गांधी के बुनियादी कार्यक्रम पर दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला सम्पन्न
नईदिल्ली । हरिजन सेवक संघ एवं गांधीयन सोसायटी, न्यूजर्सी अमेरिका द्वारा बुनियादी कार्यक्रम पर दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन 25 और 26 फरवरी 2023 को गांधी आश्रम हरिजन सेवक संघ में किया गया। जिसमें देश के अलग-अलग राज्यों के 85 युवक/युवतियां और विदेश एवं देश के कई राज्यों से आए गांधी मार्गी शामिल रहे। यह गांधी विचार को समझने वाले नौजवान थे, जो बापू के सपनों का भारत बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। बापू के इस सपनों के भारत में अस्पृश्यता और नशा का कोई स्थान नहीं है, इस भारत के निर्माण में अंतिम व्यक्ति की आवाज का महत्व है और उसे विश्वास है कि यह मेरा भारत है।
गांधीयन सोसाइटी के ट्रस्टी राजेंद्र कुमार ने कहा कि हम बापू के बुनियादी कार्यक्रम को लोगों तक ले जाने के लिए 30 सशक्त नौजवान तैयार करना चाहते हैं, जिन्हें बापू के काम को समाज में करने में आनंद आए और समाज में अहिंसात्मक मानवीय वातावरण बने। उन्होंने कहा कि इन नौजवानों की जमीनी कार्यक्षमता तथा वरिष्ठजनों के अनभुव से दो दिन मंथन कर गांधीयन सोसाइटी के द्वितीय चरण के कार्य को आगे बढ़ाएंगे।
हरिजन सेवक संघ के सचिव संजय राय ने कहा कि नौजवान ही है, जो विचार व जोश के साथ देश की बुराईयों को समाप्त कर देश को मजबूत बना सकते। इनमें कुछ करने की उमंग व उत्साह होता है। उद्घाटन सत्र में बात रखते हुए गुजरात विद्यापीठ के वाइस चांसलर राजेंद्र खेमानी ने चार बुनियादी काम करने पर जोर दिया – ग्राम विकास का काम हो, जिससे ग्रामीण सक्षमता आए, जल प्रबधंन, जिससे शहरी सक्षमता आए, शिक्षा, जिसमें अनुभव आधारित ज्ञान हो, स्वास्थ्य, जिससे लोग अपने स्वास्थ्य के जानकार व डॉक्टर स्वयं बने। इस पूरे काम में 20 प्रतिशत ऐसे नौजवानों को लाना है, जो नए तरीके से काम करने का सोच रहे हैं।
कुंवर शेखर बृजेंद्र, कुलपति सोवित विश्वविद्यालय ने कहा कि गांधीजी की शिक्षा मानव बनने की बात करती, वही आज की शिक्षा नौकर बनने की बात करती है। ऐसी व्यवस्था में हमें सबसे पहले बुनियाद मजबूत करने पर जोर देना होगा, इस बुनियाद में प्रमाण पत्र व दिखावा की जरूरत नहीं है। इसमें हमें 7 सी की क्रम से जरूरत है- क्यूरोसिटी, करेज, कंपैशन, कोलाबोरेशन, कमिटमेंट, कम्युनिटी और कम्युनिकेशन। यह मी टू वी की यात्रा है, जो क्यूरोसिटी से शुरू होकर कम्युनिटी (समाज) बनाकर संचार करने पर खत्म होती है।
नरेश यादव, उपाध्यक्ष हरिजन सेवक संघ ने कहा कि आज की व्यवस्था ने उजड़ता गांव व दम घुटता शहर पैदा कर दिया। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि हमने गॉव में कलह, बेरोजगारी, अशिक्षा पैदा कर सारी व्यवस्था शहरों में भर दी और शहरों में बीमारी, अराजकता फैलाकर शहरी पर्यावरण/वातावरण को नष्ट कर दिया। यह सभ्य समाज की असभ्य गुलामी है। इस व्यवस्था को सुधारने के लिए हम गांधी विचार को जीने वाले लोगों को पुनः गांव में जाना होगा, क्योंकि कुछ भी हो जाए, हमारी अर्थव्यवस्था का इंजन गांव ही चला सकते है।
डॉ. डेविड व सारा, जो अमेरिका में महात्मा गांधी के मूल्यों को लेकर काम करते हैं, ने गांधीयन सोसाइटी की स्थापना के मूल्यों पर चर्चा की और कहा गांधी वैश्विक नागरिक हैं जितनी जरूरत गांधी के सत्य, अहिंसा, करुणा व सत्याग्रह की भारत में है, उतनी ही विश्व के अलग-अलग देशों में भी है। क्योंकि आज हम पूंजीवादी दुनिया में जी रहे हैं, जब सभी देशों की आर्थिक सीमा खत्म हो गई हैं और विकास की अंधी दौड़ जारी है ऐसा दौर गांधी के ट्रस्टीशिप सिद्धांत का सफल मार्गदर्शक है।
गुजरात में आदिवासी समाज के उत्थान व पारंपरिक कृषि व्यवस्था के लिए काम कर रहे जयेश भाई ने कहा कि समस्याएं जरूर कुछ नई पैदा हो गई है, लेकिन इनका समाधान हमें गांधी विचार की उन्हीं पुरानी तकनीकों व कलाओं से मिलता है। गांधीजी इसलिए प्रासंगिक बने हुए हैं और नए रूप में प्रकट होते जा रहे हैं क्योंकि दुनिया की समस्या का समाधान खोजने में हमें गांधी महत्वपूर्ण समाधान के रूप में मिलते हैं।
अंतर्राष्ट्रीय पदयात्री व शांति और अहिंसा को फैलाने वाले योगेश भाई ने कहा कि दुनिया आज भी प्यार, मोहब्बत, ईमान पर टिकी है। आज जब पाकिस्तान को लोग नफरत की निगाह से देख रहे हैं। युवाओं को इसी नैतिकता को लेकर गांव में जाने वाले हैं और गांवों को ऐसा बनाना है कि गांव उजड़ने न पाए, क्योंकि गांव उजडे़गें तो खाना कौन देगा। वहॉ डर, दबाव व आदेश का वातावरण नहीं है जबकि शहर की यह व्यवस्था आज की व्यवस्था की बुराई है। जिसे आप जैसे नौजवान मिटा सकते हैं।
ख्यातिलब्ध विद्वान व विचारक प्रो. आनंद कुमार ने कहा कि स्वतंत्रता प्राप्ति पर हमें क्या करना बाकी है इसकी गांधीजी ने सूची बनाई जो बुनियादी कार्यक्रम कहलाए। और यही बुनियादी कार्यक्रम आज यूएनओ के सतत विकास के लक्ष्य है। यह गांधी की दूरदृष्टि थी। गांधी जी इन कार्यक्रमों को जारी रखने/करने के माध्यम किसान, मजदूर, विद्यार्थी, महिलाएं है। वहीं यू एन ओ इन उद्देश्यों को प्राप्त करने कौन काम करेगा यह आज तक नहीं तय कर पाया। सतत विकास के इस दौर में हमारे सर्वोत्तम विकास का हाल दिल्ली है। दिल्ली का पानी पीने लायक नहीं है और दिल्ली की हवा जीने लायक नहीं है। हमें गांधी के बिना कोई दूसरा रास्ता नहीं मिलता। वह कड़वी गोली जरूर हो सकती है लेकिन लाभदायक है।
