डॉ. ओ.पी. जोशी

आसमान से बर्फ के गोले या सिल्लियां गिरने की घटनाएं दुनिया में कई स्थानों पर हुई है। बर्फ के गिरे गोलों या सिल्लियों का वजन 5-7 किलो से लेकर 25-30 किलो तक आंका गया है एवं रंग सफेद, नीला, हरा, पीला या मटमैला देखा गया है। ब्रिटेन के नागरिक विमानन प्राधिकार का मानना है कि हर साल ब्रिटेन के आकाश से तकऱीबन 25 लाख जहाज़ गुज़रते हैं और नीले बर्फ़ के गिरने की लगभग 25 घटनाएं होती हैं।

अभी पिछले 23 दिसंबर 2021 को लगभग 35 हजार फीट की ऊंचाई पर उड़ रहे ब्रिटीश एअरवेज के एक विमान पर एक बर्फ का भारी टुकड़ा इतनी जोर से आकर गिरा कि विड़ं-स्क्रीन का दो इंच मोटा शीशा टूट गया। सौभाग्य से 200 विमान यात्री बच गए एवं विमान को सावधानीपूर्वक सेनाजोस (कोस्टारिका) में उतारा गया।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार लंदन से बोईंग 777 क्रिसमस को लंदन के गेटविक से कोस्टा रिका के सैन जोस जा रहा था, वही 30000 फीट की ऊंचाई पर यह दुर्घटना हो गई । इसके बावजूद इस विमान को सुरक्षित सैन जोस पर लैंड करवाया गया। बर्फ का यह भारी टुकड़ा इस विमान से 1000 फीट की ज्यादा ऊंचाई पर उड़ रहे विमान से आया था।

साफ मौसम में आसमान से इस प्रकार बर्फ के गोले या सिल्लियां गिरने की घटनाएं दुनिया में कई स्थानों पर हुई है। बर्फ के गिरे गोलों या सिल्लियों का वजन 5-7 किलो से लेकर 25-30 किलो तक आंका गया है एवं रंग सफेद, नीला, हरा, पीला या मटमैला देखा गया है। अक्टूबर 2017 में स्काटलैड के रेनफ्रेशवाटर इलाके में हेथवेली परिवार के मकान के आंगन में बर्फ का विशालकाय गोला इतनी तेजी से आकर गिरा कि वहां 4 फीट चौड़ा एवं 2 फीट गहरा गड्ढा बन गया।

वर्ष 2018 के जनवरी माह में हमारे देश में गुरूग्राम के पास के गांव फाजिलपुर में सुबह – सुबह वहां के किसान बलवान सिंह के खेत में बर्फ का गोला इतनी जोर से आवाज कर गिरा कि वहां कार्यरत सारे लोग डर गए। इसके अलावा हमारे देश में ग्रेटर नोएडा के पास सुरजपुर, दिल्ली से 25-30 किलोमीटर दूर लोहट गांव, म.प्र. में रायसेन जिले के मदनपुर, उ.प्र. के फैजाबाद जिले के मिल्कीपुर, राजस्थान के चुरू एवं झुंझनु जिले के कुछ गांवों एवं कुछ अन्य स्थानों पर भी अलग-अलग समय पर बर्फ गिरने की घटनांए हुई है। घटनाओं के बाद इनके समाचार प्रमुखता से प्रकाशित होते रहे है एवं इसकी व्याख्या भी अपने अनुसार की जाती है। अंध विश्वासी इसे देवी – देवताओं का प्रकोप, धार्मिक किसी पाप की सजा एवं कुछ एलियन (दूसने ग्रहों के लोग) का कार्य बताते है।

देश-विदेश की कई वैज्ञानिकों ने गिरे बर्फ का अध्ययन कर बताया कि यह यात्री-विमानों के शौचालय में जमा गंदगी (मल-मूत्र) से बनी होती है। इस आधार पर विदेशों में कई जागरूक संगठनों एवं नागरिकों ने पर्यावरण एवं स्वस्थ के नियमों के तहत सबंधित विभागों में शिकयत की एवं आशंका जतायी कि गिरी हुई गंदगी में यदि कोई संक्रमण हुआ तो प्रदूषण एवं रोग भी फैल सकते है।

