भारत-चीन सीमा विवाद और गलवन घाटी हिंसा
राजेन्द्र सिंह
चीन उन सभी मौका पर आगे आता है, जहां उसे दिखावटी नाम व प्रसिद्धि मिल सके और व्यवसाय में पैसा मिल सके। पैसा और प्रसिद्धि का भूखा चीन लेकिन अब दोनों ही मिलने वाले नहीं है। ज्यादा धावा अब वहां के जीवन, जीविका और जमीर आदि पर है। यह चीन को शिकार बनाकर निगल जाएगा। चीन का अन्य उत्पादन और औद्यौगिक उत्पादन में गिरावट के कारण वहां की जनता का रोष बढता ही जाएगा। शुभ और शांति के पथ पर चलने वाला भारत अंत में जीतेगा।
कोरोना वायरस को जन्म देने वाला चीन आज कोरोना से बुरी तरह प्रभावित हुआ है। पूरी दुनिया ने चीन को महामारी पैदा करने वाला कहा है। चीन के पास इससे बचने के लिए न शब्द है, न ही तर्क है और न कोई तरीका है। 2002 में भी सार्क-1 कोरोना वायरस का जन्म चीन में हुआ था। उस वक्त अमेरिका और कनाड़ा में उसने ज्यादा मार की थी। इस बार चीन में कोविड-19 से प्रभावित होकर मरने वालों की संख्या का सच्चा आंकड़ा बाहर नही आ रहा है लेकिन चीन के ही लोगों ने वर्तमान सत्ता के विरुद्ध बुगल बजा दिया है। उनसे बचने व गुमराह करने के लिए चीन अपने पडोसी देशों पर हमला कर रहा है। यह हमला सबसे ज्यादा भारत पर ही हो रहा है।
इस कोरोना वायरस की महामारी के माध्यम से चीन सभी को शिकार बनाना चाहता है, लेकिन वहां की जनता ने थोड़ी हिम्मत दिखाई है। यह हिम्मत और मजबूत हुई तो चीन कोरोना वायरस का स्वयं शिकार हो जाएगा। लाभ की प्रतियोगिता में चीन इस वक्त सबसे आगे दिखाई देता है, लेकिन चीन की जनता के विरोध के बाद वह स्वयं धरती पर आ जाएगा।
चीन को अब यह दिखाई देने लगा है कि कोरोना वायरस उनके लिए दोधारी तलवार बन गया है। इसलिए चीन अपने आप को बचाने के लिए कई छोटे-छोटे नेपाल जैसे देशों को भी युद्ध के लिए उकसा रहा है लेकिन इसकी मार भी चीन को ही खानी पडे़गी। चीन उन सभी मौका पर आगे आता है, जहां उसे दिखावटी नाम व प्रसिद्धि मिल सके और व्यवसाय में पैसा मिल सके। पैसा और प्रसिद्धि का भूखा चीन लेकिन अब दोनों ही मिलने वाले नहीं है। ज्यादा धावा अब वहां के जीवन, जीविका और जमीर आदि पर है। यह चीन को शिकार बनाकर निगल जाएगा। चीन का अन्य उत्पादन और औद्यौगिक उत्पादन में गिरावट के कारण वहां की जनता का रोष बढता ही जाएगा। शुभ और शांति के पथ पर चलने वाला भारत अंत में जीतेगा।
अभी भारत के लद्दाख की गलवान घाटी पर चीन अपना वर्चस्व दिखाकर भारत के साथ युद्ध की तैयारी कर रहा है। चीन अनैतिक व हिंसक देश है। चीन की सत्ता पर जब भी संकट होता है, तभी चीन भारत पर हमले का ऐलान करता है। जिससे सत्ता को सदैव सहानुभूति मिलती है, लेकिन इस बार चीन ने अपने आप को एक अलग शिकारी के रुप में प्रस्तुत किया है, अब यह शिकारी खुद ही शिकार बन जाएगा।
अब पूरी दुनिया की सहानुभूति चीन के साथ नहीं, भारत के साथ है। भारत सदैव ही अहिंसामय शांति के रास्ते पर चला है। सत्य की रक्षा के लिए अहिंसा के रास्ते पर चलने वाला भारत कभी किसी को शिकार नहीं बनाता, इसलिए कभी किसी का शिकार बना भी नहीं। अतः भारत ही इस बार की लडाई में लडकर या शांतिमय समझौते से जीतेगा और दुनिया को दिखायेगा की चीन, जो शिकारी बनकर हिंसा के रास्ते पर चलकर दूसरों को डराकर शिकारी बनाता है, वहीं खुद शिकार बन जाएगा।
हम चाहते है कि युद्ध न हो चीन बिना युद्ध के ही स्वयं नैतिकता, न्याय एवं सत्य को स्वीकार कर अहिंसामय शांति के रास्ते पर आ जाए। अन्यथा इस बार उसे मुंह की खानी पडेगी।