दोगुने से ज्यादा हुआ है ऑस्ट्रेलिया और इंडोनेशिया का ‘स्कोप 3’ उत्सर्जन
आप जब यह रिपोर्ट पढ़ रहे हैं, उस वक़्त दुनिया भर के कोयला उत्पादक सक्रिय रूप से 2.2 बिलियन टन प्रति वर्ष की दर से नई खदान परियोजनाओं पर काम कर रहे हैं। यह दर मौजूदा उत्पादन स्तरों से 30% की वृद्धि है। यह चिंताजनक तथ्य सामने आया है ग्लोबल एनर्जी मॉनिटर की ताज़ा रिपोर्ट में । वैश्विक स्तर पर 432 प्रस्तावित कोयला परियोजनाओं का सर्वेक्षण किया गया और पाया गया कि चीन, रूस, भारत और ऑस्ट्रेलिया में मुट्ठी भर प्रांत और राज्य 77% (1.7 बिलियन टन प्रति वर्ष) की नई खदान गतिविधि के लिए ज़िम्मेदार हैं। अपनी तरह के इस पहले विश्लेषण के अनुसार यदि यह परियोजनाएं विकसित की जाती है तो ये प्रस्तावित परियोजनाएं पेरिस जलवायु समझौते के लक्ष्य को पूरा करने के लिए आवश्यक 1.5 डिग्री सेल्सियस-अनुरूप मार्ग से चार गुना अधिक कोयला आपूर्ति को बढ़ावा देंगी।
रिपोर्ट के अनुसार, कोयला उत्पादकों की विस्तार योजनाएँ अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) के नेट-ज़ीरो रोडमैप के विपरीत हैं, जिसमें किसी भी नए कोयला खदान या कोयला खदान के विस्तार पर अब रोक लगाने की बात की गयी है, साथ ही संयुक्त राष्ट्र और प्रमुख अनुसंधान संगठनों के भी विपरीत हैं, जिन्होंने पाया है कि जलवायु परिवर्तन को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने के लिए कोयला उत्पादन में 2030 तक हर साल 11% गिरावट होने की आवश्यकता है।
वहीँ एम्बर के ताज़ा जारी कोल शिपिंग डैशबोर्ड से पता चलता है कि ऑस्ट्रेलिया और इंडोनेशिया जैसे कोयला निर्यातक देशों के कार्बन फुटप्रिंट के मुकाबले उनका ‘स्कोप 3’ उत्सर्जन दोगुने से भी ज़्यादा है, जो चिंताजनक है। स्कोप-3 के तहत कंपनी के उत्पादन में सभी अप्रत्यक्ष उत्सर्जन शामिल हैं।
एम्बर द्वारा जारी आकलन से पता चलता है कि वर्ष 2020 में विदेश भेजा गया कोयला, सालाना वैश्विक ऊर्जा सम्बन्धी कार्बन डाई ऑक्साइड के कुल उत्सर्जन के 10 प्रतिशत हिस्से के लिये जिम्मेदार है। वर्ष 2020 में निर्यात किये गये कोयले में 3.1 अरब टन कार्बन डाई ऑक्साइड पैदा करने की क्षमता है, जो भारत के सालाना कार्बन उत्सर्जन की कुल मात्रा से ज्यादा है।
अगर समुद्री रास्ते से भेजे जाने वाले कोयले से उत्पन्न ‘स्कोप 3’ प्रदूषण को भी जोड़ लिया जाए तो दुनिया के सबसे बड़े कोयला निर्यातक देशों ऑस्ट्रेलिया और इंडोनेशिया का घरेलू स्तर पर कार्बन उत्सर्जन दोगुने से भी ज़्यादा हो जाएगा।
यहाँ ये जानना ज़रूरी है कि इंडोनेशिया और ऑस्ट्रेलिया वैश्विक कोयला बाजार में खासा दबदबा रखते हैं। वर्ष 2020 में इन दोनों देशों ने कुल समुद्रपारीय कोयले के आधे से ज्यादा हिस्से के बराबर कोयला निर्यात किया। एक अनुमान के मुताबिक वर्ष 2020 में पूरी दुनिया में 1.25 बिलियन टन कोयले का समुद्री रास्ते से निर्यात किया गया। दरअसल, इन दोनों ने ही वर्ष 2020 में 370-370 मेगाटन कोयला निर्यात किया। ऐसे देशों ने सिर्फ 2 प्रतिशत कोयला निर्यात किया जो शीर्ष 10 निर्यातकों में शामिल नहीं हैं।
कोयले का आयात बाजार विभिन्न देशों में अधिक समानतापूर्ण तरीके से बंटा हुआ है। तीन सबसे बड़े आयातकों में चीन, भारत और जापान शामिल हैं जिनकी कुल कोयला आयात में 53 प्रतिशत की हिस्सेदारी है।
परंपरागत रूप से यूरोप को निर्यात करने वाले कोयला निर्यातक अब सक्रिय रूप से एशियाई बाजारों का अनुसरण कर रहे हैं। हालांकि, शीर्ष 4 एशियाई आयातक देशों में से 3 ने पहले ही नेट ज़ीरो प्रतिबद्धता की घोषणा की है, जो एशियाई कोयला निर्यात बाजार में गिरावट का प्रतीक है।
[block rendering halted]