सरकारी क्रूरता की गाथा कहेगी
वाराणसी के राजघाट स्थित सर्व सेवा संघ के भवनों के ध्वस्तीकरण को लेकर प्रशासन और सर्व सेवा संघ के बीच काफी समय से खींचतान चल रही है। संघ से जुड़े लोगों ने धरना-प्रदर्शन के जरिये अपनी आवाज बुलंद की। लेकिन शनिवार की सुबह से ही सैंकडों रेल्वे पुलिस बल ने परिसर को घेर कर जेपी, विनोबा, गांधी की विरासत को जमींदोज करने की दिशा में आगे कदम बढ़ाया है। कई लोगों को गिरफ्तार भी किया है।
Varanasi से शनिवार सुबह से ही लगातार परेशान करने वाली खबरें मिल रही हैं| राजघाट, वाराणसी स्थित गांधी विद्या संस्थान और सर्व सेवा संघ परिसर शनिवार सुबह से ही पुलिस छावनी में तब्दील हो गया है। सुबह करीब चार-पांच सौ पुलिसकर्मियों के साथ वाराणसी प्रशासन के बड़े अधिकारियों ने परिसर में रह रहे लोगों का सामान उठाकर बाहर करवाना शुरू कर दिया। अधिकांश आवास को खाली करा दिया गया है और सामान को उठाकर बाहर फेंक दिया गया है।
सर्व सेवा संघ से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि आधा परिसर खाली करा लिया गया है। दशकों से रह रहे लोगों के सामान को जबरदस्ती बाहर किया जा रहा है। आज रात तक सर्व सेवा संघ परिसर में स्थित भवनों को ध्वस्त किए जाने की संभावना है। इस तरह गांधी-विनोबा और जयप्रकाश नारायण की विरासत पर बुलडोजर चल जायेगा। खबर तो यह भी है कि सर्व सेवा संघ से ठीक बाद बरसों से बसे हुए कृष्णमूर्ति फाउंडेशन इंडिया के स्कूल और कॉलेज भी इसके बाद प्रशासन की निगाह में है| याद दिला दें, कि कुछ दिन पहले ही भारत के मुख्य न्यायाधीश श्री चंद्रचूड ने कहा था कि वाराणसी के डीएम को बताना जरूरी है कि यह मामला वह स्वयं देखेंगे| पता नहीं इसके बावजूद आज सुबह ही स्थानीय प्रशासन इस पुराने सांस्कृतिक केंद्र पर क्यों टूट पड़ा है|
सर्व सेवा संघ के लोग बता रहे हैं कि वाराणसी जिला प्रशासन और उत्तर रेलवे मंडल, लखनऊ के अधिकारियों ने एक जाल बुना है। पहले सर्व सेवा संघ की जमीन पर रेलवे ने अपना दावा जताया और नोटिस दिया। जब मामला अदालत में गया तो अब जबरन पुलिस-प्रशासन के बल पर उसे ध्वस्त करने जा रही है। परिसर में रह रहे लोगों ने जब सामान निकालने के लिए समय मांगा तो पुलिस ने तुरंत परिसर खाली करने का फरमान सुनाया।
स्थानीय लोग कह रहे हैं: “जिसकी आशंका थी आखिर वह होकर ही रहा। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, मोदी सरकार इस मुल्क से गांधी की विरासत को हड़पने अथवा मिटाने पर सरेआम उतारू है। इसका सबसे ताजा उदाहरण बनारस के सर्व सेवा संघ के परिसर को, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के पूर्णकालिक वैतनिक सदस्यों को सौंपना है। जुल्म ढाती इस घड़ी में हम हर तरह से इसकी खिलाफत करने वालों के साथ हैं। संकट के समय में पिछले तजुर्बे से सीखना भी जरूरी है। गांधीवादियों की कार्यप्रणाली का विश्लेषण करना, आत्म निरीक्षण करना भी जरूरी है।”