प्रदेश हरिजन सेवक संघ, छत्तीसगढ़ के अध्यक्ष धर्मपाल सैनी ने कहा कि गांधीजी कहते थे मेरे आश्रम में सीखने तो सब आए, लेकिन सिखाने कोई आया तो वह विनोबा है। इसी तरह आज के नौजवान यदि शिक्षा के दम पर नौकरी पाने का लक्ष्य छोड़कर चरित्र निर्माण करें तो वह भारत का काम कर सकते हैं। विनोबा ने अपने कागजी प्रमाण पत्र को फाड़कर देश के निर्माण का काम ही किया था। विनोबाजी कहते थे मुझे बंगाल की क्रान्ति व हिमालय की शांति गांधीजी में मिली। आज युवाओं को बुनियादी कार्यक्रम करने हेतु इसी शांति की शक्ति व क्रांति की उर्जा की जरूरत हैं।
दिल्ली प्रदेश हरिजन सेवक संघ के अध्यक्ष प्रो. निशा त्यागी ने कहा कि महात्मा गांधी जब देश व समाज निर्माण का कार्य करने निकले तो हजारों लोग उनके साथ खड़े हो गये थे, उसी बुनियादी कार्य की आज भी समाज में मांग हैं और समाज युवाओं के इंतजार में हैं। यदि आप जैसे नौजवान समाज कार्य के लिये निकलेगें, अच्छा काम करेंगे तो आपके साथ भी हजारों लोग खड़े हो जायेंगे।
उद्घाटन सत्र में अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए हरिजन सेवक संघ के अध्यक्ष शंकर कुमार सान्याल ने कहा कि गांधी थे, गांधी हैं और गांधी रहेगें। गांधी को कोई भी नीचे खींचकर नहीं उतार सकता और यदि उतारेंगे तो वह पीट्रमैरिटसवर्ग की तरह सत्याग्रही बनकर उभरेंगे और आगे भी यदि गांधी को नीचे उतारने की कोशिश की, तो वह प्रत्येक मानव में जाग जायेगा उसकी मूर्तियां बोलेगी। जिस ब्रिटिश ने गांधी को नीचे उतारा था वह अपनी पार्लियामेण्ट के सामने गांधी की मूर्ति लगाकर कहते हम गांधी को नागरिकता दे रहे है वह ऐसा इसलिए करते क्योंकि उन्हें समझ में आता हैं कि अल्टीमेटली गांधी ही समाज की जरूरत हैं जो लोगों को जीवन जीने की कला सिखाते हैं। इसी कार्यशाला का परिणाम होगा कि हम पीपुल टू पीपुल कॉन्टेक्ट से हैण्ड टू हैण्ड कॉन्टैक्ट तक बढ़े ताकि समाज टूटने से बच जाये।
दूसरे सत्र में अहिंसा, करुणा, मैत्री, सद्भाव, सत्य व प्रयोग नाम से छह ग्रुप बने, जिसमें गांधी के सपनों के भारत के निर्माण में मेरी भूमिका विषय पर समूह चर्चा कर प्रस्तुतिकरण किया गया। मुख्यतया सभी समूहों ने पर्यावरण, शिक्षा व ग्रामीण विकास पर कार्य करने हेतु प्रतिबद्धता दिखाई। धार्मिक सद्भाव हेतु सर्वधर्म प्रार्थना, श्रमदान, सहभोज व सर्वधर्म समभावी समूह, शांति सैनिक बनाने पर जोर दिया।
प्रार्थना सभा के सत्र में हरिजन सेवक संघ के उपाध्यक्ष श्री लक्ष्मी दास ने कहा कि गांधी के सपनों का भारत बनाने में मेरी भूमिका यह हो सकती है कि मैं अपने क्षेत्र में हिंसा होने से रोकूंगा, गरीबों की सहायता करूंगा आदि। गांधी जी कहते थे मैं नहीं चाहता कि आदमी – आदमी का शोषण करें इसलिए हमें यह करना चाहिए कि शोषण न हो । गांधी और विनोबा ने दाता व दीन की भूमिका को समाप्त किया क्योंकि दाता होगा तो समाज पूंजीवादी कहलायेगा और दीन है तो समाज को भीख चाहिए होगी।
