सर्व सेवा संघ परिसर जमींदोज मामला : न्याय के दीप जलाएं सत्याग्रह का 14वां दिन
वाराणसी, 24 सितंबर। सर्व सेवा संघ परिसर के जमींदोज के मामले में एक वर्ष पूर्ण होने पर सर्व सेवा संघ के परिसर में न्याय के दीप जलाएं सत्याग्रह आज 14 वें दिन में पहुंच गया है। हर रोज सर्व धर्म प्रार्थना के साथ सत्याग्रह का प्रारंभ होता है। हर रोज नये नये सर्वोदय और गांधी विचार में गहरी आस्था रखने वाले व्यक्ति इसमें सत्याग्रह पर बैठ रहे है। वाराणसी स्थित सर्वोदय साधना केंद्र पर अवैध कब्जे के खिलाफ पश्चिम बंगाल के हावड़ा जिले के लोकसेवक के नाते सर्व सेवा संघ के अध्यक्ष चंदन पाल एवं अनुलेखा पाल उपवास पर बैठे।
सर्व सेवा संघ के अध्यक्ष चंदन पाल ने सत्याग्रह स्थल पर कहा कि अन्यायपूर्ण तरीके से वाराणसी में सर्व सेवा संघ के परिसर को सरकार द्वारा जबरदस्ती कब्जा कर लिया गया है और यहां के हेरिटेज बिल्डिंग को गिराया गया है। इसी को ध्यान में रखते हुए विनोबाजी के जन्मदिवस 11 सितंबर से हम लोगों ने सत्याग्रह शुरू किया है। हमारा मूल उद्देश्य है, जो गांधी विचार केंद्रों को ध्वस्त करने में लगे हैं, उनका शुभ बुद्धि जाग्रत करना। आज दुनिया को गांधी विचार शांति व मानवता का रास्ता दिखा सकते हैं। इस विचार के खिलाफ जो कार्रवाई हुई है, वह कार्रवाई केवल गांधी विचार को नष्ट करने भर की नहीं है, यह तो पूरे समाज के शुभ विचार पर आघात हो रहा है। हमारी प्रेरणा महल नहीं मानवता और सद्भाव है, हम इन मूल्यों की स्थापना के लिए संकल्पबद्ध हैं, सत्याग्रहबद्ध हैं।
श्रीमती अनुलेखा पाल ने कहा कि हमारे देश की आधी आबादी जब तक सशक्त नहीं होगी, तब तक देश तरक्की नहीं कर पाएगा। कस्तूरबा शांति समिति के सचिव के नाते वे यह सब करती है। सर्वोदय आंदोलन का एक लोकसेवक के रूप में समाज में गांधी, विनोबा, जयप्रकाश नारायण के सर्वोदय विचार को फैलाने में वे हमेशा तत्पर रहती हैं।
उल्लेखनीय है कि पाल दंपति की 66 वर्षीया अनुलेखा पाल का परिचय सिर्फ सर्व सेवा संघ के अध्यक्ष चंदन पाल की धर्मपत्नी का नहीं है, बल्कि वे एक स्वतंत्र सामाजिक भूमिका निभाने वाली चेतनाशील व्यक्तित्व हैं। बंगाल में महिलाओं के बीच पिछले 30 सालों से काम कर रही हैं। महिलाओं को स्वावलंबी बनाना और उनको सशक्त ढंग से समाज में स्थापित करना, इनका मुख्य काम है।
चंदन पाल का 6 दशकों का दीर्घ सार्वजनिक जीवन मुख्य रूप से समाज में शांति स्थापित करने का रहा है। 1971 में बांग्ला देश मुक्ति संग्राम के समय शरणार्थी शिविरों में सफाईकर्मी के रूप में अपनी सेवा देने से लेकर असम के कोकडाझार में भड़की हिंसा को शांत करने के लिए 5 वर्षों तक वहीं जमकर काम किया। कोकडाझार से कश्मीर तक शांति के संदेश के साथ एक साइकिल यात्रा भी की। उन्होंने सुनामी एवं सुपर साइक्लोन से प्रभावित लोगों में राहत का काम किया।
सत्याग्रह प्रभारी डॉ. विश्वजीत ने बतया कि सत्याग्रह के दौरान चुनार, मिर्जापुर निवासी एवं उत्तर प्रदेश सर्वोदय मंडल के महामंत्री राजेंद्र मिश्रा के प्रति सत्याग्रहियों ने मौन रखकर श्रद्धांजलि अर्पित किया। राजेंद्र मिश्रा विगत एक वर्ष से बीमार चल रहे थे और कल 23 सितंबर 2024 की दोपहर को उनका देहांत हो गया। राजेंद्र जी एक निर्भीक पत्रकार, लेखक, किसान नेता और संवेदनशील व्यक्ति थे। परिसर से उनका गहरा लगाव था। 22 जुलाई 2023 को परिसर को अवैध तरीके से कब्जाने के प्रतिवाद में उनकी भी गिरफ्तारी हुई थी। सर्वोदय आंदोलन के एक जांबाज कार्यकर्ता की विदाई सभी के लिए दुखद है।
सत्याग्रह में विश्वजीत घोड़ोई, सिस्टर फ्लोरिन,विद्याधर,नंदलाल मास्टर, डॉ. विश्वजीत, तारकेश्वर सिंह,ध्रुव भाई, देवाशीष बेरा, राजेंद्र साह, डॉ. राजेंद्र, राधेश्याम, कैलाश सिंह,रवि राजभर, संजय सिंह,ललित नारायण मौर्य, राजू, राहुल भारद्वाज, महेंद्र कुमार, अरविंद कुशवाह आदि शामिल हुए।