तरुण भारत संघ के अध्यक्ष एवं जाने माने जलयोध्दा, पर्यावरणविद राजेंद्र सिंह और तरुण भारत संघ की उपाध्यक्ष डॉ. इंदिरा खुराना की संयुक्त लिखी पुस्तक “Rejuvenation of Rivers- Climate change |Livelihood | Dignity | living Example का विमोचन इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस मैटेरियल संस्थान अर्लिका, स्वीडन में किया गया। पुस्तक का विमोचन यहां के मेयर एंडरसन, संस्थान के निदेशक आशुतोष तिवारी, डॉ नंदिता सिंह, ओम प्रकाश सिंह, बिजनेस एसोसेशियन के अध्यक्ष अर्ने शेशन, अंशुमान मिश्र, माइकल, मुहम्मद हसन, डॉ मुहम्मद मुस्तफा, राजेंद्र सिंह की उपस्थिति में किया गया।
पहले इस पुस्तक का विमोचन स्टॉक होम ( स्वीडन) में किया जाना था, लेकिन इस संस्थान को चुना गया क्योंकि अर्लिक शहर एक पुराना शहर था। पहले जमाने में यह शहर बहुत समृद्ध था, लेकिन बीच के दौर में शहर बहुत पिछड़ गया। अब इस शहर को बेहतर बनाने के लिए इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस मैटेरियल संस्थान ने अनेक कार्य किए हैं। जिससे यह शहर फिर से पुनर्जीवित हो रहा है। इस शहर को समृद्ध करने में सामुदायिक विकेंद्रित प्रबंधन प्रक्रिया को आपनाया जा रहा है।
पर्यावरणविद् राजेंद्र सिंह ने कहा कि यह सुखद संयोग है कि इस पुस्तक का प्रथम विमोचन इस संस्थान में हो रहा है। फेसबुक लाइव के माध्यम से राजेन्द्र सिंह, संजय सिंह, इंदिरा खुराना, नरेन्द्र चुघ और रविन्द वोरा द्वारा पुस्तक का विमोचन किया गया।
विमोचन करते हुए राजेन्द्र सिंह ने कहा कि इस पुस्तक का आधार “मानव की संवेदनशीलता और प्रकृति की सृजनशीलता का दर्शन है।“ यह पुस्तिका बताती है कि जब समाज अपने आप को चाहने लगता है, तो वो अपने को बदल लेता है और नदी पुनर्जनन से जीवन,जीविका और जमीर (गौरव) आनंद भी पुनर्जीवित होकर जलवायु परिवर्तन, अनुकूलन और उन्मूलन प्रक्रिया शुरू होती है। यह पुस्तक सभी जन सामान्य के लिए है।
अर्लिका शहर के मंत्रियों ने कहा कि जैसे भारत में ये काम समुदाय के साथ मिलकर आपने काम किया है, वैसा हमारे देश में करना संभव नहीं है, क्योंकि हमें ऐसा काम करने हेतु आर्थिक मदद चाहिए होगी। लेकिन अब हम प्रयास करके देखेंगे।
पुस्तक की सहलेखिका डॉ. इंदिरा खुराना ने कहा कि पुस्तिका में तरूण भारत संघ द्वारा किए गए सामुदायिक विकेन्द्रित जल प्रबंधन के कामों द्वारा राजस्थान और महाराष्ट्र राज्य में नदियों के पुनर्जीवन का छोटा – सा हिस्सा प्रस्तुत किया है।
भारत भर में महाराष्ट्र, दिल्ली, राजस्थान, हरियाणा, मध्यप्रदेश आदि राज्यों में अलग-अलग स्थानों पर भी इस पुस्तक का विमोचन किया गया है। यह पुस्तक तरुण भारत संघ, भीकमपुरा, अलवर (राजस्थान) से निशुल्क प्राप्त की जा सकती है।
उल्लेखनीय है कि डॉ. इंदिरा खुराना दो दशकों से अधिक समय से प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन, पेयजल और स्वच्छता, खाद्य सुरक्षा और ग्रामीण आजीविका के मुद्दों पर काम कर रही हैं। उन्होंने पीने के पानी, पानी की गुणवत्ता, जल संरक्षण, स्वच्छता, हाथ से मैला ढोने और मासिक धर्म स्वच्छता पर कई पत्र, रिपोर्ट और किताबें लिखी हैं और प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के लिए कई लेख भी लिखे हैं। वे जैव रसायन में पीएचडी हैं।
डॉ. इंदिरा खुराना स्वैच्छिक आधार पर जल सुरक्षा और अन्य सामाजिक मुद्दों पर काम करने वाले कई नागरिक समाज संगठनों की मदद करती हैं। अपने लेखन के माध्यम से, वह ग्रामीण आबादी के मुद्दों और जल संसाधन प्रबंधन, वर्षा जल संरक्षण, कृषि और खाद्य सुरक्षा और मैनुअल स्कैवेंजिंग पर सार्वजनिक प्रवचनों को उजागर करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। जेंडर उसके काम का एक मजबूत फोकस बना हुआ है।