वर्धा। सेवाग्राम आश्रम प्रतिष्ठान के पूर्व अध्यक्ष जयवंत गंगाराम मठकर का 70 वर्ष की आयु में निधन हो गया है। वे पिछले दो महीने से बीमार थे। उन्होंने सोमवार 14 मार्च 2022  को पुणे में अंतिम सांस ली, मंगलवार सुबह पुणे में अंतिम संस्कार किया गया।

उन्होंने जीवन भर गांधी, विनोबा और जयप्रकाश और सर्वोदय की विचारधारा के साथ काम किया। साने गुरुजी, कथामाला, राष्ट्रसेवा दल, सर्व सेवा संघ, सर्वोदय मंडल, खादी ग्रामोद्योग मध्यवर्ती संघ, महात्मा गांधी लोकसेवा संघ, महाराष्ट्र सेवा संघ, महाराष्ट्र ग्रामदान मंडल के अध्यक्ष, सेवाग्राम आश्रम प्रतिष्ठान, नशाबंदी मंडल के उपाध्यक्ष पालक एवं सर्वोदय समाज के संयोजक की जिम्मेवारी बखूबी निर्वाह की।

मठकरजी  ने छह दशकों से अधिक समय तक सर्वोदय आंदोलन में भाग लिया। आपको श्रद्धापूर्वक लोग ‘बापू’ और ‘काका’ कहते थे। मठकर जी अत्यंत सरल, सहज एवं मृदुभाषी थे। सबके प्रति असीम प्रेम, सबकी चिन्ता रखना तथा प्रतिकूल परिस्थिति में हर किसी की मदद कर देना उनका सहज गुण था।

जयवंत मठकर रत्नागिरी जिले के मठ गांव के रहने वाले थे। उनकी जीवन यात्रा कठिन रही। सर्वोदय जगत में मठकर को हमेशा “काका” के रूप में जाना जाता है। सेवाग्राम में उनके पांच साल का कार्यकाल के साथ उनके विचारों और काम का वास्तविक अनुभव सेवाग्राम के लोगों के लिए महत्वपूर्ण और यादगार रहा है। उन्होंने कॉटन से लेकर कपड़े तक प्रोजेक्ट की शुरुआत की थी। इससे आश्रम में ही खादी का उदय हुआ। पर्यटकों को गांधीजी के समय का खादी का काम भी कताई और बुनाई देखने को मिलता था।

सर्वोदय समाज सम्मेलन आयोजित करने में उनकी एक विशेष पहल थी। गांधी जी के पोते प्रो. जगमोहन गांधी और डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर के पोते एड. प्रकाश अंबेडकर को एक मंच पर आश्रम में लाकर उन्होंने दिखाया कि यह कभी गांधी-अंबेडकर विवाद नहीं बल्कि एक वैचारिक लड़ाई थी।

अपनी किशोरावस्था से ही, मठकर प्रसिद्ध कोंकण गांधीवादी अप्पासाहेब पटवर्धन के साथ जुड़े और उनका अनुसरण किया। उन्होंने कई गांधीवादी संगठनों के माध्यम से अपने मूल सिंधुदुर्ग के साथ-साथ महाराष्ट्र में भी विकास किया। अखिल भारतीय स्तर पर, मठकर जी ने नीति निर्माण और विभिन्न सामाजिक बाधाओं को दूर करने में मदद की। मठकर और उनके सहयोगियों के प्रयासों से सिंधुदुर्ग के बाहर के शहरों में किसानों और भूमिहीन लोगों का पलायन रुक गया है। गोपुरी आश्रम के उपाध्यक्ष के रूप में, मथकर ने ग्राम समुदाय के समग्र विकास को लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

वास्तव में मठकर काका जैसे लोग विरले ही हैं। सेवाग्राम आश्रम के कार्यकर्ताओं के साथ उनका रिश्ता प्रेममय और पारिवारिक रहा। उन्होंने हमेशा कार्यकर्ताओं के साथ सम्मान के साथ व्यवहार किया और ईमानदारी से पूछताछ की। उनके निधन से सर्वोदय समाज ने एक सजग और सहज कार्यकर्ता खो दिया है।

सर्वोदय प्रेस सर्विस के साथ जयवंत मठकरजी का गहरा रिश्‍ता था। सर्वोदय समाज, खादी, ग्रामोद्योग जैसे विषयों पर आपके अनेक आलेखों का प्रकाशन पिछले दशकों में  सप्रेस व्‍दारा किया गया था। उनके निधन पर सप्रेस  परिवार अपनी भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित करता है और उनकी आत्मा को असीम शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना करता है।

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