‘झंडा ऊंचा रहे हमारा’ अभियान के तहत संविधान में पर्यावरण पर परिचर्चा
इंदौर, 15 जनवरी। पर्यावरण को सरकार की प्राथमिक सूची में शामिल होना चाहिए। देश में हर वर्ष 42 अरब टन कार्बनडाई आक्साईड पैदा हो रही है। इससे बचने के लिए हमें सरकार और समाज के स्तर पर बहुत से प्रभावी कदम उठाना होंगे। आज विकास के नाम पर पर्यावरण को संगठित रूप से क्षति पहुंच रही है या यों कहें कि पहुंचाई जा रही है। शहर में हर दिन 1100 से 1200 टन कचरा निकल रहा है और इसमें से 20 से 25 टन कचरा हर दिन जलाया जाता है, जो वायु प्रदूषण को भी बढ़ा रहा है। पेड़ों को कटने से बचाने, जल के अत्यधिक दोहन को रोकने, खेती में कीटनाशक को ज्यादा वापरने की प्रवृत्ति को रोकने और वाहनों के दिन पर दिन बढ़ रहे उपयोग से भी हर दिन नई बीमारियां पनप रही हैं। ग्लोबल वार्मिंग हमारे जीवन का अंग बन गया है।
उक्त प्रभावी और तथ्यपूर्ण विचार पर्यावरण विषय के विशेषज्ञों और जानकार वक्ताओं ने ‘संविधान में पर्यावरण और नागरिकों की भूमिका’ विषय पर व्यक्त किए। ‘झंडा ऊंचा रहे हमारा’ अभियान के अंतर्गत बुधवार शाम इंदौर प्रेस क्लब के राजेन्द्र माथुर सभागृह में संस्था सेवा सुरभि, इंदौर पुलिस, नगर निगम, इंदौर विकास प्राधिकरण एवं जिला प्रशासन की सहभागिता में चलाए जा रहे इस अभियान में देश के संविधान पर दिलचस्प परिसंवाद का आयोजन हुआ।
पर्यावरण के लिए टेक्नोलॉजी और एआई का सही उपयोग हो
प्रथम वक्ता के रूप में मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से जुडे रहे श्री सुनील व्यास ने कहा कि वर्तमान में पर्यावरण चिंतन का विषय हैं। पेड़ों के कटने, जल के अत्यधिक दोहन, खेती में रायासनिक दवाएं डालने, वाहनों के उपयोग से हम हर दिन नई बीमारी को जन्म दे रहे है और मृत्यु को न्यौता दे रहे हैं। जलवायु परिवर्तन को जीवन का अंग बना रहे हैं। इस संबंध में टेक्नोलॉजी और एआई का सही जगह उपयोग करना होगा। एयर फिल्टर, एटीपी, एसटीपी ने भी मदद की हैं। डिजिटल शिक्षा के माध्यम से लोगो को जागरूक करना होगा। पर्यावरण को बचाने के लिए युवाओ की भागीदारी जरूरी हैं।
पर्यावरण के सत्य और तथ्य मीडिया ही सब तक पहुँचा सकता हैं
पर्यावरण डाइजेस्ट के संपादक एवं पर्यावरण जानकार डॉ. खुशालसिंह पुरोहित ने कहा कि हम सौभाग्यशाली हैं कि अखबारों में एक कालम पर्यावरण के लिए रहता हैं। और मीडिया हमेशा से पर्यावरण के पक्ष में रहा हैं। मीडिया ने बहुत अहम भूमिका निभाई हैं। पर आज काफी चुनौतियां हैं। कितनी ही खबरें मीडिया तक नहीं पहुंच पाती हैं। पर्यावरण के सत्य और तथ्य मीडिया ही सब तक पहुँचा सकता हैं। पत्रकार वह हैं, जो जिसके मन में समाज के लिए कुछ करने का जज्बा हो और सरकार की जिम्मेदारी हैं कि इन कालिदासों को जिंदा रख सकें।
