भोपाल में चार दिवसीय रचनात्मक युवा शिविर सम्‍पन्‍न

भोपाल में चार दिवसीय युवा रचनात्मक युवा शिविरका आयोजन 19 से 22 फरवरी 2023 तक गांधी भवन न्यास, मध्य प्रदेश सर्वोदय मंडल, मध्य प्रदेश गांधी स्मारक निधि व राष्ट्रीय युवा संगठन, मध्यप्रदेश के संयुक्त तत्‍वावधान में सम्‍पन हुआ, जिसमें देश के अलग-अलग राज्यों के 140 युवक-युवतियों ने भाग लिया।  चार दिवसीय युवा शिबिर में शिविराथियों ने प्रात: जागरण, रैली पोस्ट, प्रार्थना, श्रमदान, आओ गांधी को जाने, बौद्धिक सत्र, समूह चर्चा, युवा चौपाल, सर्वधर्म प्रार्थना व सांस्कृतिक कार्यक्रमों में उत्‍साह से हिस्‍सा लिया।

शिबिर के उद्घाटन सत्र में गांधी भवन ट्रस्ट के सचिव दयाराम नामदेव ने स्वागत किया। नामदेव जी ने कहा कि महात्मा गांधी के विचारों की उपासना करने के बजाय समझने की जरूरत है। म.प्र. सर्वोदय मण्डल के अध्यक्ष चिन्मय मिश्र ने कहा कि गांधी विचार की यह यात्रा, जो इन नौजवानों के साथ शुरू हुई है वह खत्म नहीं होना चाहिए, तब ही इस शिविर की सार्थकता है। आज जब चारों तरफ उन्माद फैला हुआ है, ऐसे समय सर्वधर्म समभाव को समझना होगा और गांधी विचार को आचरण में उतारना होगा। इस शिविर में आप घृणा, द्वेष, कटुता व साम्प्रदायिकता को छोड़ जाइये और प्रेम, भाईचारा, शांति सदभाव लेकर लोगों को जोड़ने निकल जाईये। चिंतक व लेखक भास्कर राव रोकड़े ने कहा कि युवाओं को धरना, सड़क जाम और  विरोध करने की जरूरत नहीं है, बल्कि आत्मावलोकन कर परिस्थितियॉ बदलने में सक्षम बनने की आवश्‍यकता हैं।

हरिजन सेवक संघ के सचिव संजय राय ने कहा कि हम अपनी संस्कृति के मूल को भूल रहे है और सनातनी विचारों को तोड़-मरोड़ कर परोस रहे हैं। महात्मा गांधी ने सर्वधर्म समभाव की बात कहीं इसलिए वह पूजा नहीं प्रार्थना करते थे। जिसमें सभी धर्मों का समावेश हैं, जिसका कोई नियत स्थान नहीं है।

केन्द्रीय गांधी स्मारक निधि के सचिव एवं गांधी भवन के अध्‍यक्ष संजय सिंह ने अध्यक्षीय उदबोधन में कहा कि गांधीजी का विचार हर काल परिस्थिति में चुनौती भरा रहा है, किस बात को कितनी बार कहना है और कितनी जोर से कहना है, आप इससे भली भांति अवगत है। इस काल परिस्थिति में यही हो रहा है।

बौद्धिक सत्र में वरिष्‍ठ सामाजिक कार्यकर्ता, सर्वोदय प्रेस सर्विस के सम्पादक राकेश दीवान ने जनांदोलन व युवा विषय पर नौजवानों के साथ संवाद स्थापित करते हुए जनांदोलन की पृष्ठभूमि, युवाओं का जुड़ाव तथा जनांदोलन के तरीके आदि के संदर्भ में अपने व्यक्तिगत अनुभवेां को साझा किया। उन्‍होंने कहा कि सत्याग्रह का तरीका ही महत्वपूर्ण विकल्प है जिसमें शक्तिशाली को भी झुकाने की क्षमता है और कमजोर को मजबूत करने की ताकत हैं। इसमें अहिंसा व सत्य जैसे व्यक्तिगत मूल्यों की जरूरत है। अहिंसा हमारे व्यवहार का पहला तरीका होना चाहिए।

युवा चौपाल में प्राध्यापक अरूणाम सौरभ ने सांस्कृतिक राष्ट्रवाद और महात्मा गांधी विषय पर अपनी बात रखी। इसके बाद शिविरार्थी प्रभात फेरी निकालते हुए भोपाल के बड़े तालाब किनारे पहुंचकर श्रमदान व योगासन किया।

शिबिर में अलग अलग बौद्धिक सत्रों में चिन्मय मिश्र,  अविनाश आलोक, वरिष्ठ चिकित्सक आलोक गुप्ता, अरुण कुमार डनायक, संजय सिंह आदि ने आत्मनिर्भर भारत और गांधीजी विषय पर शिविरार्थियों से संवाद स्थापित किया। वहीं जागृति राही, वरिष्ठ पत्रकार लज्जा शंकर हरदेनिया ने पत्रकारिता के विविध आयामों पर प्रकाश डाला। वरिष्ठ पत्रकार बादल सरोज ने धर्म व साम्प्रदायिकता विषय पर बात रखते हुए कहा कि धार्मिक व्यक्ति कभी साम्प्रदायिक नहीं हो सकता और साम्प्रदायिक व्यक्ति कभी धार्मिक नहीं हो सकता।

चर्चा सत्र में वरिष्ठ लेखक ध्रुव शुक्ल ने महात्मा गांधी व युवा विषय पर बात रखते हुए कहा कि महात्मा गांधी, महात्मा बनने से पहले मोहन थे, वह मोहन स्वाबलंबी, कर्तव्यनिष्ठ बनकर समाज के प्रति अपने कर्तव्य का निर्वहन करते गए और महात्मा बन गए। आज भी हमें महात्मा की जरूरत है, वह आपमें से कोई भी हो सकता है। बस आप नौजवानों को अपने नैतिक मूल्यों को जागृत कर युवा जोश को सही दिशा देने की जरूरत है।