वाराणसी में कार्यरत एक प्रोफेसर का कहना है कि “सबक हमको यह मिलता है कि मैं भले ही अपने स्वार्थ, आराम, सत्ता सुख लिए सत्ता पर काबिज के कसीदे पढ़ता रहूं, परंतु कम से कम जुल्म ज़्यादती, गैरबराबरी, जम्हूरियत और इंसानियत की हिफाजत के लिए लड़ने वाले का उपहास, उनकी खिल्ली, बदनामी या उनको सनकी, अनुशासनहीन होने का फतवा नहीं बांटूगा। हर लड़ाई कुछ ना कुछ सिखाती है, अभी हमने एक लड़ाई हारी है, युद्ध नही। हम लड़ेंगे और जीतेंगे।”
दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षक डॉ. संत प्रकाश ने ट्वीट किया कि “गांधी-जेपी विरासत पर कब्जा अंग्रेज नहीं बल्कि देश की सरकार कर रही है, इस विरासत को बचाने के लिए गांधी-जेपी के अनुयायी रामधीरज सिंह समेत सैकड़ों लोग गोलियां खाने को तैयार बैठे हैं, क्या आप लोग विरासत पर बुलडोजर और इन गांधीवादियों पर लाठी-गोलियां चलने के लिए अकेला छोड़ देंगे।”
गांधी-जेपी विरासत पर कब्जा अंग्रेज नहीं बल्कि देश की सरकार कर रही है, इस विरासत को बचाने के लिए गांधी-जेपी के अनुयायी रामधीरज समेत सैकड़ों लोग गोलियां खाने को तैयार बैठे हैं,क्या आप लोग विरासत पर बुलडोजर और इन गांधीवादियों पर लाठी-गोलियां चलने के लिए अकेला छोड़ देंगे
— Dr Sant Prakash (@drsantprakash) July 22, 2023
प्रोफेसर आनंद कुमार ने कहा है कि “वाराणसी में सर्व सेवा संघ और गांधी विद्या संस्थान पर कब्ज़ा करने के लिए पुलिस फोर्स के आने की शर्मनाक हरकत की जानकारी लोकतंत्र सेनानी व सर्वोदय मंडल के अध्यक्ष रामधीरज जी से पाकर बहुत क्षोभ हुआ। यह गांधी-जेपी की विरासत पर सीधा हमला किया जा रहा है। वाराणसी के साथी सर्व सेवा संघ पहुंच कर प्रतिरोध में योगदान कर रहे हैं। देश के सभी सरोकारी व्यक्ति और संगठन इस विरोध से जुड़े और सभी राष्ट्रीय नेता वाराणसी पहुंचे। इस अन्यायपूर्ण कार्रवाई के खिलाफ सत्याग्रह का समय आ गया है।”
गौरतलब है कि वाराणसी स्थित सर्व सेवा संघ की ओर से 21 जुलाई को सिविल कोर्ट में एफटीसी सीनियर डिवीजन कोर्ट में इंजेक्शन के लिए वाद दायर किया गया। दोपहर बाद 2 बजे सुनवाई होनी थी लेकिन न्यायाधीश महोदय शुक्रवार को कोर्ट में नहीं बैठे। इसलिए सुनवाई संभवत सोमवार को होगी। लेकिन प्रशासन सोमवार तक इंतजार करने के लिए तैयार नहीं है। वह परिसर को खाली कराकर आज बुलडोजर चलाने की तैयारी कर रही है। परिसर में लंबे समय से रह रहे गांधीवादी कार्यकर्ताओं और सर्वोदय प्रेस में काम करने वाले कर्मचारियों के परिवारों को जबरन वहां से निकाला जा रहा है।
वाराणसी पुलिस ने सर्व सेवा संघ की देखभाल करने वाले रामधीरज को हिरासत में ले लिया है। रामधीरज ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि जो लोग इमरजेंसी में हमारे साथ जेलों में थे और कांग्रेस की नीतियों का विरोध कर रहे थे वही आज सत्ता में बैठकर बेशर्मी से गांधी-जेपी की विरासत पर बुलडोजर चला रहे हैं। उन्होंने कहा कि वाराणसी का डीएम और कमिश्नर पीएमओ के निर्देश पर ऐसा कर रहे हैं। वाराणसी के अधिकारी सिविल सर्वेंट नहीं आरएसएस के स्वयं सेवक बन गए हैं।
