पिछले 2 महीनों से 3 लाख आबादी वाले लद्दाख की 10 प्रतिशत आबादी यानि 30 हज़ार से भी ज़्यादा लोग, अपने जल-जंगल-जमीन, पर्यावरण, अपने रोजगार और समाज और अपने अस्तित्व के लिए लड़ रहे हैं! लद्दाख की 90% आबादी आदिवासी है, इसलिए आज लद्दाख देश के सबसे सुंदर इलाकों में से है! यहाँ के पहाड़, ज़मीन और नदियों को आदिवासी अपने पारंपरिक ज्ञान, रीति रिवाज के अनुसार ही संभालते आ रहे थे! किसी सरकार, किसी निजी व्यक्ति या कंपनी को दखल का अधिकार नहीं था। 2019 में मोदी सरकार ने जब धारा 370 हटाई, तब लद्दाख को मिलने वाले संरक्षण भी खत्म हो गए। अब, कोई भी व्यक्ति आदिवासी इलाके की ज़मीनों को खरीद सकता है।
लद्दाख के नाज़ुक पर्यावरण
यहाँ पानी बारिश से नहीं, “ग्लेशियर” कहलाई जाने वाली, बर्फ की नदियां के पिघलने से मिलता है। इसी से खेती हो पाती है । जो लोग खेती नहीं करते, वो गाय, भैंस और बकरी पालते हैं। दुनियाभर में कोयला, पेट्रोल, डीजल और गैस से चलने वाली फ़ैक्टरियों, कारखानों से हो रहे प्रदूषण के कारण दुनिया भर में मौसम में बदलाव हो रहा है। उसी के चलते, लेकिन, पिछले 10-15 सालों से मौसम के बदलाव से सब कुछ बिगड़ गया है – बर्फ कम पड़ने लगी है, जिसके कारण, ग्लेशियर में बर्फ नहीं जमा होता – बर्फ कम होने से, नदियों में पानी भी कम हो जाता है!
गाँव खाली हो रहे हैं अपना गाँव छोड़ कर, लोग शहरों में जाने मजबूर हो गए है, जहां पक्की नौकरी नहीं! फसलों का नुकसान हो रहा है, फसल कम पक रही है ! मवेशियों, ढ़ोर-बकरियों के लिए चारा भी नहीं मिल रहा!
लद्दाख में बहुत पर्यटक भी आते हैं – हर साल लद्दाख की कुल आबादी का लगभग दो गुना लोग 5 लाख लोग लद्दाख घूमने आते हैं, इससे वैसे ही प्रदूषण, पानी की कमी, नए-नए होटल, दुकानों का बनाना शुरू हो गया है। 2019 के बाद से, कोई भी व्यक्ति या कंपनी लद्दाख में आकर अपना धंधा खोल सकती है। इससे प्रदूषण और कचरा बढ़ रहा है । गाड़ियों, सड़कों में होने वाले प्रदूषण से नदियां और भी जल्दी पिघल रही है! बाहरी कंपनियों की दखल को रोकने उठ रहे हैं लद्दाख के लोग!
ज़मीन की लूट को रोकने के लिए उठ रहे हैं लद्दाख के लोग!
2019 में तत्कालीन सरकार ने जब धारा 370 हटाई, तब लद्दाख को मिलने वाले संरक्षण भी खत्म हो गए । आदिवासियों की पारंपरिक ज़मीन, जिसे सदियों से सामुदायिक रूप से संभाला जा रहा था – अब, कोई भी व्यक्ति आदिवासी इलाके की ज़मीनों को खरीद सकता है, उसकी खरीदी, बिक्री चालू है! केंद्र सरकार द्वारा बैठाए गए उपराज्यपाल ने कुछ ही महीनों उद्योगों के लिए नई ज़मीन नीति तैयार की है, जिसमें ज़मीन कंपनियों को बांटने की तैयारी है! पिछले कुछ सालों में, वन अधिकार कानून को कमजोर कर, वन संरक्षण कानून में बदलाव कर, पर्यावरण नियमों में मौजूदा सरकार ने ऐसे बदलाव लाए हैं जिससे जमीन और जंगलों को कंपनियों को बेचना और भी आसान हो गया है!
आने वाले समय में बाहरी व्यापारी, कंपनियाँ आकार, अपने मुनाफे के लिए लद्दाख के शुद्ध और साफ पर्यावरण को उसी तरह बर्बाद कर देंगी, जिस तरह से छत्तीसगढ़, झारखंड और ओड़ीशा में जंगलों को कंपनियों ने नष्ट किया है – इसलिए, लद्दाख के आदिवासी लड़ रहे है!
क्या है लद्दाख के लोगों की मांग –
- लद्दाख को 6वीं अनुसूची में जोड़ा जाए ताकि स्थानीय आदिवासी जल, जमीन के खरीद बिक्री और स्थानियों मुद्दों पर खुद निर्णय ले सकें!
- लद्दाख को मिले एक विधान सभा ताकि चुने हुए प्रतिनिधि लद्दाख के लिए कानून बना सकें, दिल्ली में बैठी केंद्र सरकार नहीं!
- लद्दाख को मिले 2 लोक सभा सांसद ताकि संसद में उठे लद्दाखियों के मुद्दे
- लद्दाख में हो कर्मचारी चयन आयोग का गठन ताकि युवाओं को मिले रोजगार!