अज़ीम प्रेमजी विश्वविद्यालय, भोपाल का वार्षिक जलवायु महोत्सव

अज़ीम प्रेमजी विश्वविद्यालय, भोपाल ने अपने वार्षिक जलवायु महोत्सव के तीसरे वर्ष ‘माउंटेन्स ऑफ लाइफ’  का सात दिवसीय महोत्सव जलवायु परिवर्तन के प्रति जागरूकता बढ़ाने और पर्यावरण के साथ लोगों के गहरे संबंध को समझाने का बेहतरीन प्रयास है। इस महोत्सव में भोपाल एवं आसपास के जिलों के हजारों छात्र, शिक्षक, कलाकार,सामाजिक कार्यकर्ता, पर्यावरण से सरोकार रखने वाले व्‍यक्ति और विभिन्न समुदायों के लोग शामिल हो रहे हैं। इस महोत्सव में विशेष रूप से युवाओं के अलावा दिन करीब 750-800 स्कूली बच्चे इसका अनुभव कर रहे है, जिसमें शासकीय व प्रायवेट हायर सेकेण्‍डरी के बच्‍चे शामिल हो रहे है। ‘माउंटेन्स ऑफ़ लाइफ़’- को देखने के लिए विभिन्न स्कूलों और कॉलेजों से अब तक 300 से अधिक विद्यार्थी आ चुके हैं। यह महोत्सव 9 दिसंबर तक खुला रहेगा, और इसमें भाग लेने का प्रवेश नि:शुल्क है।

पहाड़ों की कहानियों को जीवंत बनाने का प्रयास

‘माउंटेन्स ऑफ लाइफ’ महोत्सव में कला प्रतिष्ठानों, तस्वीरों, संगीत, फिल्मों, शिल्पकृतियों और इंटरैक्टिव कार्यशालाओं के माध्यम से पहाड़ों की विविध कहानियों को प्रदर्शित किया गया है। विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर गौतम पांडे का कहना है कि  “हमारे सालाना महोत्सव पहाड़ों ककी कहानियों को जीवंत बनाता है। यह आयोजन पहाड़ों के साथ मानव समाज के गहरे रिश्ते और उनके संरक्षण की तात्कालिक जरूरतों को रेखांकित करता है।“

सावनदुर्ग और चामुंडी हिल में इंसानों और प्रकृति के सह अस्तित्‍व की कहानियों से लेकर अरुणाचल प्रदेश के निशी समुदाय की परंपरा और आधुनिकता के बीच सामंजस्य स्थापित करने की कोशिशों तक की झलकियाँ प्रस्तुत की गईं। प्रदर्शनी में भीमबेटका की प्राचीन गुफा चित्रकला, लद्दाख के पत्थरों पर बनी चित्रकारी और मिजोरम के मोनोकल्चर प्लांटेशन की कहानियों को भी शामिल किया गया। जिसे विभिन्‍न जिलों से आए स्‍कूली और कॉलेज के विद्यार्थियों को पहाड़ों के बांरे में जानने-समझने को मिला है।

छात्रों और समुदायों के लिए अनूठा अनुभव

यह महोत्सव विशेष रूप से युवाओं के लिए तैयार किया गया है। इसमें देशभर से आए विद्यार्थी, युवा इंटर्न्स द्वारा संग्रहित पर्वतीय कहानियों और अनुभवों के माध्यम से भारत की समृद्ध पारिस्थितिकी से परिचित हो रहे हैं। प्रदर्शनी में थ्री-डायमेंशनल मॉडल, फिल्म स्क्रीनिंग, और कला कार्यशालाओं ने छात्रों को व्यावहारिक और मजेदार तरीकों से पर्यावरण को समझने का अवसर प्रदान किया।

भोपाल के स्कूली बच्चों का एक समूह आश्चर्यचकित होकर दुर्लभ तिब्बती हिरण, गंभीर रूप से संकटग्रस्त कश्मीरी बारहसिंगा, और संकटग्रस्त हिमालयी याक की दुनिया का अवलोकन कर रहा था। इसके साथ ही, छात्रों ने हम्पी के ऐतिहासिक धरोहरों के मॉडलों और अरावली पर्वत श्रृंखला के चित्रात्मक पुनर्निर्माण से इतिहास और प्रकृति के अद्भुत तालमेल को समझा। एक समूह के युवा छात्र परिसर में लटकाए गए विशाल ग्लोब को देख रहे थे और चर्चा कर रहे थे कि हिमालय के पास दिखने वाला भूमि क्षेत्र अफगानिस्तान का है या नहीं, और क्या अफगानिस्तान एक देश है या महाद्वीप?