शुक्रवार को लखनऊ मे गांधी जेपी विरासत बचाओ अभियान और लोकतांत्रिक राष्ट्र निर्माण अभियान ने मंडल रेल प्रबंधक उत्तर रेलवे लखनऊ को ज्ञापन प्रेषित किया था। ज्ञापन में निवेदन किया गया है कि जब तक सिविल कोर्ट की सुनवाई पूरी नहीं होती है तब तक किसी तरह की ध्वस्तीकरण की कार्रवाई सर्व सेवा संघ में न किया जाए। यहां लोग 50-60 सालों से रह रहे हैं। उनका परिवार है। ऐसी दशा में बिना नियमानुसार समय और सूचना दिए तोड़फोड़ की कार्रवाई करना गैरकानूनी भी है और अमानवीय भी।
सर्व सेवा संघ, वाराणसी, गंगा नदी के तट पर राजघाट में 8.70 एकड़ के परिसर में स्थित है। 1960 में सर्व सेवा संघ की स्थापना विनोबा भावे ने भूदान आंदोलन के तहत की थी। इस ज़मीन की सेल डीड सर्व सेवा संघ के दफ्तर में मौजूद है| उत्तरी रेलवे से यह ज़मीन मई, 1960 में खरीदी गई थी| इसके बावजूद दिसंबर 2020 में सरकार ने ज़मीन का एक हिस्सा ले किया क्योंकि पास ही स्थित काशी रेलवे स्टेशन पर बड़े पैमाने पर निर्माण कार्य होना है| साईट पर निर्माण सामग्री पडी है और अस्थायी टॉयलेट भी बनाये गए हैं| सर्व सेवा संघ ने इसके विरोध में कई पत्र लिखे हैं पर इसका कोई फायदा नहीं हुआ है| स्थानीय प्रशासन ने क्षतिपूर्ति के लिए आश्वासन भी दिए पर कभी कुछ भी नहीं किया गया| बताया जा रहा है कि राजस्व विभाग ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि यह ज़मीन वैध रूप से सर्व सेवा संघ की ज़मीन ही है|
इन सभी बातों से यही लगता है कि सर्व सेवा संघ अब इतिहास बन जाएगा। इसे तोड़ने की कार्रवाई शायद आज रात तक पूरी कराई जाएगी। सर्व सेवा संघ की देखरेख कर रहे रामधीरज से हमने बात कि तो उन्होंने बताया कि वह सर्वोदय के कार्यकर्ता हैं। सर्व सेवा संघ जिसे आचार्य विनोबा भावे ने सींचा है और कई महापुरुषों ने अपना समय व्यतीत किया है उस सर्व सेवा संघ को सरकार 63 साल बाद तोड़ने पर आमादा है। हमारे पास सरकारी रजिस्ट्री है बैनामे की, उन्होंने आरोप लगाया कि इस जमींन की रजिस्ट्री को अब शासन फर्जी बता रहा है।
रामधीरज ने बताया कि सर्व सेवा संघ की जमीन की रजिस्ट्री और बैनामा सही है इसकी तस्दीक रेलवे के एक पूर्व बड़े अधिकारी ने भी की थी, लेकिन उसके बावजूद ये लोग वह जमीन जिससे विनोद भावे, जयप्रकाश नारायण, लाल बहादुर शास्त्री की यादें जुडी है उसे फर्जी बता रहा। हम इस मामले में हाईकोर्ट गए थे। वहां हाईकोर्ट ने इस वाद को सिविल कोर्ट में अपील करने का निर्देश दिया था।
रामधीरज ने बताया कि हाईकोर्ट के निर्देश पर हमने कल ही सिविल कोर्ट में एक वाद दायर किया था, पर कल दिन भर जज साहब के न आने से सिविल कोर्ट में सुनवाई नहीं हो पायी पर सुबह ही मजिस्ट्रेट के नेतृत्व में भारी पुलिस फोर्स मौके पर पहुंची है और यहां रहने वालों के कमरे फोर्स खाली करवा रही है। हमसे कहा गया कि ऑर्डर तो कल ही जज ने दे दिया जबकि कल जज बैठे ही नहीं थे। हमने ऑर्डर की कॉपी मांगी तो कहा जा रहा कि अपने वकील को बुलाइये आप को नहीं देंगे कोई कागज।
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