गांधी जी की विरासत को बचाने का एक प्रयास
देश के जानी मानी कई गांधी संस्थाओं ने संयुक्त रूप से तय किया है कि 17 से 24 अक्टूबर 2021 तक गांधीजी के सिद्धांतों और मूल्यों को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाने के लिए सेवाग्राम से साबरमती संदेश यात्रा निकाली जाएगी। यह गांधी जन चेतना जागरण संदेश यात्रा 17 अक्टूबर 2021 को सेवाग्राम से प्रारंभ होगी और 24 अक्टूबर 2021 को साबरमती आश्रम पहुंच कर सम्पन्न होगी। यह यात्रा 23 अक्टूबर की शाम तक अहमदाबाद पहुंच जाएगी।
राष्ट्रीय धरोहरों को बचाने के लिए किया विचार
अभी हाल ही में साबरमती आश्रम में केंद्रीय गांधी स्मारक निधि के अध्यक्ष राम चंद्र राही, गांधी शांति प्रतिष्ठान, दिल्ली के अध्यक्ष कुमार प्रशांत और गांधी स्मारक निधि के सचिव संजय सिंह, एसएपीएमटी अध्यक्ष इला भट्ट, ट्रस्टी सुदर्शन आयंगर, कार्तिकेय साराभाई, अशोक चटर्जी आदि कर उपस्थिति में एक बैठक हुई, जिसमें महात्मा गांधी से संबंधित राष्ट्रीय धरोहरों को बचाने के लिए गहराई से विचार किया गया। यह भी टटोलने की कोशिश की गई कि सरकार साबरमती आश्रम की सीमा के साथ छेड़छाड़ करके आखिर इसके विकास की कोशिश कर रही है या उसकी मंशा इसकी मूलता को नष्ट करने की है।
गांधी संस्थाओं की ओर से जारी संयुक्त बयान में कहा गया है कि हम राष्ट्रीय धरोहरों को बचाने के लिए, जनता के बीच जागरण करने, जनमत खड़ा करने और जरूरत पड़ी तो सत्याग्रह करने का अपना संकल्प दोहराते हैं ।
१७ अक्टूबर को सेवाग्राम आश्रम से शुरू होगी यात्रा
गांधी स्मारक निधि, गांधी शांति प्रतिष्ठान, सर्व सेवा संघ, सेवा ग्राम आश्रम प्रतिष्ठान, सर्वोदय समाज, राष्ट्रीय गांधी संग्रहालय, नई तालीम समिति, राष्ट्रीय युवा संघठन, महाराष्ट्र सर्वोदय मंडल, गुजरात की सर्वोदय संस्थाओं द्वारा इस यात्रा का आयोजन किया जा रहा है। यात्रा का शुभारम्भ 17 अक्टूबर को सेवाग्राम आश्रम में सर्वधर्म प्रार्थना एवं संकल्प से होगा यात्रा अकोला, नन्दुरा, एदलाबाद, फैज़पुर, खिरोदा, अमलनेर, धुले, नंदुरबार, बारडोली, सूरत होते हुए अहमदाबाद पहुंचेंगी। 24 अक्टूबर को साबरमती आश्रम में कार्यक्रम होगा, यात्रा में सर्वधर्म प्रार्थना, गोष्ठी,जन संवाद एवं जनसम्पर्क आदि कार्यक्रम आयोजित होंगे।
आश्रम तथा संस्थाएं सत्य और अहिंसा की प्रयोगशालाएं
गांधीजनों ने कहा कि महात्मा गांधी द्वारा स्थापित आश्रम तथा संस्थाएं सत्य और अहिंसा की प्रयोगशालाएं रही हैं । जीवन और समाज का आदर्श रूप कैसा हो इसकी साधना उन्होंने आश्रमों में किया और अपने साथ- साथ असंख्य मानवों को प्रेरित व प्रशिक्षित किया। उनके नहीं रह जाने के बाद भी उनके आश्रम उनकी विचारधारा और जीवन शैली को जानने-समझने और प्रेरणा प्राप्त करने के पवित्रतम स्थल रहे हैं । जिनके प्रति देश और दुनिया के असंख्य नर-नारी गहरी आस्था रखते हैं । यही वजह है कि गांधी आश्रमों में दुनिया भर से लोग शांति और प्रेरण की तलाश में खिंचे चले आते हैं ।
साबरमती आश्रम का न सिर्फ मूल रूप ही खत्म होगा बल्कि विरासत पर आघात
