सर्व सेवा संघ परिसर पर बर्बरतापूर्ण बुलडोजर चलना निंदनीय

13 अगस्‍त। वाराणसी में पिछले 6 दशकों से लोकतांत्रिक विचारों को बढ़ावा देती आई पुरानी संस्‍था सर्व सेवा संघ के 13 एकड़ परिसर पर स्‍थापित भवनों के ध्‍वस्‍तीकरण की कार्यवाही पर देशभर के गांधीजनों, संस्‍थाओं, जन संगठनों ने अपना रोष व्‍यक्‍त किया और इस कार्यवाही की भर्त्‍सना की है।

जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय (NAPM) ने जारी किये बयान में कहा कि 12 अगस्त, 2023 का दिन इस फासीवादी सरकार का गांधी, विनोबा और जयप्रकाश नारायण के विचारों और मूल्यों पर भयानक हमले का गवाह बना। उत्तर प्रदेश के वाराणसी में स्थित सर्व सेवा संघ की इमारत पर बेरहमी से राज्‍य सरकार द्वारा बुलडोज़र चला दिया गया। 10 हजार से अधिक क्रांतिकारी पुस्तकों से आबाद, देश के उल्लेखनीय इतिहास को संजोए हुए, समिति परिसर को जमींदोज कर दिया गया।

माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने अपने 7 अगस्त 2023 के आदेश में निचली अदालत को शीघ्रता से सुनवाई करने का निर्देश भी दिया है। मामला न्यायालय में विचाराधीन होने के बावजूद, बिना किसी सक्षम आदेश के ध्वस्तीकरण की प्रक्रिया शुरू कर दी गई।

बयान में कहा गया है कि 11 अगस्त 2023 को भारत भर से आए जनसंगठनों के प्रतिनिधियों, और बनारस के सैकड़ों आम नागरिकों के एक विशाल जनसमूह द्वारा, जन प्रतिरोध सभा का आयोजन किया गया था। सभा को राकेश टिकैत, प्रोफेसर आनंद कुमार, मेधा पाटकर, योगेन्द्र यादव, फैसल खान, डॉ. सुनीलम, फिरोज़ मीठीबोर्वाला सहित कई जाने-माने नेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने संबोधित किया। इस सभा में उत्‍तरप्रदेश हो या हरियाणा, खासकर मुसलमानों को प्रताड़ित करने वाली सरकार की क्रूर बुलडोजर नीति को चुनौती दी गई। ‘विकास’ के नाम पर  मछुआरों और अन्य वंचित समुदायों के ज़मीनो पर अवैध कब्जे़ का मुद्दा भी उठाया गया।

एनएपीएम ने कहा कि इस विशाल जन सभा के बाद, सरकार की इस ‘तुरंत कार्यवाही’ को हम जन आवाजों को दबाने की कोशिश के रूप में देखते है। सर्व सेवा संघ की इस इमारत में, लोकतांत्रिक जनसंघर्षों के इतिहास, हजारों पुस्तकों तथा स्मृति चिन्हों के रूप में सँजोया हुआ था। संघ भारतीय क्रांतिकारी विचारों को सशक्त करने में अहम भूमिका निभाई है। इसे भारतीय लोकतंत्र को मज़बूती देने वाले विचारों के ऊपर वर्तमान सत्ताधीशों द्वारा किए गए हमले के रूप में देखना चाहिए। साथ  ही, ‘रेलवे’ के नाम पर इस ज़मीन को सरकार पूंजीपतियों को सुपुर्द करने का एक षडयंत्र भी है।

जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय (NAPM) ने सरकार की इस असंवैधानिक, विध्वंसक गतिविधि की पुरजोर निंदा की है। और मांग की है कि सर्व सेवा संघ के भवन का विध्वंस तत्काल रोका जाए और इमारत को उसके मूल स्वरूप में वापस लाया जाना चाहिए। न्यायिक आदेशों के उल्लंघन में विध्वंस और मनमाने ढंग से सामाजिक कार्यकर्ताओं को हिरासत में लेने की कार्रवाइयों के लिए, सरकार को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।

