बागी आत्मसमर्पण की स्वर्ण जयंती समारोह : दूसरा दिन

जौरा। 15 अन्रैल। आदिवासी क्षेत्रों में स्वावलम्बन का कार्य चुनौतीपूर्ण रहा है। एकता परिषद के प्रयासों से भूमि अधिकार अभियान में वंचित समुदाय को भूमि के अधिकार से समाज अनाज के मामलों में स्वावलम्बी हुआ है। अहिंसक स्वावलम्बी अर्थव्यवस्था से ही भारत हिंसामुक्त होगा। उक्त उद्गार जौरा आश्रम में बागी आत्मसमर्पण समारोह के दूसरे दिन राष्ट्रीय युवा सम्मेलन में एकता परिषद के वरिष्ठ कार्यकर्ता अनिल भाई ने कही।

एकता परिषद के वरिष्ठ कार्यकर्ता अनिल भाई श्योपुर के बुढेरा गांव से एक महिला की बातों का उदाहरण देते हुए कहा कि पहले उनको दबंग जाति के लोग कीड़ा कहते थे अभी उनको बुआ कहते है यह बदलाव आदिवासियों को भूमि का अधिकार मिलने और खेती किसानी करने से आत्मनिर्भर होने पर आया है। उन्होंने कहा कि सांकरा और रून्नीपुरा में मधुमक्खी पालने से महिला समूह से जुड़ी महिलाएं आत्मनिर्भर होकर नई इबारत लिख रही हैं। महात्मा गांधी के अर्थव्यवस्था का केन्द्र गांव और ग्रामीण रहे हैं।

केरल से आये अनंतु जी ने कहा कि वर्तमान अर्थव्यवस्था लालची एवं हिसंक है। हिंसा पर आधारित अथवा उत्पादों के लाभ का विनियोग हिंसात्मक कार्यो में होने पर ऐसे उत्पादों का बहिष्कार करना चाहिए।

श्री सुधीर भाई ने कहा कि हिंसा के आर्थिक, मानसिक और शारीरिक स्वरूपों को समझने की आवश्‍यकता है। श्री खुमानी ने कहा कि व्यक्तिगत जीवन शैली, विचार और व्यवहार में सादगी से समाज में अहिंसक तरीके से स्वावलम्बन पर कार्य किया जा सकता है।

तमिलनाडु में जैविक खेती पर काम कर रहे श्रीधर लक्ष्मण ने कहा कि जैविक उत्पादों के बाजारीकरण के लिए कृषि उत्पादों को बाजार से जोड़ने की जरूरत है। राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती गठबंधन से आयी सुश्री रिया ने कहा कि अर्थव्यवस्था में हिंसा और न्याय के तत्वों पर ध्यान देने की आवष्यक्ता है। देष भर में बीज स्वावलम्बन के लिए कार्य हो रहा है।

सम्मेलन के दूसरे सत्र की चर्चा शिक्षा पर केन्द्रित रही। इलाहाबाद के प्रोफेसर प्रदीप शर्मा ने कहा कि महात्मा गांधी के स्वराज्य, स्वावलम्बन को पोषित करने के लिए शिक्षा नीति और कार्य होने चाहिए जिससे कि गांधी विचारों पर आधारित देश का निर्माण किया जा सके इसमें नवजवानों की महती भूमिका है। सत्र का संचालन जय जगत की अंतराष्ट्रीय संयोजिका श्रीमती जिलकार हैरिस व एकता परिषद के महासचिव श्री रमेश शर्मा ने किया। सम्मेलन को बिहार के प्रदीप प्रियर्शी , उडीसा की विष्णु बहन, मालवा से श्रद्वा बहन और चम्बल के जयसिंह  ने सम्बोधित किया।

एकता अखण्डता के लिए भारत की संतान की प्रस्तुति

राष्ट्रीय युवा सम्मेलन के दौरान भिन्न-भिन्न राज्यों से आये नवजवानों के समूह ने डा.एस.एन.सुब्बराव (भाई जी) की प्रमुख गतिविधि भारत की संतान की प्रस्तुति ने सभी दर्शकों और भागीदारों का मन मोह लिया। इसमें भारत की 18 भाषाओं में गीत की प्रस्तुति कश्‍मीरी-अंजु नेगी, उर्दु-तनिषा,हिंदी-राखी, सिंधी-राखी जलतारे, कन्नड-आदित्य कुमाऱ, मलयालम-हेमराज, तमिल-चंदरू, तेलगू-राजू कुमार, कोंकणी-कृष्णा, मराठी-नेहा, उडीया-मंजू, आसामी-नयनतारा, बंगाली-बबन, नेपाली-गीता शर्मा , मणिपुरी-शिवांगी , गुजराती-कृष्णा बहन और संस्कृत-पंकज पारंपरिक वेशभूषा में नृत्य व भाषा गीत के साथ दी।

भारत की संतान के निर्देशक नरेन्द्र बडगांवकर ने कहा कि भिन्न भाषा-भिन्न वेश होने के बावजूद भी अपना भारत एक देश है, यही हमारी मजबूत विषेषता है। तदोपरांत मधुभाई के साथ सभी प्रतिभागियों ने ‘एक दुलारा-देश हमारा प्यारा हिंदुस्तान’ गीत का सामूहिक गान कर सभी में देश भक्ति एकता व अखण्डता का जज्बा पैदा किया। झारखण्ड से आयी प्रख्यात गायिका श्रीमती मेघा डाल्टन ने गांधी जी पर केन्द्रित कई गीतों को देशज सुरू में प्रस्तुत कर वाहवाही लूटी। सांस्कृतिक कार्यक्रम का संचालन उड़ीसा के सोमभाई और उत्तरप्रदेश की इति ने की।

सम्मेलन में बिहार से आये साइकलिंग के अंतराष्ट्रीय खिलाड़ी श्री केशव पाण्डेय ने कहा कि देश के नवजवानों को राष्ट्रहित से जुड़े बडे लक्ष्यों को सामने रखकर अनुशासित तरीके दृढ संकल्पित होकर आगे बढना चाहिए। देश को आगे ले जाने की जवाबदेही नवजवानों को है।

सम्मेलन में उत्तरप्रदेश से आये युवा सामाजिक कार्यकर्ता श्री अजय कुमार पाण्डेय जी ने कहा कि जौरा सभी के लिए पवित्र भूमि है जहां के कण-कण में भाई जी दर्शन होता है। शांति की प्राप्ति युवाओं का भावनात्मक और क्रियात्मक लक्ष्य होना चाहिए तभी उनकी उर्जा, गतिशीलता और उत्साह राष्ट्रीय हित में समर्पित होगी। राष्‍ट्रीय युवा सम्मेलन की व्‍यवस्‍था की देख रेख कर रहे प्रफुल्ल भाई ने सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया।

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