुमार और इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्रोफेसर प्रदीप शर्मा अपने विचारों को प्रस्तुत करेंगे।
समर्पण स्थली पर प्रार्थना सभा व जौरा में रैली
देश भर से आये नवजवानों सहित वयोवृद्ध गांधीवादी जनों के साथ आत्मसमर्पित बागियों ने जौरा में रैली निकालकर शांति, अहिंसा से जुड़े नारों के माध्यम से सन्देश दिया। पगारा रोड़ स्थित समर्पण स्थल पहुंचकर राजगोपाल जी के नेतृत्व मे प्रार्थना की।
पांच दिवसीय राष्ट्रीय युवा सम्मेलन
बागी आत्मसमर्पण की 50वीं वर्षगांठ समारोह के दौरान आयोजित राष्ट्रीय युवा सम्मेलन में पूरे देश भर के लगभग 700 नौजवान भाग ले रहे हैं। प्रख्यात गांधीवादी श्री रामधीरज जी ने राष्ट्रीय युवा सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए कहा कि स्वयं के लिए जीवन जीने की सोच और कार्य से समाज में अन्याय, हिंसा, असमानता जैसी बुराईयां बढ़ती हैं। इसलिए यदि युवा पीढी को बेहतर समाज चाहिए तो परहित के लिए कार्य करना होगा और परहित के लिए सोच और कार्य ही सर्वोदय की परिकल्पना है।
उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन का असर आम जन जीवन पर सबसे अधिक है, असमय और अतिवृष्टि, सूखे के कारण खेती किसानी पर निर्भर बहुसंख्यक समाज और गरीब, मजदूरों को चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। मानव समाज को चेतने की आवश्यकता है, वृक्षारोपण से धरती माता को हरा-भरा और जल संरक्षण व संचयन से पर्यावरण को समृद्व किया जा सकता है।
उद्घाटन सत्र में महात्मा गांधी सेवा आश्रम, जौरा के अध्यक्ष श्री रनसिंह परमार ने देश भर से आये सभी नवजवानों को स्वागत करते हुए कहा कि नयी पीढ़ी के कंधों पर समाज और राष्ट्र का भार है। हर एक नवजवान को ‘भाईजी’ के जीवन से प्रेरणा लेकर ‘एक घंटा देह को-एक घंटा देश को’ पर कार्य करना चाहिए।
न्याय एवं शांति के लिए युवा विषय पर आयोजित इस पांच दिवसीय युवा सम्मेलन के प्रारंभ में युवा सामाजिक कार्यकर्ता और रायुयो के न्यासी श्री मधुसुदन दास जी ने ‘हिंदी है हम करोड़ों-करोड़’ नामक सामूहिक गीत का गान किया जिसे सभी भागीदारों ने दोहराया।
युवा सम्मेलन में प्रातःकाल में योग, सामूहिक श्रम दान और राष्ट्रध्वजारोहण जुड़े कक्षाओं में युवाओं ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। ध्वजारोहण से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्यों की जानकारी महाराष्ट्र से आये नरेन्द्र बडगांवकर ने दी।
सम्मेलन के दूसरे दिन प्रातः योग कक्षा, राष्ट्रध्वजारोहण और श्रमदान के बाद बौद्विक चर्चा के उपरांत भाषा कक्षा का आयोजन किया गया। इस कक्षा में प्रतिभागी मलयालम, मणिपुरी, तमिल, पंजाबी, गुजराती, बंगाली, आसामी और हिंदी भाषा में आम बोलचाल के कुछ वाक्यों को एक दूसरे से सीखा।
पंजाब से आये मनदीप सिंह और फतेह सिंह ने कहा कि यह सम्मेलन अपने आप में उनके लिए अनूठा हैं जहां कोई भी भेद नहीं है सभी के लिए समान व्यवस्था है, इस तरह के आचरण से ही न्याय की स्थापना हो सकती है। इसी तरह से सिक्किम से आयी मीरा और गीता का मानना है कि युवा सम्मेलन में पूरे भारत के लघु रूप का दर्शन हो रहा है जो उनके लिए प्रेरणादायी है। गुजरात से आये विजय भारतीय ने कहा कि नवजवानों के शिविर में शामिल होकर विचारों के आदान प्रदान से एक सकारात्मक माहौल का निर्माण होगा।
गांधी आश्रम के प्रबंधक श्री प्रफुल्ल श्रीवास्ताव ने बताया कि समारोह के भागीदारों के पंजीयन, भोजन, आवास, पण्डाल, सुरक्षा, स्वच्छता इत्यादि से जुड़े सभी कार्यो के लिए जवाबदेह साथियों को जिम्मेवारी दी गयी है। पंजीयन कक्ष में आनंद सोनी, श्यामयादव, भोजन व्यवस्था सुनिल शर्मा, जय सिंह, सुरक्षा व आवास श्री डोंगर शर्मा, संतोष भाई, पानी की व्यवस्था रितेष बैरागी स्वच्छता व साफ सफाई की व्यवस्था मदुरै से आये श्री अब्दुल भाई, सोशल मीडिया अनीष भाई देख रहे हैं।
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