दूसरे दिन की शुरुआत प्रार्थना मंदिर में सर्वधर्म प्रार्थना से हुई। इसके बाद प्रार्थना मंदिर के आसपास के स्थल की सफाई की और श्रममूलक समाज निर्माण के गीत गाकर वातावरण को शांतिमय बनाया। अंतिम दिन के प्रथम सत्र का संचालन अंकित मिश्रा ने किया। इस सत्र की भूमिका रखते हुए गुजरात विद्यापीठ के वाइस चांसलर राजेंद्र खेमानी ने कहा कि हमें गांधी विचार को दूसरों के बीच में ले जाने से पहले खुद के आचरण में उतारना होगा। समाज जिस एटिकेट को आचरण मानता हैं वह एटिकेट आपको छोड़ना होगा, यह समाज को भूखा बनाता है। हम जितना झूठा छोड़ते हैं उससे बिहार जैसा बड़ा प्रदेश खाना खा सकता है। उन्होंने कहा हमें गांधी विचार को ले जाने में आनंद की अनुभूति करनी होगी यदि बोझ उठाकर चलेंगे तो सही काम नहीं कर पाएंगे।
इस सत्र में सहभागियों ने अपने काम से लोगों को परिचित कराया, उस काम से बुनियाद कितनी मजबूत हो रही यह बात भी खासतौर से रखी गई। जयेश रावल ने कहा कि हम गुजरात के साल्ट वर्कर को स्वरोजगार देने का काम करते हैं। रोहित कुमार व सतीश कुमार (बिहार) ने कहा कि हम स्व सहायता समूह व ग्रामसभा के माध्यम से काम कर रहे हैं। शिक्षा के क्षेत्र में तकनीकी शिक्षा प्रदान करने हेतु हमारा समूह काम कर रहा हैं।
राजस्थान समग्र सेवा संघ के गोपाल शरण द्वारा दुपहिया वाहन से लगभग 4100 कि.मी. गांधी विचार यात्रा के प्रथम चरण जयपुर-पोरबंदर-कोचरब-साबरमती- सेवाग्राम-राजघाट एवं आगामी ई-रिक्शा से राजस्थान में 12 मार्च से द्वितीय चरण जिसमें विद्यालयों में गांधी फिल्म दिखाने व गांधी पुस्तकें वितरण कार्यक्रम की सभी ने तहेदिल से प्रशंसा की।
इसी तरह वाग्धारा सचिव जयेश जोशी की बांसवाड़ा के 300 आदिवासियों के साथ जनजातीय स्वराज केंद्र से गांधी सर्किल जयपुर तक लगभग 700 किमी स्वराज सन्देश-संवाद पदयात्रा के वृतांत का वर्णन करते हुए खुद जयेश जोशी ने कहा कि बिना स्वराज प्राप्ति के गांधी के सपनों का भारत बनाना सम्भव नहीं है इसलिए सारे गाँधीजनों को इस दिशा में कार्य करना आवश्यक है।
नीरज भाई (बिहार) ने कहा कि मैंने महात्मा गांधी को तो देखा नहीं लेकिन सुब्बराव भाईजी को देखा तो उन्हीं के काम को जमीन पर उतारने का काम करता हूं। समाज में पहले बौद्धिक सत्र करता फिर श्रम संस्कार उसके बाद बच्चों के साथ सामूहिक खेल एवं सर्वधर्म प्रार्थना करवाता हूं और इसके परिणाम स्वरूप सर्वधर्म समाज बनाते हैं। गुजरात से आये ग्राम शिल्पी जलदीप, प्रवीण भाई, अजय, दिनेश शैलेश मोहन भाई आदि ने उनके द्वारा किये जा रहे ग्राम स्वराज्य के कार्य की चर्चा की। बनारस में महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में अध्ययनरत शोधार्थियों धीरज पाण्डेय, किरण, रोशनी, दीक्षा, शबनम एवं शिवांगी ने कहा कि हम एशियन ब्रिज संस्था के साथ मिलकर जेण्डर समानता के लिए काम कर रहे हैं।