वहीं हिंद युवा प्रतिष्‍ठान ने अपनी विज्ञप्ति में कहा है कि आज गांधी विचार का एक मुख्य केंद्र, जो राजघाट, बनारस में स्थित था, उसे पुलिस ने बगैर किसी आदेश के जमींदोज कर दिया है। सर्व सेवा संघ के इस परिसर से खुद विनोबा, राजेंद्र प्रसाद, जयप्रकाश, लाल बहादुर शास्त्री आदि जैसी विभूतियों का गहरा जुड़ाव रहा है। यहां से कितने ही आंदोलनों की नीतियां बनीं साथ ही कितनी लड़ाईयां लड़ी गई। यहीं सर्व सेवा संघ प्रकाशन भी था, जो गांधी विचार की अनुपम, अनमोल पुस्तकें छापता था। लाईब्रेरी भी थी, जिसमें हजारों की संख्या में दुर्लभ पुस्तकें थी। लेकिन चेतना के ऐसे प्रगति पथ तैयार करने वाली संस्थाएं और लोग मदांध सत्ता को कभी भी फूटी कौड़ी नहीं सुहाते। और इस अलिखित नियम के डमरू पर आज सत्ता फिर नाची है। ऐसी सत्ताओं को इस मौके पर ये याद दिलाना चाहते हैं कि लोक उन्हें पुड़िया में गठिया के अतीत के गड्ढों में ऐसे फेंकता है कि वे ढूंढे किसी को नहीं मिलती, यही इस सत्ता के साथ भी होगा। इस काली करतूत की हिंद युवा प्रतिष्ठान कड़े शब्दों में निंदा व क्षोभ प्रकट करता है। साथ ही इस लड़ाई में सर्व सेवा संघ के साथ खड़े रहने का विश्वास भी दिलाता है ।

यह बुलडोजर सत्ता का हमला है: गांधी विचार की विरासत को नष्ट करने का इरादा

दूसरी ओर समाजवादी विचारक, स्‍वराज अभियान के संयोजक योगेंद्र यादव ने टिवट् कर कहा कि कल प्रधानमंत्री कार्यालय के इशारे पर संत विनोबा भावे की प्रेरणा से स्थापित गांधीवादी संस्था सर्व सेवा संघ परिसर, वाराणसी को बुलडोजर से ध्वस्त कर दिया गया है। कुछ कुछ तो है गांधी में जो भाजपा के गले की हड्डी बना हुआ है। देश में भले ही भाजपा के नेता राष्ट्रपिता के हत्यारे का महिमामंडन कर लें, लेकिन विदेश में जाकर मोदी जी यह नहीं कह सकते कि मैं गोडसे के देश से आया हूं। प्रधानमंत्री को यह कहना ही पड़ता है कि मैं बुद्ध और गांधी के देश से आया हूं। यह बुलडोजर सत्ता का हमला है जो गांधी, विनोबा और जेपी की विरासत को नष्ट करने के इरादे से किया जा रहा है। लेकिन ऐसा संभव नहीं है।

महात्‍मा गांधी के पौत्र तुषार गांधी ने कहा कि ग़रीबों के घरों पर बुलडोज़र चलवाने को बहादुरी समझने वाली सरकार गांधी-विनोबा-जयप्रकाश की विरासत पर बुलडोज़र चलवाए उसमें आश्‍चर्य नहीं। वस्तु तोड़ सकते हैं विचार और निराधार नहीं।

गांधी विचार देश की हवा में घुले-मिले हैं,उनकी नींव कोई क्या हिलाएगा

समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने अपने ट्विट में कहा कि महात्मा गांधी, आचार्य विनोबा भावे और जयप्रकाश जी की वैचारिक विरासत के प्रतीक वाराणसी के ‘सर्व सेवा संघ’ के भवन पर भाजपा सरकार बुलडोज़र चलवाकर जिसे अपनी जीत समझ रही है दरअसल वो उसकी हार है क्योंकि जिनके विचार देश की हवा में बुनियादी रूप से घुले-मिले हैं,उनकी नींव कोई क्या हिलाएगा।

बुलडोज़र चलना शर्मनाक

कांग्रेस के वरिष्‍ठ नेता जयराम रमेश ने कहा कि प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में गांधी, जयप्रकाश नारायण और लाल बहादुर शास्त्री जैसे महापुरुषों की विरासत से जुड़े सर्व सेवा संघ पर बुलडोज़र चलना शर्मनाक है। गांधी की विरासत को हड़पने और नष्ट करने के प्रयास पहले गुजरात के साबरमती आश्रम और वर्धा के गांधीग्राम में हो चुके हैं। अब वाराणसी के सर्व सेवा संघ को हड़प कर पूंजीपतियों को सौंपने की तैयारी है। हम इसकी भर्त्सना करते हैं।

विप्‍लव राही ने कहा कि विचारों से डरने वाले इमारतों, किताबों और कई बार कुदरत को भी नष्ट करने की कोशिश करते हैं, लेकिन इन कोशिशों से विचार न कभी नष्ट हुए हैं और न हो सकते हैं, क्योंकि विचारों का असली ठिकाना तो मनुष्य की तर्कशील बुद्धि में है।

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