मौजूदा विकास की अवधारणा के चलते दुनियाभर में प्रतिरोध हो रहे हैं। हाल में मध्य अमेरिकी देश पनामा Panama में तांबे की खदान के विरोध में आम लोगों ने प्रदर्शन किया और सुप्रीम कोर्ट तथा राष्ट्रपति को अपनी बात समझा पाए। इस संघर्ष की कहानी बता रहे हैं, उपेन्द्र शंकर।
मध्य अमेरिकी देश पनामा की खुले गड्ढ़े वाली तांबे की खदान के खिलाफ जनता के विरोध प्रदर्शन ने Panama पनामा को एक महीने से अधिक समय से घेराबंदी की स्थिति में रखा है। सड़क पर खड़े किये गये अवरोधों के कारण गैस और प्रोपेन ईधन की कमी हो गई है। कई सुपरमार्केट की अलमारियां खाली हैं और रेस्टोरेंट, होटल सूने हैं, लेकिन 28 नवम्बर 2023 को Panama पनामा में प्रदर्शनकारियों को ख़बर मिली कि सुप्रीम कोर्ट ने सर्वसम्मति से फैसला सुनाया है कि व्यापक पर्यावरण विरोध का केंद्र बिंदु रही कनाडाई तांबे की खदान, ‘कोबरे पनामा’ के लिए 20 साल की रियायत असंवैधानिक है। यह भी पता चला कि पनामा के राष्ट्रपति ने कहा है कि खदान को बंद करने की प्रक्रिया शीघ्र शुरू होगी।
खबर सुनते ही लोग सड़कों पर निकल आये। प्रदर्शनकारियों ने सुप्रीम कोर्ट के सामने सड़क पर डांस किया। उन्होंने लाल, सफेद और नीला पनामा का झंडा लहराया और राष्ट्रगान गाया। एक प्रदर्शनकारी रायसा बानफ़ील्ड ने कहा – “यही वह चीज़ है जिसका हम इंतज़ार कर रहे थे।’’ कनाडा के ‘फर्स्ट क्वांटम मिनरल्स’ की स्थानीय सहायक कंपनी ‘मिनेरा पनामा,’ जो पनामा में खदान का संचालन करती है, ने एक बयान में कहा कि “कोबरे पनामा अदालत के फैसले को स्वीकार करता है।’’
‘कोबरे पनामा’ के नाम से जानी जाने वाली यह खदान 2019 से उत्पादन कर रही थी और प्रति वर्ष 300,000 टन तांबा निकाल रही थी। यह देश के ‘सकल घरेलू उत्पाद’ (जीडीपी) का लगभग पांच प्रतिशत और पनामा के निर्यात का 75 प्रतिशत है। खनन क्षेत्र पनामा के ‘जीडीपी’ में लगभग सात प्रतिशत का योगदान देता है, जिसमें ‘कोबरे पनामा’ सबसे महत्वपूर्ण खदान रही है।
प्रदर्शनकारियों ने कहा कि ‘कोबरे पनामा’ देश के पर्यावरण के लिए एक आपदा है, इससे जंगली तटीय क्षेत्र को नुकसान होगा और विशेष रूप से जल-आपूर्ति को खतरा होगा। यह एक विदेशी निगम को दिया गया तोहफा है, जिसे जनता ने देश की संप्रुभता पर हमला करार दिया है। संप्रभुता का यह प्रश्न पनामावासियों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण रहा, क्योंकि उन्होंने पनामा नहर क्षेत्र को अमेरिका के नियंत्रण से छुटकारा दिलाने के लिए 20 वीं सदी में एक लम्बी लड़ाई लड़ी थी।
इसी ओपन-पिट खदान को पिछले साल अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया था, जब सरकार और ‘फर्स्ट क्वांटम’ के बीच सरकार द्वारा वांछित भुगतान पर बातचीत टूट गई थी। मार्च 2023 में पनामा की विधायिका ‘फर्स्ट क्वांटम’ के साथ एक समझौते पर पहुंची, जिससे ‘मिनेरा पनामा’ को कम-से-कम 20 और वर्षों तक विशाल तांबे की खदान का संचालन जारी रखने की अनुमति मिल गई।