उड़ीसा से आये कामाख्या प्रसाद ने कहा कि सुब्बराव संस्कारशाला के माध्यम से कार्य कर रहे हैं। हरियाणा से आये रवि जांगड़ा एवं सरिता ने कहा कि हम गांधीयन सोसायटी के साथ मिलकर काम कर रहे हैं।
समापन सत्र में प्रो. आनंद कुमार ने कहा कि धर्म व विज्ञान को समझना चाहिए। आधुनिकीकरण में विज्ञान और धर्म में झगड़ा है। आस्था में तर्क नहीं है, जबकि विज्ञान में तर्क है। इस बहस को दूर रखते हुए भगवान बुद्ध ने कहा कि हम करुणा, मैत्री की बात करें जो समाज को जोड़ती है। महात्मा गांधी कहते धर्म की बुनियादी बात अच्छाई है जो हमें नहीं छोड़ना चाहिए, बाकी देशकाल परिस्थितियों के अनुसार मूर्ति पूजा, टीका, उपवास बदलता रहता है। विनोबा कहते हैं यदि हमने धर्म को विज्ञान से जोड़ लिया, तो वह अध्यात्म बन जाएगा।
वरिष्ठ गांधीवादी चिंतक रमेश भैया ने आशीर्वचन देते हुए कहा कि इस कार्यशाला की आयोजक गांधी संस्था, सिखाने वाले, गांधी का काम करने वाले और सीखने वाले गांधी के प्रति भाव रखने वाले हैं। जब यह तीनों चीजें एक साथ हैं तब हमारा काम जरुर सफल होगा। वह कहते बाबा विनोबा कहा करते थे कि हम इलाज होम्योपैथी, एलोपैथी से ना करके सिम्पैथी से करें, जो हमारे पास है। वह कहते आज हमारी शिक्षा हैं – थोड़ा पढ़ा तो काम छोड़ा, ज्यादा पढ़ा तो गांव छोड़ा और ज्यादा पढ़ा तो हिंदुस्तान छोड़ा। इसके विपरीत हमें ऐसी शिक्षा बनाना कि थोड़ा पढ़े तो काम से जुड़े, ज्यादा पढ़े तो गांव से जुड़े और ज्यादा पढ़े तो हिंदुस्तान से जुड़े। तभी हमें अहिंसक स्वराज मिलेगा।
विश्व युवा केंद्र के संचालक उदय भाई ने कहा कि हमें मास प्रोडक्शन की जगह प्रोडक्शन बॉय मॉसेज पर काम करना होगा। हम समाज के लिए उत्पादक बनें, इस पर काम करें। गांधी भवन, भोपाल के ट्रस्टी अरुण कुमार डनायक ने कहा कि गांधी के सपनों के भारत में सर्वधर्म समभाव को ममभाव बनाकर करना होगा। जिसकी जिम्मेदारी हम सब की है।
गांधी पीस फाउंडेशन के पूर्व सचिव सुरेंद्र कुमार ने कहा कि सत्य, अहिंसा के बिना सत्याग्रह संभव नहीं और सत्याग्रह के बिना समाज परिवर्तन नहीं हो सकता और समाज परिवर्तन करने पुरुषार्थ जागृत कर अन्याय का प्रतिकार करना होगा।
अंत में आभार ज्ञापित करते हुए शंकर कुमार सान्याल ने कहा कि यह युवाओं का आश्रम है यहां बार-बार आइए और यहां से सीखिए, इस भूमि में बापू के भाव को महसूस करिए और इस चरणधूलि को नमन करके देश दुनिया में काम करिए। आपका काम दिल से दिल को जोड़ने वाले होना चाहिए। यही आपका उसूल बनें। कार्यक्रम में ‘उजड़ता गांव और दम घुटता शहर’ के सूत्रवाक्य के साथ ग्राम विकास, जल, जंगल जमीन, शिक्षा, स्वास्थ्य पर गांधी के बुनियादी कार्यक्रम के तहत कार्य करने निश्चय किया गया।
प्रस्तुति : अंकित मिश्रा
[block rendering halted]