नई दिल्ली, 25 मार्च। पूर्व ओडिशा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्‍यायमूर्ति मुरलीधरन को केंद्रीय गांधी स्मारक निधि का नया न्यासी नियुक्त किया गया है। उनकी नियुक्ति का स्वागत करते हुए निधि के अध्यक्ष रामचंद्र राही, सचिव संजय सिंह, राष्ट्रीय गांधी संग्रहालय के निदेशक ए. अन्नामलाई और गांधी शांति प्रतिष्ठान के अध्यक्ष कुमार प्रशांत उपस्थित रहे।

इस अवसर पर वरिष्ठ गांधीवादी डॉ. वर्षा दास, जो प्रसिद्ध फिल्म कलाकार नंदिता दास की माता हैं, प्रख्यात साहित्यकार अशोक वाजपेयी,भारतीय पुलिस सेवा से सेवानिवृत्‍त डॉ. पी सी गांधी को भी केंद्रीय गांधी स्मारक निधि का नया न्यासी नामित किया गया है।

उल्‍लेखनीय है कि पूर्व में ओडिशा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रह चुके न्‍यायमूर्ति मुरलीधरन ने न्यायपालिका में अपने निष्पक्ष निर्णयों और जनहितकारी दृष्टिकोण के लिए ख्याति प्राप्त की है। उन्होंने कई ऐतिहासिक फैसले दिए हैं, जो न्याय व्यवस्था को अधिक पारदर्शी और प्रभावी बनाने में सहायक रहे हैं।

डॉ. वर्षा दास एक वरिष्ठ गांधीवादी विद्वान, शिक्षाविद और लेखक हैं। उन्होंने गांधीवादी दर्शन और साहित्य पर कई महत्वपूर्ण कार्य किए हैं। सामाजिक और सांस्कृतिक क्षेत्र में उनका व्यापक योगदान रहा है। वे नंदिता दास की माता भी हैं।

भारत के प्रमुख साहित्यकारों में से एक, अशोक वाजपेयी को उनकी काव्य रचनाओं और समकालीन साहित्य में योगदान के लिए जाना जाता है। वे साहित्य, संस्कृति और सामाजिक चिंतन के क्षेत्र में सक्रिय हैं और गांधीवादी मूल्यों के प्रचार-प्रसार में योगदान दे रहे हैं।

आंध्र प्रदेश गांधी स्मारक निधि के वर्तमान अध्यक्ष डॉ. पी सी गांधी को भी केंद्रीय गांधी स्मारक निधि का नया न्‍यासी मनोनीत किया गया है। श्री गांधी भारतीय पुलिस सेवा से सेवानिवृत्‍त है।

निधि के अध्यक्ष रामचंद्र राही ने कहा कि निधि में नया न्‍यासियों जस्टिस मुरलीधरन, वर्षा दास, डॉ. के.पी. सी. गांधी और अशोक वाजपेयी की नियुक्ति से गांधीवादी मूल्यों और विचारधारा को और अधिक मजबूती मिलेगी। इनके मनोनयन से गांधीवादी संस्थाओं को नई दिशा मिल सकेगी और गांधीवादी विचारधारा को समाज में अधिक विस्तार मिलेगा।

उल्‍लेखनीय है कि केंद्रीय गांधी स्मारक निधि भारत में गांधीवादी संस्थानों के लिए एक मार्गदर्शक संस्था के रूप में कार्य करती है। यह देशभर में विभिन्न शाखाओं और केंद्रों के माध्यम से समाजसेवा एवं संवैधानिक मूल्यों को सशक्त करने का कार्य कर रही है। केंद्रीय गांधी स्मारक निधि की स्थापना 1949 में महात्मा गांधी की स्मृति को संजोने और उनके विचारों को जन-जन तक पहुँचाने के उद्देश्य से की गई थी। यह संस्था गांधीवादी सिद्धांतों—अहिंसा, सत्य, आत्मनिर्भरता और सामाजिक न्याय—के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।