पहाड़ों की विविधता का उत्सव

हिमालयी खानाबदोशों के लोकगीतों से लेकर लद्दाख और स्पीति में वन्यजीवन की कहानियों तक, यह महोत्सव पर्यावरणीय संरक्षण के संदेश को एक नए दृष्टिकोण के साथ प्रस्तुत करता है। यहां ट्रेकिंग मानचित्रों, कविताओं, चित्रों और सैंडबॉक्स प्रदर्शनी, जिसमें रेत ऊंचाई के साथ रंग बदलती है, के माध्यम से छात्रों को पर्वतीय पारिस्थितिकी और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को समझाया गया।

महोत्सव में लगी प्रदर्शनी के एक भाग में वनस्पति और जीव-जंतुओं को उनके अद्भुत रूप में दिखाया गया, तो वहीं दूसरी ओर, यह यात्रा अरावली के पुनर्निर्माण और वायनाड तथा जोशीमठ में आपदाओं, चिकमगलूर के मलय्यनगिरी में जल संकट और हिमाचल प्रदेश के जलविद्युत बांधों के पर्यावरणीय प्रभावों पर प्रकाश डालती है।

नई पीढ़ी में पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ाने का उद्देश्य

इस महोत्सव का उद्देश्य केवल पहाड़ों की सुंदरता का उत्सव मनाना नहीं है, बल्कि लोगों को पर्यावरण के प्रति उनकी जिम्मेदारी के बारे में सोचने के लिए प्रेरित करना भी है। यह पहल पर्यावरण संरक्षण के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित करने और संवाद के नए रास्ते खोलने में सहायक है। अजीम प्रेमजी विश्‍वविद्यालय, भोपाल के जलवायु प्रकोष्‍ठ के प्रोफेसर शंतनु गोस्‍वामी ने बताया कि महोत्सव के दौरान इंटरैक्टिव कार्यशालाएं, पैनल डिस्कशन, फिल्म स्क्रीनिंग, लोकगीत प्रस्तुतियां, और फोटो आधारित कहानियों की प्रदर्शनी ने इस आयोजन को समृद्ध बनाया है। हजारों छात्रों और शिक्षकों के साथ एक स्‍तर का संवाद स्‍थापित करने का प्रयास किया है।

बेहतर भविष्य के लिए प्रेरणा

अजीम प्रेमजी विश्‍वविद्यालय का बेहतरीन प्रयास वास्‍तव में आम जनों को वैश्विक मुद्दों के प्रति सजग बनाने का अभिक्रम है। इस प्रकार के अनुभव छात्रों को देश की समृद्ध पर्यावरणीय विविधता से जुड़ने का महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करता हैं, जो आज के पाठ्यक्रम और कक्षा की सामग्री में प्रचलित रटने की प्रथा से परे हैं। ऐसे प्रयास वर्तमान समय के लिए बेहद आवश्यक हैं, क्योंकि ये पर्यावरण से जुड़ने के नए तरीकों को प्रोत्साहित करते हैं और लोगों को इसके संरक्षण के लिए प्रेरित कर सकते हैं। विश्‍वविद्यालयों का दायित्‍व होना चाहिए कि वे शैक्षिक पाठ्यक्रमों के इतर समाज को जागरूक और सचेत कर न केवल पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकता पर प्रकाश डाले, बल्कि जब तक हम, जनता, अपने प्रतिनिधियों और समाज से समाधान की मांग करने हेतु प्रेरित नहीं करेंगे, तब तक बदलाव संभव नहीं होगा। उम्मीद है कि यह महोत्सव संवाद और पहल के लिए प्रेरणा बनेगा, जिससे बेहतर भविष्य की कल्पना को साकार किया जा सके।

जनवरी 2024 में अज़ीम प्रेमजी विश्वविद्यालय, भोपाल ने ‘फ़ॉरेस्ट ऑफ़ लाइफ’ का उत्सव मनाया था, जिसने भारत के विविध जंगलों की कहानियों को जीवंत किया था। इस प्रदर्शनी ने जंगल पर निर्भर टिकाऊ आजीविका की कहानियों तथा इन्सान और जानवरों के टकराव की चुनौतियों से परिचित कराया था।इसमें प्रकृति के साथ देशज समुदायों के जुड़ाव की पड़ताल की गई और बेहतर रोज़गार के लिए सकारात्मक योगदान कर सकने वाली स्थितियों पर चर्चा की गई थी।