राष्ट्रपति, केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री समेत 18 राज्यों के 120 जिलों में जिला अधिकारियों को सौंपे ज्ञापन

नई दिल्ली, 7 अप्रैल । विश्व स्वास्थ्य दिवस 2025 की थीम “स्वस्थ शुरुआत, आशाजनक भविष्य” के अवसर पर जन स्वास्थ्य अभियान इंडिया (JSA India) ने पूरे देश में स्वास्थ्य अधिकारों की पुरज़ोर आवाज़ बुलंद की। इस अभियान के तहत 18 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों के 120 से अधिक जिलों में जिला अधिकारियों को ज्ञापन सौंपे गए।

जन स्वास्थ्य अभियान के सचिवालय द्वारा माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुरमू और केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री श्री जे. पी. नड्डा को आठ सूत्रीय माँगपत्र भेजा गया। साथ ही, छत्तीसगढ़, ओडिशा, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, राजस्थान, बिहार, मणिपुर, महाराष्ट्र, पंजाब, कर्नाटक, झारखंड, हिमाचल प्रदेश, गुजरात, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, असम और तमिलनाडु सहित 18 राज्यों तथा दिल्ली और लद्दाख के मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्रियों को जिला अधिकारियों के माध्यम से यह ज्ञापन सौंपा गया।

अभियान की पृष्ठभूमि और स्वरूप
अभियान के संयोजक एवं सचिवालय टीम के अमिताव गुहा, चंद्रकांत यादव, राही रियाज, महजबीन भट, एस.आर. आजाद, गौरंगा महापात्र, संजीव सिन्हा, अमूल्य निधि ने बताया कि वर्ष 1978 के अल्मा-आटा घोषणापत्र में वर्ष 2000 तक “सभी के लिए स्वास्थ्य” का वादा किया गया था, परंतु 25 वर्षों के बाद भी यह लक्ष्य अधूरा है।

देशभर में अभियान से जुड़े सामाजिक संगठनों, स्वास्थ्य विशेषज्ञों और नागरिक समूहों ने अनेक दौर की चर्चाओं के बाद स्वास्थ्य व्यवस्था की समस्याओं, नीतिगत चुनौतियों और सुधार सुझावों पर एकजुट राय बनाई। इसके साथ ही अगले एक वर्ष के लिए व्यापक जन अभियान की योजना भी तैयार की गई।

निजीकरण पर विरोध और नीति सुधार की माँग
विशेषज्ञ सलाहकार समूह की रितु प्रिया, जगदीश पटेल, वीणा शत्रुघ्न, प्रबीर चटर्जी, प्रफुल्ल सामंतरा, राजकुमार सिन्हा ने चिंता व्यक्त की कि गुजरात, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक और झारखंड में जिला अस्पतालों को निजी संस्थाओं को सौंपने की प्रक्रिया चल रही है, जो निजी मेडिकल कॉलेज चला रही हैं। इसका व्यापक विरोध डॉक्टरों, सामाजिक संगठनों और नागरिकों द्वारा किया जा रहा है।

जन स्वास्थ्य अभियान इंडिया ने स्पष्ट किया कि यह नीति स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को कमजोर करती है। सरकार को चाहिए कि वह सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत बनाए, स्वास्थ्य बजट को सकल घरेलू उत्पाद का कम से कम 2.5% तक बढ़ाए और स्वास्थ्य के प्रमुख सामाजिक निर्धारकों पर विशेष ध्यान दे — जैसे कि खाद्य सुरक्षा, स्वच्छ पेयजल, रोजगार, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, महिला सुरक्षा और सुरक्षित कार्यस्थल।

जन स्वास्थ्य अभियान इंडिया की आठ प्रमुख माँगें:

  1. स्वास्थ्य और स्वास्थ्य सेवाओं के निजीकरण पर तत्काल रोक लगाई जाए।
  2. सभी सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं में दवाएँ पूर्णतः निःशुल्क हों; जीवन रक्षक एवं आवश्यक दवाओं पर कोई कर न लगे।
  3. स्वास्थ्य का अधिकार कानून बनाया जाए, जो सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों पर लागू हो; साथ ही स्वास्थ्य बजट को GDP के 2.5% तक बढ़ाया जाए।
  4. विकेन्द्रीकृत स्वास्थ्य प्रशासन सुनिश्चित हो; सामुदायिक सेवाओं, आशा, एएनएम, नर्सों की संख्या और कार्य स्थितियों में सुधार किया जाए।
  5. सभी राज्यों में क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट अधिनियम लागू किया जाए; निजी क्षेत्र में दर नियंत्रण और मानक उपचार दिशानिर्देशों का पालन हो।
  6. खाद्य सुरक्षा, सुरक्षित जल, रोजगार, महिला सुरक्षा, शिक्षा और पर्यावरण जैसे स्वास्थ्य निर्धारकों को प्राथमिकता दी जाए।
  7. सभी श्रमिकों को व्यावसायिक स्वास्थ्य सुरक्षा मिले; इसके लिए नीति, अधिनियम और नियम प्रभावी रूप से लागू किए जाएँ।
  8. सभी नीतियों में स्वास्थ्य को केंद्रीय विषय बनाया जाए; डिजिटल रिकॉर्ड की उपलब्धता और भेदभाव रहित सेवाएँ सुनिश्चित हों।

जन स्वास्थ्य अभियान इंडिया ने स्पष्ट किया है कि जब तक देश के हर नागरिक को गुणवत्तापूर्ण, सुलभ और समान स्वास्थ्य सेवाएँ नहीं मिलतीं, तब तक यह आंदोलन जारी रहेगा।