बीते ब्रह्मांड की गुत्थियों को सुलझाने में जुटे खगोल शास्त्रियों की एक अंतर्राष्ट्रीय टीम ने हाल ही में अब तक की सबसे दूर स्थित मंदाकिनी को खोजने का दावा किया है। धरती से तकरीबन 13.5 अरब प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित इस मंदाकिनी को खोजकर्ताओं ने एचडी1 नाम दिया है। यह अब तक खोजी गई सबसे दूर स्थित मंदाकिनी जीएन-ज़ेड11 से भी 10 करोड़ प्रकाश वर्ष ज़्यादा दूर है। इस खोज के नतीजे दी एस्ट्रोफिज़िकल जर्नल में प्रकाशित किए गए हैं।
इस मंदाकिनी से हम तक पहुंचने वाला प्रकाश तब निकला था जब ब्रह्मांड महज 30 करोड़ साल पुराना था। यह 13.8 अरब वर्ष पहले हुए बिग बैंग के बाद अस्तित्व में आने वाली शुरुआती मंदाकिनियों में से एक है जो ब्रह्मांड की उत्पत्ति व विकास को लेकर हमारी मौजूदा समझ को भी बदल सकती है।
वैज्ञानिकों के मुताबिक एचडी1 मंदाकिनी इतनी पुरानी और दूर है कि इसमें सिर्फ धूल और गैस के गुबार ही दिखाई देते हैं। शुरुआती ब्रह्मांड में चारों ओर धूल और गैस ही बिखरी हुई थी। बिग बैंग के कुछ करोड़ सालों के बाद ही ब्रह्मांड की शुरुआती मंदाकिनियां बनी थीं। ये मंदाकिनियां आकार-प्रकार में हमारी मंदाकिनी (आकाशगंगा) से हज़ारों गुना ज़्यादा विशाल थीं। इन शुरुआती मंदाकिनियों का मूल काम आज की मंदाकिनियों के निर्माण का था। इसलिए आज ब्रह्मांड में मौजूद समस्त मंदाकिनियां इन्हीं शुरुआती मंदाकिनियों से बनी हुई हैं और हमारी आकाशगंगा भी संभवत: इन्हीं से बनी हुई हो।
हारवर्ड एंड स्मिथसोनियन सेंटर फॉर एस्ट्रोफिज़िक्स के वरिष्ठ खगोल-भौतिकविद फैबियो पैकूची के मुताबिक एचडी1 पराबैंगनी प्रकाश में बेहद चमकीली दिखाई देती है। इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि वहां कुछ ऊर्जावान प्रक्रियाएं हो रही हैं या फिर अरबों साल पहले हो चुकी हैं।
शुरू में खगोलशास्त्रियों को लगा कि एचडी1 बेहद अधिक रफ्तार से तारों का निर्माण कर रही स्टारबर्स्ट मंदाकिनी है। गणना करने पर पता चला कि एचडी1 हर साल 100 से ज़्यादा तारों का निर्माण कर रही थी। यह सामान्य स्टारबर्स्ट मंदाकिनियों की तुलना में भी 10 गुना अधिक है। तब खगोल शास्त्रियों की टीम को संदेह हुआ कि एचडी1 रोज़ाना सामान्य रूप से तारों का निर्माण नहीं कर रही है। एचडी1 से हम तक आने वाला प्रकाश भी दुविधा में डालने वाला है।
खगोल शास्त्रियों की टीम ने इस खोज को लेकर दो संभावनाएं प्रस्तुत की हैं। पहला यह कि संभवत: एचडी1 आश्चर्यजनक दर से तारों का निर्माण कर रही है और हो सकता है कि ये ब्रह्मांड के उन शुरुआती तारों में से हो, जिन्हें अब तक नहीं देखा गया था। दूसरा यह कि एचडी1 के अंदर सूर्य के द्रव्यमान का लगभग 10 करोड़ गुना बड़ा अतिविशाल ब्लैक होल हो सकता है। लेकिन, अगर इस मंदाकिनी में ब्लैक होल हुआ तो यह ब्रह्मांड के उन मॉडल्स के लिए चुनौती वाली जानकारी होगी जो ब्लैक होल के निर्माण और विकास की व्याख्या करते हैं। क्योंकि उनकी व्याख्या के उलट इस अतिविशाल ब्लैक होल का निर्माण व विकास ब्रह्मांड के विकास के इतिहास में बहुत ही जल्दी हो गया होगा। बिग बैंग के तुरंत बाद इतने विशाल ब्लैक होल का बनना ब्रह्मांड सम्बंधी हमारे वर्तमान मॉडल के लिए एक चुनौती है।
हालांकि अगर हम यह मान लें कि एचडी1 ब्रह्मांड में बनने वाले शुरुआती तारों या ‘पॉपुलेशन 3’ के वर्ग का है तो इसके गुणों को ज़्यादा आसानी से समझाया जा सकता है। ब्रह्मांड में बनने वाले तारों की पहली आबादी वर्तमान तारों की तुलना में अधिक विशाल, अधिक चमकदार और गर्म थी। वास्तव में पॉपुलेशन 3 के तारे सामान्य तारों की तुलना में अधिक प्रकाश उत्पन्न करने में सक्षम होते हैं। हो सकता है कि इसी वजह से एचडी1 पराबैंगनी प्रकाश में ज़्यादा तेज़ी से चमक रही हो।
पैकूची के अनुसार इतनी दूर स्थित स्रोत की प्रकृति के सवालों का सही जवाब देना चुनौतीपूर्ण काम है। यहां तक कि अत्यधिक चमकीले पिंड क्वासर्स का प्रकाश भी इतनी लंबी यात्रा के बाद इतना धुंधला हो जाता है कि हमारी शक्तिशाली दूरबीनों को भी उस पकड़ने में बहुत कठिनाई होती है। शुरुआती ब्रह्मांड के पिंडों की पड़ताल करना बहुत ही मुश्किल काम है। एचडी1 को सुबारू दूरबीन, विस्टा दूरबीन, यूके इन्फ्रारेड दूरबीन और स्पिट्ज़र अंतरिक्ष दूरबीन का इस्तेमाल करके लगभग 1200 घंटे के अवलोकनों के बाद खोजा गया। खगोल शास्त्रियों का कहना है कि सात लाख खगोलीय पिंडों के बीच में एचडी1 की खोज करना बहुत चुनौतीपूर्ण काम था। जेम्स वेब अंतरिक्ष दूरबीन का इस्तेमाल करते हुए खगोलशास्त्रियों की टीम जल्दी ही एक बार फिर से धरती से दूरी की पुष्टि करने के लिए एचडी1 का अवलोकन करेगी। अगर मौजूदा गणना सही साबित होती है, तो एचडी1 अब तक रिकॉर्ड की गई सबसे दूर स्थित और सबसे पुरानी मंदाकिनी होगी।