गांधी शांति प्रतिष्ठान द्वारा समन्वित पांचवें कुलदीप नैयर पत्रकारिता पुरस्कार 2023 की घोषणा
नई दिल्ली, 8 नवंबर। गांधी शांति प्रतिष्ठान द्वारा द्वारा संचालित एवं समन्वित पांचवां कुलदीप नैयर पत्रकारिता पुरस्कार 2023 वरिष्ठ पत्रकार, विद्वान और टीवी समाचार एंकर उर्मिलेश को प्रदान किया जाएगा। इसमें पुरस्कार के प्रतीक के साथ एक प्रमाण पत्र और 1 लाख रुपये की राशि शामिल है। ये घोषणा कुलदीप नैयर पत्रकारिता सम्मान समिति के अध्यक्ष श्री आशीष नंदी ने दिल्ली के प्रेस क्लब में की। इस अवसर पर गांधी पीस फाउंडेशन के अध्यक्ष कुमार प्रशांत, सचिव अशोक कुमार, वरिष्ठ समाज सेवी विजय प्रताप और वरिष्ठ पत्रकार जयशंकर गुप्ता उपस्थित थे।
समिति के अध्यक्ष श्री आशीष नंदी ने 2023 पुरस्कार समारोह की जानकारी देते हुए कहा, श्री उर्मिलेश को यह सम्मान गांधी शांति प्रतिष्ठान सभागार, नईदिल्ली में 15 नवंबर 2024, शाम 4 बजे आयोजित एक समारेाह में दिया जाएगा ।
वरिष्ठ पत्रकार श्री उर्मिलेश ने लगभग चार दशकों में फैली अपनी पत्रकारिता की यात्रा में विचारपरक पत्रकारिता और तथ्यपरक रिपोर्टिंग के कई मानक स्थापित किए हैं। ‘नवभारत टाइम्स’, ‘दैनिक हिंदुस्तान’ जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के माध्यम से उन्होंने राजनीतिक तथा सामाजिक जीवन को प्रभावित करने वाली कई महत्वपूर्ण पहल की। तत्कालीन राजनीति का उनके लेखन पर गहरा प्रभाव भी पड़ा। ‘राज्यसभा टीवी चैनल’ के संस्थापक कार्यकारी संपादक के रूप में टीवी चैनलों की दुनिया को उन्होंने रचनात्मक आयाम दिया।
उर्मिलेश की पत्रकारिता अपने वक़्त को न्याय व समता की दिशा में मोड़ने की पत्रकारिता रही है। उन्होंने कई किताबें भी लिखीं, जिनमें ‘बिहार का सच’, झारखंड पर केंद्रित ‘जादुई जमीन का अंधेरा’, कश्मीर पर केंद्रित ‘झेलम किनारे, दहकते चिनार’, ‘विरासत और सियासत’ शामिल हैं। बीते कुछ वर्षों में उनकी ‘क्रिस्टोनिया मेरी जान’, ‘गाजीपुर में क्रिस्टोफर कॉडवेल’, और ‘मेम का गांव, गोडसे की गली’ जैसी किताबें पर्याप्त कीर्ति बटोरती रही हैं। राहुल सांकृत्यायन पर उनकी दो पुस्तकों ‘राहुल सांकृत्यायन : सृजन और सर्जक’ तथा ‘योद्धा महापंडित’ से लेकर भारत में उदारीकरण के प्रभावों पर केंद्रित ‘आर्थिक सुधार के दो दशक’ पुस्तक बताती है कि उनके सरोकार और चिंतन का दायरा कितना विस्तृत है।
इस अवसर पर गांधी शांति प्रतिष्ठान के सचिव अशोक कुमार ने प्रेस वार्ता में कुलदीप नैयर पत्रकारिता पुरस्कार के बारे विस्तृत जानकारियां देते हुए चयन समिति का परिचय दिया। तथा वहीं इस वार्ता में प्रवक्ता के रूप उपस्थित वरिष्ठ समाजसेवी विजय प्रताप ने वर्तमान पत्रकारिता की धूमिल छबि तथा सार्थक पत्रकारिता की पृष्ठभूमि पर अपने व्याख्यान दिये। उन्होंने कहा “भारतीय भाषा की पत्रकारिता में सृजनात्मक समाजिक सरोकारों के प्रति प्रतिबद्ध लेखन की जो प्रशंसा, प्रतिष्ठा सम्मान मिलनी चाहिये वह न तो किसी सत्ता संस्थानों या प्रतिष्ठानों तथा अन्य समाजिक, सांस्कृतिक साहित्यक संस्थानों से मिलती है। इसलिये गांधी शांति प्रतिष्ठान वैसे पत्रकारों को जो समाज के प्रति अपनी पूरी ईमानदारी से ज़िम्मेदारियों के साथ देश और समाज के हितों में अपनी जान जोखिम में डाल कर निर्भीक और सार्थक पत्रकारिता करते हैं उन्हें पिछले 5 वर्षों से कुलदीप नैयर पुरुस्कार से सम्मानित करने का कार्य कर रही है।
कुलदीप नैयर पत्रकारिता पुरस्कार गांधी शांति प्रतिष्ठान के सहयोगियों ने स्वतंत्र निर्भीक सार्थक और प्रगतिशील पत्रकारिता पत्रकारों को प्रोत्साहन के लिए गांधी शांति प्रतिष्ठान से प्रकाशित होने वाली पत्रिका गांधी मार्ग के सम्पादक अनुपम मिश्र ने पुरस्कार की कल्पना की, और उनकी कल्पनाओं को सार्थक बनाने के लिये गांधी प्रतिष्ठान के लेखक विचारक और समीक्षक लोग जुड़ते चले गये और कुलदीप नैयर पत्रकारिता पुरुस्कार चयन समिति अस्तित्व में आई। इस चयन समिति के अध्यक्ष प्रसिद्ध राजनीतिक मनोवैज्ञानिक और विचारक आशीष नंदी, सचिव के तौर पर वरिष्ठ पत्रकार-संपादक एवं गांधी पीस फाउंडेशन के सचिव श्री अशोक कुमार, सलाहकार – समिति के संस्थापक सदस्य सामाजिक चिंतक वरिष्ठ समाजसेवी विजय प्रताप तथा समिति के सदस्यों में गांधी शांति प्रतिष्ठान के अध्यक्ष कुमार प्रशांत, देश के दिग्गज पत्रकारगण नीरजा चौधरी, ओम थानवी, संजय पारिख, जयशंकर गुप्ता, प्रियदर्शन, प्रमोद रंजन, अनिल सिन्हा और अशोक कुमार आदि शामिल है। संचालकों की कोशिश है कि अधिक-से-अधिक भाषाओं के पत्रकारों को चयन समिति में शामिल करते रहा जाए ताकि इसका राष्ट्रीय, बहुभाषी स्वरूप निखरता जाए।
गांधी शांति प्रतिष्ठान के अध्यक्ष श्री कुमार प्रशांत ने कुलदीप नैयर पत्रकारिता सम्मान के संदर्भ में कहा कि गांधी शांति प्रतिष्ठान तथा उससे संबंध रखने वाले कुछ साथियों ने स्वतंत्र व प्रगतिशील पत्रकारिता को समर्थन व प्रोत्साहन देने के लिए पत्रकारों द्वारा पत्रकार के ऐसे सम्मान की कल्पना की। हम सबके लिए महात्मा गांधी ऐसी पत्रकारिता के आदिपुरुष रहे हैं। भारत की आज़ादी का पूरा संघर्ष सत्य, न्याय व स्वाभिमान के बल पर लड़ा गया जिसमें महात्मा गांधी की कलम का सशक्त योगदान रहा। इसलिए हम कह सकते हैं कि महात्मा गांधी इस सम्मान की परिकल्पना में मौजूद रहे। इसका प्रतीक-चिह्न भी उन्हीं की प्रेरणा से उभरा— भारतीय कलाजगत के शलाकापुरुष मास्टर नंदलाल बोस के उस सुविख्यात स्केच को हमने अपनाया, जो दांडी यात्रा के वक़्त उन्होंने बनाया था। हमने इतना ही फर्क किया कि गांधी के हाथ के डंडे को कलम का रूप दे दिया। तो हमारे प्रतीक-चिह्न का मतलब बनता है : दृढ़ कदमों और मजबूत हाथों से स्वतंत्र कलम का संकल्प निभाने की प्रतिबद्धता !
पत्रकार वार्ता की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ पत्रकार एवं चयन समिति के वरिष्ठ सदस्य श्री जयशंकर गुप्ता ने कहा, स्वतंत्र एवं निर्भीक पत्रकारिता की सेवा में दिवंगत कुलदीप नैयर की पत्रकारिता भी इन्हीं मूल्यों से प्रेरित थी। उसका उत्साह समर्थन और प्रोत्साहन हमारे दृष्टिकोण में सहायक थे, और उन्होंने व्यक्तिगत रूप से भी इसमें योगदान दिया। इस पुरस्कार के लिए आवश्यक धनराशि, दूसरों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित करना। उनके समर्थन से, हमने निर्णय लिया।
प्रतिवर्ष किसी भी भारतीय भाषा के एक पत्रकार को सम्मानित किया जाता है, जो अपने लेखन या किसी भी रूप से अभिव्यक्ति ने स्वतंत्र, तथ्यात्मक, प्रगतिशील और वैज्ञानिक संचार का उदाहरण दिया है। इसमें पुरस्कार के प्रतीक के साथ एक प्रमाण पत्र और 1 लाख रुपये का नकद पुरस्कार शामिल है। ये सम्मान किसी भी भाषा, धर्म, जाति या लिंग की परवाह किए बिना समिति द्वारा चयनित किसी भी पत्रकार को दिया जाता है।
उल्लेखनीय है कि कुलदीप नैयर पत्रकारिता सम्मान का पहला पुरस्कार (2017) वरिष्ठ पत्रकार श्री रवीश कुमार, दूसरा पुरस्कार (2018) मराठी पत्रकार श्री निखिल वागले, तीसरा (2021) और चौथा पुरस्कार (2022) पुरस्कार
YouTuber श्री अजीत अंजुम और द वायर की पत्रकार सुश्री आरफ़ा खानम शेरवानी को संयुक्त रूप प्रदान किया गया था।
चयन प्रक्रिया: इस वार्षिक पुरस्कार के लिए नामांकन सीधे सचिव, गांधी शांति प्रतिष्ठान पुरस्कार समिति को भेजे जा सकते हैं या चयन समिति के किसी सदस्य के माध्यम से प्रस्तुतियाँ होनी चाहिए। पत्रकार के काम के पर्याप्त नमूने शामिल करें। समिति अपनी बैठकों में सभी की समीक्षा करती है। सिफारिशें और भीतर से नाम भी सुझा सकते हैं। इसी प्रक्रिया से समिति पहुंचती है, अंतिम चयन पर आम सहमति भी अनिवार्य है।