डॉ. अजय खरे स्मृति व्याख्यान माला में वरिष्ठ अधिवक्ता संजय पारीख का व्याख्यान
3 मार्च, भोपाल। सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता संजय पारीख ने कहा कि जब दुनिया में सार्वभौमिक मानवाधिकार घोषणापत्र (UDHR) पर चर्चा की जा रही थी, उसी समय भारत में हमारे जन प्रतिनिधि देश का संविधान बना रहे थे। देश में मानवाधिकारों को सार्वभौमिक मानवाधिकार घोषणापत्र और सामाजिक आर्थिक और सांस्कृतिक अधिकारों पर सम्मेलन (CSECR) की मूल भावना के अनुरूप थे। देश में मानवाधिकारों की रक्षा राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग करता है परंतु आयोग को पूर्ण रूप से शक्तियाँ नहीं दी गई है। सिलिकोसिस मामले में ऐसा ही हुआ गुजरात सरकार ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के पीड़ितों को मुआवजा दिये जाने संबन्धित निर्णय को नहीं माना और आयोग को सर्वोच्च न्यायालय में मामला ले जाना पड़ा।
वे आज गांधी भवन भोपाल में जन स्वास्थ्य अभियान द्वारा डॉ. अजय खरे स्मृति व्याख्यान माला की दसवीं कड़ी में ‘स्वास्थ्य और भूख के प्रति संवैधानिक, कानूनी और अधिकार आधारित दृष्टिकोण’ विषय पर मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक अधिकारों, स्वास्थ्य का अधिकार, भोजन का अधिकार, आवास, शुद्ध पेयजल, पोषण, सुरक्षा आदि का होना आवश्यक है। सरकार अपने दायित्व निजी हाथों को देती है तो सरकार अपनी ज़िम्मेदारी से मुक्त नहीं हो सकती है।
पारीख ने कहा कि अगर विकास की बात करते हैं तो स्वास्थ्य का अधिकार सुनिश्चित होना जरूरी है। निजी स्वास्थ्य सेवाएँ एक हिस्से को सेवाएँ दे रही है और 60 से 70 प्रतिशत जनसंख्या ग्रामीण और आदिवासी इलाकों में निवास करते हैं। इन इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति दयनीय है या नहीं है और पारंपरिक पद्धति पर आश्रित हैं। इसके साथ ही शहरी स्वास्थ्य की स्थिति गंभीर है। दिल्ली में कई लोग इलाज से वंचित है। कोर्ट एंड हंगर में बताया गया कि 8 जिलों मे पानी, भोजन आवास सुविधा नहीं थी वाहन पहली बार स्वास्थ्य सुविधा दी गई, ओड़ीशा में जहां भुखमरी से मर रहे थे, वहाँ मोबाइल स्वास्थ्य सेवाएँ पहुँचने का कार्य किया हुआ है। स्वास्थ्य देखभाल का प्रावधान होने के बावजूद मिलता नहीं था, 10 वर्षों तक निगरानी करके दवा, पानी, पोषण, स्वास्थ्य सेवा मिले।
पारीख ने कहा कि निजी अस्पतालों को नियमित करने के लिए क्लिनिकल इस्टेब्लिशमेंट एक्ट 2010 तो बना दिया परंतु मानक उपचार नियम और मूल्य निर्धारित नहीं किए। निजी अस्पतालों अनैतिक दवा परीक्षण, शव देने से इंकार करना, आपातकालीन सेवाएँ नहीं मिलना, जैसे लापरवाही होती है।
2013 में फाइजर ने 23.85 मिलियन जुर्माना दिया था और 8 सालों में 7 फार्मा कंपनियों ने 34186.95 करोड़ मार्केटिंग पर खर्च किए। भोपाल गैस पीड़ितों पर अनैतिक दावा परीक्षण हुए है जिसमें 22 लोगों की मृत्यु हुई है। अनैतिक दवा परीक्षण के मामले में स्वास्थ्य अधिकार मंच की याचिका के कारण कुछ बदलाव आया है। जो परिवर्तन हो रहा है उससे सबसे ज्यादा गरीब प्रभावित हो रहे है सकल घरेलू उत्पाद और अर्थव्यवस्था की मजबूती दोनों अलग अलग है। इसलिए सरकार भूख के आंकड़ों को नकार नहीं सकती। आगे बढना है तो स्वास्थ्य आलोचना को सुनना होगा तभी विकास होगा न कि उसे दबाने चाहिए। बोलने वालों के खिलाफ कार्यवाही लेना भी ठीक नहीं है।
इस मौके पर डॉ इमराना कदीर को जन स्वास्थ्य सम्मान 2023 से नवाजा गया। यह सम्मान प्रो ऋतु प्रिया ने सौंपा। डॉ अनत भान ने जन स्वास्थ्य सम्मान के बारे जानकरी देते हुये डॉ इमराना कदिर के बारे विस्तार से बताया।
उन्होंने कहा कि सार्वभौमिक स्वास्थ्य के लिए राज्य को ज़िम्मेदारी लेना पड़ेगी और स्वास्थ्य के क्षेत्र में अधिकार आधारित दृष्टिकोण पर कार्य करना होगा। हमें एक ओर कोविड का इंतजार नहीं करना चाहिए और स्वास्थ्य व्यवस्था को सुधारा जाए। स्वास्थ्य का अधिकार की बात संविधान के आर्टिकल 21 में भी ये ही बात की गई है, वह हमारे मौलिक अधिकार में शामिल है और इसे अभी नीति निदेशक में रखा हुआ है, जो 10 साल से लागू नहीं हुआ है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता नेशनल लॉ इंस्टिट्यूट युनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर (डॉ.) एस. सूर्य प्रकाश ने की और विषय प्रवर्तन श्री मनोहर अगनानी, पूर्व अतिरिक्त सचिव, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार ने किया।
जन स्वास्थ्य अभियान के श्री अमूल्य निधि ने बताया कि दिन के पहले हिस्से में जन स्वास्थ्य अभियान का राज्य स्तरीय सम्मेलन आयोजित किया गया जिसमें प्रदेश के मुख्य स्वास्थ्य के मुद्दों पर चर्चा की गई और भविष्य के लिए एक कार्य योजना का निर्माण किया गया जिसमें स्वास्थ्य सेवाओं के बढ़ते निजीकरण, मानसिक स्वास्थ्य, व्यावसायिक स्वास्थ्य, महिला स्वास्थ्य के मुद्दे और भोपाल गैस कांड की 40 वीं बरसी पर अभियान और दवा मूल्य निर्धारण के मुद्दों पर सार्थक प्रयास किए जाएंगे। इस मौके पर नई राज्य समन्वय समिति बनाई गई।
कार्यक्रम में मुख्य वक्ता का स्वागत सिलिकोसिस पीड़ित संघ के दिनेश रायसिंग, मोहन सूलया और माधवी ने किया और उनका परिचय राकेश दीवान ने दिया। डॉ. सूर्यप्रकाश ने स्मृति शुक्ला और परिचय धीरेंद्र आर्य ने किया।
कार्यक्रम का संचालन एस. आर. आजाद ने किया और आभार म.प्र. मेडिकल ऑफिसर्स एसोसिएशन के डॉ. माधव हसानी ने किया।