गांधी संगठनों से जुडे़ गांधीजनों ने आगे कहा कि गांधी जी के द्वारा स्थापित आश्रमों में साबरमती आश्रम का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है । हमको जानकारी मिली है कि केंद्र सरकार साबरमती आश्रम परिसर की स्वरुप में तब्दीली करना चाहती है, जो गांधी विचारधारा और विरासत पर सीधा आघात है । सरकार की मंशा साबरमती आश्रम को आधुनिक पर्यटन स्थल बनाने की है, जिसके लिए केंद्र सरकार ने 12 सौ करोड़ रुपयों की योजना बनाई है । अभीतक सरकार अपनी योजना को गोपनीय रखा है। प्राप्त जानकारी अनुसार इस योजना में नया संग्रहालय, एम्पी थिएटर, वीआईपी लाउंज, दुकानें, खाने-पीने और मनोरंजन की वृहद सुविधाएं निर्मित करने का प्रावधान है।
इस निर्माण के कारण साबरमती आश्रम का न सिर्फ मूल रूप ही खत्म हो जाएगा बल्कि गांधी जी का निजी निवास हृदय कुंज, जो देश ही नहीं दुनिया की ऐतिहासिक धरोहर है, इस आधुनिक निर्माण के कारण लुप्त हो जाएगा ।सरकार की इस कोशिश से गांधी विचार की संस्थाएं और हम गांधी जन बेहद चिंतित हैं और ऐसे किसी भी प्रयास का गांधी संस्थाएं पुरजोर विरोध करती हैं ।
सरकार विकास का ढोंग रच रही है
गांधी संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने कहा कि बाजार केन्द्रित जिस सभ्यता से गांधी जी आजीवन लड़े आज उसी बाजार को आश्रम में प्रवेश दिलाने के लिए सरकार विकास का ढोंग रच रही है, जो नाकाबिले बर्दाश्त है । यही नहीं केंद्र सरकार भारतीय स्वतंत्रता के हीरक जयंती वर्ष के पवित्र और ऐतिहासिक अवसर पर गांधीजी की स्मृति के संरक्षण और राष्ट्र निर्माण के लिए उनके द्वारा चलाए गए रचनात्मक कार्यक्रमों का उन्नयन करने की बजाय उनके पगचिन्ह मिटाने तथा भावी पीढ़ी से गांधी विचार परम्परा और विरासत को काटने के लिए उनके स्मृति स्थलों को तहस – नहस करने की साजिश कर रही है। साबरमती आश्रम पर्यटन स्थल में तब्दील करने की योजना इसका जीता-जागता प्रमाण है । ऐसा प्रतीत होता है कि केंद्र सरकार एक नियोजित सोच के तहत यह सब कर रही है । जिस तरह से अमृतसर के जालियांवाला बाग को पर्यटन स्थल में तब्दील कर वहां का भावनिक और प्रेरणात्मक वातावरण खत्म किया गया है, उसी तर्ज पर साबरमती आश्रम को बर्बाद करने की दिशा में कदम बढ़ाया जा रहा है , वह इतिहास को मिटाने और अपनी सुविधानुसार बदलने की आशंका का ठोस आधार है ।
उन्होंने कहा कि देश के लिए बलिदान करने वाले स्वातंत्र्य सेनानियों और वीरों की स्मृतियां पर्यटन स्थलों में परिवर्तित कर उसे व्यवसायिक स्वरूप देना उनके त्याग, तपस्या और बलिदान के साथ ही साथ लोकभावना का भी अनादर है । यही वजह है कि हम इस प्रस्ताव के माध्यम से स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ी स्मृतियों और राष्ट्रीय धरोहरों को मिटाने की केंद्र सरकार की नापाक कोशिशों के प्रति देश को न सिर्फ सचेत कर रहे हैं अपितु उसकी अंतरात्मा को जगाना चाहते हैं। हम ऐसे किसी भी प्रयास के विरुध्द जनमत खड़ा कर उसे रोकना चाहते हैं ।
गांधी संस्थाओं से जुडे वरिष्ठ गांधीजनों ने केंद्र सरकार से अपील की हैं कि वह अपने कदम पीछे ले और राष्ट्रीय धरोहरों में छेड़छाड़ करने तथा उनका स्वरूप बदलने का प्रयास न करें ।
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