शासन की संस्थाओं की बड़ी जिम्मेदारी है पर्यावरण संरक्षण की
मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से जुड़े रहे डॉ. दिलीप वाघेला ने कहा कि जीवन की शुरुआत और अंत दोनों ही पर्यावरण से हैं। जिला प्रशासन, नगर पालिक निगम, स्मार्ट सिटी, आईडीए, आरटीओ जैसे इंदौर के कई संस्थानों की जिम्मेदारी है पर्यावरण पर काम करना पर विकास के नाम पर कितने ही संगठन पर्यावरण को क्षति पहुंचा रहे है। इसलिए हमारी जिम्मेदारी हैं कि पेड़ों को न काटें, कचरा न जलाएं, इ-व्हीकल का उपयोग करें, बिजली की खपत कम करें, जल स्त्रोतों को साफ और सुरक्षित रखें। हर दिन शहर में 1100 से 1200 टन कचरा निकलता हैं। इतना कचरा पूरे प्रदेश में पैदा नहीं होता। 20 से 25 टन कचरा हर दिन जलता है, जो वायु प्रदूषण को प्रभावित करता हैं और स्वास्थ्य पर असर करता हैं।
हम इतनी देर न कर दें कि मनुष्यों को ही बचा न पाएं
पर्यावरण कानून के जानकार एवं सामाजिक कार्यकर्ता राहुल बैनर्जी ने कहा कि हर वर्ष 42 अरब टन कार्बन डाइ ऑक्साइड का उत्सर्जन हो रहा है और इससे बचने के लिए हम पर्यावरण का ही शोषण किये जा रहे हैं। संविधान में लिखा हैं कि राइट टू लिव, सभी का अधिकार हैं पर हमें समझना होगा, इन सभी में जीव-जन्तु, पेड़-पक्षी सब आते हैं और हम जैसे मनुष्य खुद से आगे किसी के लिए सोच ही नहीं रहे हैं। और इसी का नतीजा क्लाइमेट चेंज, मनुष्यों की अनायास मृत्यु होना, कम उम्र में किसी बीमारी का हो जाना आदि घटनाएं हो रही हैं। हम इतनी देर न कर दें कि मनुष्यों को ही बचा न पाएं। बडे़ – बडे टॉवर की वजह से पंछियों को नुकसान पंहुच रहा हैं। हमारी लापरवाही कि वजह से कितनी ही प्रजातियां विलुप्त हो गई।
प्रारंभ में परिचर्चा के संयोजक भूगर्भ जल विशेषज्ञ सुधीन्द्र मोहन शर्मा ने विषय प्रवर्तन करते हुए कहा कि स्वच्छ पर्यावरण मिलना हर नागरिक का अधिकार है। संविधान केवल अक्षरों का समूह नहीं, बल्कि जीवन को प्रभावित करने वाला आवश्यक तत्व है। देश में सिर्फ आदिवासी समाज ही ऐसा है, जिसने पुरखों की जीवन शैली को बचाए रखा है। आने वाली पीढ़ी को बचाना है तो पर्यावरण पर भी स्पष्ट कानून संविधान में होना चाहिए। पर्यावरण विद एवं प्रोफेसर डॉ. ओ.पी. जोशी ने भी परिचचर्चा के दौरान पर्यावरण के महत्व पर प्रकाश डाला।
अतिथियों का स्वागत संस्था सेवा सुरभि की ओर से कमल कलवानी, जयश्री सिक्का, श्रेयांश, हरेराम वाजपेयी एवं अन्य सदस्यों ने किया। अतिथियों ने दीप प्रज्जवलन कर परिचर्चा का शुभारंभ किया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में शहर के पर्यावरण से जुड़े अनेक संगठनों के प्रतिनिधि उपस्थित थे। संचालन किया अभिभाषक अनिल त्रिवेदी ने।