Planes dropping ‘Blue Ice’_26.10.16

यात्री विमानों से गंदगी बर्फ के रूप में किस प्रकार गिरती है, इसे हम इस प्रकार समझ सकते है। यात्री विमानों में शौचालय निर्वात प्रणाली (वेक्यूम सिस्टम) पर कार्य करते है। शौचालय में फ्लश करने पर निर्वात पैदा होता है जिसमें मलमूत्र खिंचकर एवं टैंक या टंकी में पहुंच जाता है फ्लश के पानी में कीटाणुनाशक दवा मिली होती है जो सामान्यतः नीले रंग की होती है। उड़ान के समय इन टंकी में मलमूत्र एकत्र होता रहता है एवं उतरने पर एअर पोर्ट पर इसकी सफाई की जाती है। शौचालय को टेंक से जोड़ने वाली नलियों में किसी कारण से खराबी आ जाने पर मल-मूत्र को गंदगी रिसकर बाहर आने लगती है। लगभग 10 किलो मीटर की ऊंचाई पर कम तापमान होने से रिसकर बाहर निकली गंदगी बर्फ के रूप में जमा जाती है एवं इसकी मात्रा बढ़ती रहती है। ज्यादा ऊंचाई से विमान जब नीचे आने लगता है तो यहां तापमान ज्यादा होने से जमी हुई बर्फ गिर जाती है।

विमानन विशेषज्ञ इसे ‘ब्लू आइस’ यानी ‘नीली बर्फ़’ कहते हैं। यह नीली बर्फ़ दरअसल जमा हुआ मानव मल है, जो कभी कभी हवाई जहाज के टॉयलेट से गिर पड़ता है। यह नीला इसलिए होता है क्योंकि टॉयलेट में बदबू कम करने के लिए इसमें रसायन मिलाया जाता है। जिन विमानों में शौचालय की टेंक से जोडने वाली नलियों में रिसाव देखा गया था उन विमानों को संचालित करने वाली एअर लाइंस पर राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एन.जी.टी.) ने 50 हजार रूपयों का दंड दिसंबर 2016 में लगाया था।

वर्ष 2015-16 में दिल्ली के इंदिरा गांधी अंर्तराष्ट्रीय एयर पोर्ट के आसपास के इलाकों में लगातार गिरती गंदगी से परेशान होकर सेवानिवृत जनरल एस.एफ. दाहीया ने एन.जी.टी. में याचिका दायर की। एन.जी.टी.ने केन्दीय प्रदूषण नियंत्रण मंडल को गंदगी की जांचकर रिपोर्ट देने हेतु कहा। रिपोर्ट में गंदगी में मानव मल-मूत्र होने की पुष्टि हुई। यह गंदगी उन यात्री विमानों से गिरी थी, जो शौचालय टेंक की सफाई उतरने से पहले ऊपर ही कर लेते है। इस समस्या बाबद एन.जी.टी. ने केंद्र सरकार से भी जवाब मांगा था। निश्चित समयावधि में केंद्र सरकार द्वारा जवाब नहीं दिये जाने पर 50 हजार रूपये का अर्थ दंड़ भी लगाया था।

यात्री विमानों से बर्फ के रूप में या सीधे ही गंदगी गिरने की घटनाओं पर रोकथाम हेतु एन.जी.टी. ने 03 अगस्त 2018 को नागरिक उड्डयन के महानिर्देशक को निर्देश देते हुए कहा था कि वह यह सुनिश्चित करें कि हवाई यात्रा के दौरान विमानों के शौचालय टेंक साफ नहीं किए जाए एवं कहीं रिसाव हो तो उड़ान भरने के पूर्व ही आवश्यक रूप से ठीक किया जाए। देश में बढ़ते हवाई यातायात के साथ इस समस्या पर भी ध्यान दिया जाना चाहिये

[block rendering halted]

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें