टोक्यो में 11 मई 2023 को दिया जायेगा पुरस्कार
प्रख्यात गांधीवादी, सर्वोदयी नेता एवं एकता परिषद के संस्थापक और श्री राजगोपाल पी.व्ही. को न्याय और शांति की सेवा में उनके असाधारण कार्य के लिए दुनिया की प्रतिष्ठित संस्था निवानों पीस फाउंडेशन, जापान का 40वां निवानो शांति पुरस्कार दिये जाने की घोषणा की है। यह पुरस्कार जल, जंगल और जमीन पर गरीबों के प्राथमिक अधिकार, पर्यावरणीय सुरक्षा, आत्मसमर्पित बागियों के पुनर्वास, युवाओं में शांति व अहिंसा की शिक्षा के लिए दिया गया है।
निवानों पीस फाउंडेशन द्वारा दी गयी जानकारी के मुताबिक शांतिपूर्ण और अहिंसक तरीकों के माध्यम से राजगोपाल पी.व्ही. ने देश के सबसे गरीब और हाशिए पर पड़े लोगों के लिए बिना किसी जाति व लैगिंक भेदभाव के समान मानवीय गरिमा और प्रत्येक महिला व पुरूष के समान अधिकारों की मान्यता के लिए कार्य किया है। राजगोपाल पी.व्ही को यह पुरस्कार 11 मई 2023 को जापान के टोक्यो शहर में एक समारोह में दिया जायेगा। इसमें एक पुरस्कार प्रमाणपत्र के अलावा श्री राजगोपाल पी.व्ही को एक पदक और बीस मिलियन येन (लगभग एक करोड पच्चीस लाख रूपये) प्राप्त होंगे।
निवानो शांति पुरस्कार समिति द्वारा दुनिया भर से प्राप्त नामांकनों की छानबीन की जाती है। इस समिति को मई 2003 में निवानो शांति पुरस्कार की 20वीं वर्षगांठ के अवसर पर स्थापित किया गया था। समिति में फिलहाल दुनिया के विभिन्न हिस्सों से नौ प्रबुध्दजन शामिल हैं, जो सभी शांति और सांप्रदायिक सदभाव के लिए आंदोलनों से जुडे रहे हैं। पुरस्कार का नाम बौद्ध संगठन रिशो कोसी-काई, निक्यो निवानो के संस्थापक और प्रथम अध्यक्ष के सम्मान में रखा गया है। शांति को बौद्ध धर्म के लक्ष्य के रूप में देखते हुए, निवानो ने अपने जीवन के उत्तरार्ध को विश्व शांति को बढ़ावा देने के लिए समर्पित किया। पूर्व में सेवा संस्था की इला बेन भट्ट को इस पुरस्कार से नवाजा गया था। राजगोपाल जी दूसरे भारतीय है जिन्हें निवानो शांति पुरस्कार के लिए चुना गया है।
उल्लेखनीय है कि गांधीवादी विचारक राजगोपाल पी.व्ही. को वर्ष 2014 का 29 वां इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय एकता पुरस्कार प्रदान किया गया था। राजगोपाल ने देश के अलग-अलग हिस्सों में विभिन्न मुद्दों पर अहिंसात्मक तरीके से देश में एकता बनाए रखने के लिए काम किया है।
चंबल घाटी में विकास और शांति स्थापना के लिए एस. एन. सुब्बरावजी के नेतृत्व में श्री राजगोपाल ने बागियों को आत्मसमर्पण के लिए प्रेरित किया था। इसके बाद उन्होंने बागियों के पुनर्वास के कार्य को आगे बढ़ाया और वंचितों के जमीन और जंगल के अधिकार के लिए अभियान चलाया।
80 के दशक में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा उनको बंधुआ मुक्ति के लिए आयुक्त भी नियुक्त किया गया था। देश के विभिन्न क्षेत्रों में युवा शिविर, पदयात्रा और रैलियों के माध्यम से वंचितों के जीवन जीने के साधनों पर अधिकार के लिए अहिंसात्मक संघर्ष-संवाद और राष्ट्रीय एकता को बढावा देने का निरंतर वे कार्य कर रहे हैं। जनादेश 2007 और जनसत्याग्रह 2012 जनआंदोलन का नेतृत्व करते हुए उन्होंने हजारों लोगों को अहिंसात्मक संघर्ष के लिए प्रेरित करते हुए ग्वालियर से दिल्ली तक की पदयात्रा की थी।
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