इसे 20 अक्टूबर 2023 को कांग्रेस के माध्यम से तेजी से आगे बढ़ाया गया। पनामा के राष्ट्रपति कॉर्टिज़ो ने कुछ घंटों में ही इस पर हस्ताक्षर कर अनुबंध को अंतिम मंजूरी दे दी, जिससे सहायक कंपनी को अगले 20 वर्षों के लिए राजधानी के पश्चिम में अटलांटिक तट पर एक जैव-विविधता वाले जंगल में खदान का संचालन जारी रखने की अनुमति मिल गई। राष्ट्रपति और उनके मंत्रिमंडल ने नए अनुबंध की सराहना करते हुए कहा था कि इससे राज्य और पनामा की जनता को अप्रत्याशित लाभ होगा।
देश की जनता और पर्यावरण कार्यकर्ताओं को राष्ट्रपति, उनका मंत्रिमंडल और कंपनी के जनसंपर्क अधिकारी इस अनुबंध से सहमत और संतुष्ट नहीं कर पाए। खदान पर विवाद के कारण हाल के वर्षों में पनामा में सबसे व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए, जिसमें खदान के बिजली संयंत्र की नाकाबंदी भी शामिल थी। प्रदर्शनकारियों ने पैन-अमेरिकन राजमार्ग के कुछ हिस्सों को भी अवरुद्ध कर दिया था।
‘मिनेरा पनामा’ ने इस महीने की शुरुआत में एक बयान में कहा था कि प्रदर्शनकारियों की छोटी नौकाओं ने कोलन प्रांत में उसके बंदरगाह को अवरुद्ध कर दिया था, जिससे खदान तक किसी भी प्रकार की आपूर्ति नहीं पहुंच पा रही थी। नौसेना पुलिस ने बताया कि कोयला ले जा रहे एक जहाज ने “प्रदर्शनकारियों के एक समूह के तीव्र विरोध के कारण वापस लौटने का फैसला किया।’’ विरोध प्रदर्शन शुरू होने के बाद, सरकार ने एक प्रस्ताव पारित कर दिया था जो अनुबंध को रद्द कर देता, लेकिन 2 नवंबर 2023 को नेशनल असेंबली में एक बहस में वह पीछे हट गई।
‘अल-ज़जीरा’ अखबार में माइकल फॉक्स के अनुसार यह फैसला निवेशकों और देश की दीर्घकालिक क्रेडिट रेटिंग के लिए एक बड़ा झटका है, लेकिन फिलहाल पनामा के लिए राहत का एक स्रोत है, जो दशकों में देश को परेशान करने वाले सबसे बड़े विरोध आंदोलन से हिल गया है। विश्लेषकों का कहना है कि विरोध प्रदर्शन और फैसले का पनामा में कारोबार करने की इच्छुक विदेशी कंपनियों पर असर पड़ेगा। अदालत का यह फैसला और राष्ट्रपति की घोषणा खदान के कर्मचारियों के लिए भी झटका है। खदान में लगभग 6,600 लोग कार्यरत हैं – जिनमें से 86 प्रतिशत पनामा के हैं।
इस सबके बाबजूद माइकल फॉक्स के अनुसार, पनामा के अधिकांश लोगों के लिए सुप्रीम कोर्ट का फैसला एक स्वागत योग्य संकेत है और देश सामान्य स्थिति की राह पर है। पनामा के ‘इंटरनेशनल सेंटर ऑफ सोशल एंड पॉलिटिकल स्टडीज’ के निदेशक हैरी ब्राउन अराउज़ ने ‘अल-जज़ीरा’ को बताया कि “हम एक नए चरण में हैं।’’ जैसा कि हमने अब तक देखा है, विरोध प्रदर्शन रुक गये हैं, कई बाधाएं दूर हो गई हैं, कई हफ्तों से खाली पड़े राजमार्ग अब खुल गए हैं और गैस स्टेशनों का कारोबार फिर से शुरू हो गया है। वहीं सरकार ने कहा है कि वह व्यवस्थित तरीके से खदान को बंद करने की प्रक्रिया शुरू करेगी। इससे आबादी में आत्मविश्वास पैदा हो सकता है, जो खो गया था। (सप्रेस)
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