नीदरलैंड की एक अदालत ने 26 मई को एक ऐतिहासिक फैसले में ऊर्जा क्षेत्र की दिग्गज कंपनी रॉयल डच शेल को 2030 तक 2019 के स्तर की तुलना में कार्बन उत्सर्जन में शुद्ध रूप से 45 प्रतिशत कमी लाने का आदेश दिया। हेग की अदालत ने पर्यावरण संरक्षण के लिये काम करने वाले समूह की याचिका पर यह आदेश दिया। अदालत के अनुसार कंपनी की मौजूदा उत्सर्जन योजना बहुत ठोस नहीं है।
यह अपनी तरह का पहला कानूनी निर्णय है जो वैश्विक जलवायु लक्ष्यों के अनुरूप एक प्रदूषणकारी अंतरराष्ट्रीय कम्पनी को अपने उत्सर्जन को कम करने के लिए आदेश देता है। ऐसा माना जा रहा है कि यह निर्णय वैश्विक स्तर पर जलवायु नीति और कॉर्पोरेट जवाबदेही को प्रभावित करेगा और प्रमुख प्रदूषकों को चेतावनी के रूप में भी काम करेगा कि वे अपने उत्सर्जन को कम करने के लिए स्वयं जिम्मेदार हैं। यह निर्णय प्रदूषण फैलाने वाली दुनिया भर की बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिये इसी तरह के मामलों में एक मिसाल बन सकता है।
शेल के खिलाफ मामला फ्रेंड्स ऑफ द अर्थ नीदरलैंड्स (मिलियूडेफेंसी), 17,000 सह-वादी और 6 अन्य संगठन (एक्शन एड, दोनों ईएनडीएस, फॉसिलफ्री नीदरलैंड, ग्रीनपीस नीदरलैंड्स, यंग फ्रेंड्स ऑफ द अर्थ और वैडन सी एसोसिएशन) द्वारा लाया गया था।
पर्यावरण संरक्षण के लिये काम करने और मामले से जुड़े संगठनों में से एक फ्रेंड्स ऑफ अर्थ की नीदरलैंड इकाई के वकील रोजर कॉक्स ने कहा, ‘‘आज जलवायु की जीत हुई है। यह फैसला दुनिया में एक बदलाव लाएगा। इसको देखकर लोग अब तेल कंपनियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई कर सकते हैं।’’
मिलियूडफेन्सी के निदेशक, डोनाल्ड पोल्स, का कहना है, “यह शानदार खबर है और पृथ्वी और हमारे बच्चों के लिए एक बड़ी जीत है। न्यायाधीश स्पष्ट रूप से कहा था कि शेल खतरनाक जलवायु परिवर्तन का कारण बन रहा है और अब इसे रोकना चाहिए।”
(संदर्भ : क्लायमेंट कहानी और भाषा के इनपुट से संक्षेप)