वरिष्ठ गांधीजनों ने जारी किया संयुक्त बयान
नईदिल्ली । 13 सितंबर । देश की प्रतिनिधि गांधीवादी संस्थाओं की ओर से यहां जारी एक संयुक्त बयान में कहा गया है कि कभी भारत का हिस्सा रहे अफगानिस्तान को हमें किसी दूसरे चश्मे से नहीं, अफगानी नागरिकों के चश्मे से ही देखना चाहिए। उन नागरिकों के चश्मे से जिनमें हम गांधीजनों को सरहदी गांधी खान अब्दुल गफ्फार खान की छवि दिखाई देती है। दूसरे विश्वयुद्ध के बाद तथाकथित मित्रों राष्ट्रों ने पराजित राष्ट्रों के साथ जैसा क्रूर व चालाक व्यवहार किया था, अफगानिस्तान के बहादुर व शांतिप्रिय नागरिकों के साथ खुद को महाशक्ति कहलाने वालों ने वैसा ही कायरतापूर्ण, बर्बर व्यवहार किया है सबसे पहले ब्रितानी साम्राज्यवाद ने, फिर रूसी खेमे ने और फिर अमरीकी खेमे ने।
गांधीवादी संस्थाओं की ओर से संयुक्त बयान जारी करने वाले गांधीजनों में श्री चंदनपाल, अध्यक्ष, सर्व सेवा संघ, कुमार प्रशांत, अध्यक्ष, गांधी शांति प्रतिष्ठान, रामचंद्र राही, अध्यक्ष, केंद्रीय गांधी स्मारक निधि, ए अन्नामलाई, राष्ट्रीय गांधी संग्रहालय, डॉ. बिश्वजीत, राष्ट्रीय युवा संगठन आदि उल्लेखनीय है।
देश के गांधीजनों ने गहरा दुख प्रकट करते हुए कहा है कि अफगानी नागरिकों का दुर्भाग्य ऐसा है कि अब उनके ही लोग, वैसी ही हैवानियत के साथ हथियारों के बल पर उनके सीने पर सवार हो गए हैं। हमारे लिए तालिबान किसी जमात का नहीं, उस मानसिकता का नाम है जो मानती है कि आत्मसम्मान के साथ आजाद रहने के नागरिकों के अधिकार का दमन हिंसा के बल पर किया जा सकता है। लेकिन इतिहास गवाह है कि ऐसी ताकतें न कभी स्थायी रह सकी हैं, न रह सकेंगी।
गांधीजनों ने बयान में कहा है कि यदि अंतरराष्ट्रीय शर्म जैसी कोई संकल्पना बची है तो आज का अफगानिस्तान दुनिया के हर लोकतांत्रिक नागरिक के लिए शर्म का विषय है। बहादुर अफगानियों को गुलाम बनाए रखने की तमाम चालों के विफल होने के बाद अमरीकी उसे खोखला व बेहाल छोड़ कर चले गए।
गांधी संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने कहा कि हमें वेदनापूर्वक यह भी कहना पड़ता है कि अफगानिस्तान की इस करुण-गाथा में भारत की सरकारों की भूमिका किसी मजबूत व न्यायप्रिय पड़ोसी की नहीं रही है। राष्ट्र-हित के नाम पर हम समय-समय पर अफगानिस्तान को लूटने वाली ताकतों का ही साथ देते रहे हैं। हम जोर दे कर कहना चाहते हैं कि ऐसी कोई परिस्थिति हो नहीं सकती है जिसमें किसी का अहित हमारा राष्ट्र हित हो।
उन्होंने कहा है कि हमारा दृढ़ विश्वास है कि अफगानिस्तान की बहादुर जनता जल्दी ही अपने लोगों के इस वहशीपन पर काबू करेगी, अपनी स्त्रियों की स्वतंत्रता व समानता तथा बच्चों की सुरक्षा की पक्की व स्थाई व्यवस्था बहाल करेगी। हम अपने पड़ोस में स्वतंत्र, समतापूर्ण और खुशहाल अफगानिस्तान देखने के अभिलाषी भी हैं और उस दिशा में अपनी तरफ से हर संभव प्रयास भी करेंगे।