एल.एस. हरदेनिया

1960 के दशक में दक्षिण एशिया में एक साधारण नमक, शक्कर और साफ पानी के मिश्रण से हैजा और अन्य दस्त जनित बीमारियों को नियंत्रित करने का तरीका विकसित करने वाले स्वास्थ्य विशेषज्ञ रिचर्ड ए. कैश का पिछले दिनों (22 अक्टूबर) को केम्ब्रिज, मैसाचुसेट्स में 83 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। उन्‍हें ब्रेन कैंसर था।

रिचर्ड ए. कैश अमरीकी नागरिक थे, परन्तु उनका हृदय और उनका मस्तिष्क दक्षिण एशिया की चिंता से ग्रस्त था। उनका काफी ध्यान बांग्लादेश और भारत की तरफ रहा। उन्होंने बांग्लादेश की मुक्ति की आज़ादी के दौरान लाखों लोगों को डायरिया से बचाया था। भारतवर्ष में भी प्रतिदिन हज़ारों लोग जब उल्टी-दस्त से पीड़ित होते हैं तो उन्हें पानी में नमक और शक्कर का घोल पिलाया जाता है जिससे वे मरने से बच जाते हैं। विशेषकर आदिवासी इलाके में इस घोल की बहुत ही उपयोगिता है।

1960 के दशक में हैजा और पेचिश जैसी बीमारियों से हर साल करीब 50 लाख बच्चों की मौत डिहाइड्रेशन के कारण होती थी। डॉ. कैश ने सरल समाधान के रूप में ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्यूशन (ORS) का विकास किया, जिससे 5 करोड़ से अधिक लोगों की जान बची।

डॉ. कैश, जो एक डॉक्टर के बेटे थे, 1967 में ईस्ट पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) आए, जहां उन्होंने एक अमेरिकी स्वास्थ्य सेवा परियोजना के तहत डॉक्टर डेविड नालिन के साथ मिलकर ढाका के पास एक हैजा प्रकोप का समाधान खोजने में सहयोग किया।

डॉ. कैश और डॉ. नालिन पहले से ही सरल मौखिक पुनर्जलीकरण उपचार (ओआरटी) पर शोध कर रहे थे और उन्हें पूर्व के कई असफल प्रयासों की भी समझ थी। हालांकि, उन्हें विश्वास था कि यह उपचार लगातार बढ़ती मौतों के बीच आशा की किरण बन सकता है।

उन्होंने महसूस किया कि मुख्य समस्या मात्रा की थी – पिछले प्रयासों में या तो बहुत कम या बहुत अधिक पुनर्जलीकरण हो पाता था। उन्होंने एक परीक्षण की योजना बनाई, जिसमें उन्होंने सावधानीपूर्वक तरल की मात्रा मापी और उतनी ही मात्रा में नमक और चीनी मिलाकर उसे पुनः शरीर में पहुंचाने का तरीका अपनाया।

उन्होंने 29 रोगियों को तीन समूहों में विभाजित किया। पहले समूह को IV ड्रिप, दूसरे को एक ट्यूब के माध्यम से मौखिक उपचार और तीसरे को कप से पीने के माध्यम से मौखिक उपचार दिया गया। अन्य डॉक्टरों और नर्सों को उनका प्रयोग अजीब लगा और उन्होंने इसे रोकने की कोशिश की। लेकिन डॉ. कैश और डॉ. नालिन ने हार नहीं मानी। उन्होंने 12-12 घंटे की शिफ्ट में काम बांटकर परीक्षण की सटीकता बनाए रखी।

उनके इस उपचार का परीक्षण 1971 में हुआ, जब बांग्लादेश की स्वतंत्रता संग्राम के दौरान हजारों शरणार्थी भारत की सीमा पर शिविरों में आ बसे। जल्द ही हैजा और अन्य बीमारियों का तेजी से प्रसार हुआ।

डॉ. कैश और डॉ. नालिन ने स्थानीय गैर-लाभकारी संगठन बांग्लादेश पुनर्वास सहायता समिति (BRAC) के साथ मिलकर बांग्लादेशी माताओं को घर पर उपचार का तरीका सिखाया। संगठन ने इस उद्देश्य के लिए एक गीत भी तैयार किया:

सावधानी से मिलाएं,
पानी एक लीटर,
एक चुटकी नमक और एक मुट्ठी गुड़,
खत्म करें बीमारी का डर।

उन्होंने लगभग 1.2 करोड़ बांग्लादेशी माता-पिताओं को प्रशिक्षित किया, जिससे दस्त से होने वाली मौतों में भारी कमी आई। जो एक चिकित्सा परीक्षण के रूप में शुरू हुआ था, आज वह बांग्लादेश ही नहीं, बल्कि दुनिया भर में घर-घर की जानकारी बन चुका है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि मौखिक पुनर्जलीकरण उपचार (ओआरटी) ने 5 करोड़ से अधिक लोगों, जिनमें अधिकांश बच्चे हैं, की जान बचाई है। 1978 में, ब्रिटिश चिकित्सा पत्रिका द लैंसेट ने इसे “इस सदी की सबसे महत्वपूर्ण चिकित्सा उपलब्धि” माना।

1987 में यूनिसेफ ने इसका ज़िक्र करते हुए कहा कि 20वीं सदी में मेडिकल क्षेत्र में हुए इस आविष्कार ने करोड़ो लोगों की जान बचाई है। इतना सस्ता और इतनी सरलता से उपलब्ध ऐसा कोई दूसरा फार्मूला नहीं है, जो करोड़ों जानों को बचा सकता है, वह भी इतने कम समय में। यूनिसेफ ने कहा कि इतिहास में इससे ज्यादा प्रभावशाली और इतनी सरलता से उपलब्ध दूसरी दवाई नहीं है।

रिचर्ड एलन कैश का जन्म 9 जून 1941 को मिलवॉकी, विस्कॉन्सिन में हुआ था। उनकी मां, इसाबेल (कोहेन) कैश, बहरे बच्चों को पढ़ाती थीं और उनके पिता, इरविंग कैश, एक आंतरिक रोग विशेषज्ञ और गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट थे।

रिचर्ड ने 1963 में यूनिवर्सिटी ऑफ विस्कॉन्सिन-मैडिसन से स्नातक की डिग्री प्राप्त की और 1966 में न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी से अपनी एम.डी. की पढ़ाई पूरी की। शांतिवादी होने के कारण उन्होंने वियतनाम युद्ध में शामिल होने के बजाय यू.एस. पब्लिक हेल्थ सर्विस जॉइन किया और जल्द ही दक्षिण एशिया में काम करने लगे।

1977 में, वे हार्वर्ड स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ (जो आज हार्वर्ड टी.एच. चान स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के नाम से जाना जाता है) के संकाय में लेक्चरर बने और यह भूमिका उन्होंने अपने जीवन के अंतिम समय तक निभाई। हालांकि हार्वर्ड उनका मुख्यालय था, डॉ. कैश फील्ड में काम करने का मौका कभी नहीं चूकते थे और हर साल बांग्लादेश का दौरा करते रहे।

रिचर्ड ए. कैश आने वाली सदियों तक याद किए जाएंगे। उन्हें याद किया जायेगा एक विद्वान के रूप में, एक अच्छे इंसान के रूप में, 20वीं सदी के सर्वाधिक जीवनदाता के रूप में।