युवा चौपाल में वरिष्ठ लेखक पीयूष बबेले ने इतिहास का सच और प्रोपेगैण्डा संदर्भ महात्मा गांधी और नेहरू, विषय पर बात रखीं। सायंकालीन सांस्कृतिक संध्या में भोपाल की कवयित्री पल्लवी त्रिवेदी, श्रुति कुशवाहा, डॉ शेफाली, रक्षा दुबे चौबे, आफरीन लखनऊ, डॉ आरती, डॉ नेहल शाह, दयाराम नामदेव के कविता पाठ ने खुशनुमा सांझ को सराबोर कर दिया । शिविर में शिविरार्थी प्रभात फेरी के माध्यम से शांति व सद्भावना का संदेश बिखेरते हुए भोपाल शहर में निकले और बड़े तालाब किनारे श्रमदान किया।

कस्तूरबा समाज के लिए जीवन जीती रही

कस्तूरबा गांधी की पुण्यतिथि पर बा के छायाचित्र पर सूतांजलि अर्पित कर श्रद्धांजलि दी गई। जागृति राही ने कस्तूरबा गांधी के जीवन चरित्र को साझा करते हुए, एक महिला के गृहिणी होने के साथ सत्याग्रही बनने की बात बताई, इसके बावजूद भी उनका ममत्व व पतिपरायणता कम नहीं होती, यह ताकत उन्हें अपने संयमी व त्यागी जीवन से मिल रही थी। मध्‍यप्रदेश गांधी स्मारक निधि की सचिव दमयंती पाणी ने कस्तूरबा गांधी को याद करते हुए कहा कि एक महिला में परिवार के कारण धन संग्रह की भावना होती, लेकिन बा ने कभी संग्रह नहीं किया। वह समाज के लिए जीवन जीती रही और समाज पर ही निर्भर बनी रही।

संगठन का महत्व और हमारी भूमिका विषय पर बात रखते हुए राष्ट्रीय युवा संगठन के प्रदेश संयोजक शिवकांत त्रिपाठी ने कहा कि संगठन में विचार की सर्वाधिक जरूरत है तभी वह विचार युक्त संगठन असहमति के आधार पर लोकतांत्रिक तरीके से संचालित हो सकता है। जिसमें सर्वोदय की भावना होगी, सभी का नियत उत्तरदायित्व व कर्तव्य भी होगा।

युवा भारत के उमेश तुरी ने कहा कि संगठन में छह ‘क’ की जरूरत है – कार्य, कार्यक्रम, कार्यालय, कोष, कार्यकर्ता व कार्यशैली। तभी संगठन बिखरे हुए लोगों को इकट्ठा कर समाज निर्माण का कार्य कर सकता है। मध्य प्रदेश गांधी स्मारक निधि के वरिष्ठ कार्यकर्ता विजयानंद तिवारी, मध्य प्रदेश सर्वोदय मंडल के कार्यालय सचिव शिवाशीष तिवारी ने भी अपने विचार रखे।

खुले सत्र में शिविरार्थियों ने शिविर से अपेक्षा, शिविर के दौरान  क्या सीखा व शिविर से क्या सीख लेकर जा रहे है इस पर अपने मन की बात रखी। राजधानी कॉलेज दिल्ली के छात्र नितिन कहते हैं कि मेरा हिंदू व हिंदुत्व के प्रति समझ खंडित हुई तथा सही व तार्किक दृष्टिकोण का निर्माण हुआ है। संस्कृति कहती हमें आचरण के रूप में गांधी विचार मिला है। विवेक कहते हम समाज के लिए कैसे जीये, यह भाव मुझे मिला। अजय, झारखंड कहते मुझे सर्वधर्म समभावी समाज बनाने का संकल्प इस शिविर से मिला हैं। शिविरार्थियों की बातें सुनने के बाद जागृति राही ने कहा कि हमें इस शिविर के बाद क्या नहीं करना – हिंसा से दूर रहना, हिंसा फैलाने वालों से दूर रहना, नशे से दूर रहना, पोर्न फैलाने वालों से दूर रहना। क्या करना है – ट्रूथ आर्मी बनाना, स्टडी सर्किल बनाना, रोज प्रतिदिन श्रमदान, व्यायाम करना, शिविर की बातों से लोगों को परिचित करना आदि।

शिविर के समापन सत्र के मुख्य अतिथि हिंदी भवन न्यास के सचिव कैलाश चंद्र पंत, देश के ख्याति लब्ध पत्रकार पद्मश्री विजय दत्त श्रीधर, इंडियन रिवेन्यू सर्विस के सेवानिवृत्त कमिश्नर आर के पालीवाल, सेवानिवृत्त आईएएस अजय शर्मा, गांधी भवन न्यास के सदस्य महेश सक्सेना, राकेश दीवान आदि अतिथियों ने आशीर्वचन देकर नौजवानों की हौसला अफजाई की। वक्‍ताओं ने कहा कि ऐसे रचनात्मक युवा शिविर भारतीय सनातन परंपरा को अक्षुण्ण रखने के लिए आवश्यक होने के साथ-साथ भारत की भविष्य की पीढ़ी में संस्कार का निर्माण करने के लिए बहुत आवश्यक है। अंत में शिविरार्थियों को प्रमाण पत्र प्रदान किए गए। गांधी भवन न्यास के ट्रस्‍टी अरुण कुमार डनायक ने सब के प्रति आभार माना। (प्रस्‍तुति अंकित मिश्रा)

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