अभ्यास मंडल, इंदौर द्वारा आयोजित ग्रीष्मकालीन व्याख्यानमाला
इंदौर, 15 मई। वरिष्ठ पत्रकार एवं राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने कहा है कि इस समय तकनीक में जहां Artificial Intelligence आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) सबसे बड़ी चुनौती है, तो वहीं दुनिया के समक्ष नैतिकता की चुनौती तकनीक से भी ज्यादा बड़ी है। वे आज यहां जाल सभाग्रह, इंदौर में अभ्यास मंडल द्वारा आयोजित व्याख्यानमाला में नए दौर की चुनौतियां विषय पर संबोधित कर रहे थे। यह व्याख्यान वरिष्ठ पत्रकार अभय छजलानी को समर्पित था।
वरिष्ठ पत्रकार हरिवंश ने अपनी बात की शुरुआत करते हुए कहा कि हमेशा से यह कहा गया है कि हमारे जीवन की पहली सांस से लेकर अंतिम सांस तक चुनौतियां ही चुनौतियां हैं। आज की चुनौतियां असंख्य है। ऐसे में उनका निदान ढूंढना ही इतिहास बनाता है। इस समय नैतिक चुनौतियां सर्वोपरि है। जलवायु परिवर्तन, तकनीक, जनसंख्या के रूप में सृष्टि के समक्ष चुनौतियां लगातार आ रही हैं। इस समय तकनीक से Artificial Intelligence आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सामने आया है। इसे लेकर दुनियाभर में कहा जा रहा है कि लोगों को इसके माध्यम से वह समृद्धि मिलेगी जो उन्होंने कभी देखी नहीं और इसके माध्यम से वह तबाही होगी, जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की। निश्चित तौर पर ऐसी तकनीक इस समय दुनिया के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती बन रही है। इस चुनौती के साथ ही सोशल मीडिया के प्रति नई पीढ़ी का लगाव भी एक बड़ी चुनौती है।
उन्होंने कहा कि इन तमाम समस्याओं के बीच में नैतिक संकट एक बड़ी चुनौती है। अब तो तकनीक ने पूरे विश्व को एक गांव के रूप में तब्दील कर दिया है। 21वीं सदी की जो चुनौतियां हम सभी को नजर आ रही थी अब उससे गंभीर चुनौतियां हम लोगों के सामने आती हुई प्रतीत हो रही है। वर्ष 1996 में आई एक किताब में कहा गया था कि तकनीक तो नहीं लेकिन ethics नैतिकता के हनन से दुनिया ज्यादा और जल्दी समाप्त हो जाएगी। हमारे देश भारत की ताकत हमेशा ethics नैतिकता ही रही है। अतीत में हमने देखा है कि भौतिक समृद्धि के बावजूद नैतिक पतन वाली संस्कृति जल्दी मिट गई।
उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि पिछले दिनों एक गांव में गया था तो वहां पर लोगों से बातचीत के बीच में उन्होंने बताया कि सरकार की योजना के तहत मुफ्त का सामान प्राप्त करने के लिए लाल कार्ड होना जरूरी होता है। इस लाल कार्ड के लिए सरकार ने जो पैमाने बनाए हैं तो यदि उनकी जांच हो जाए तो 80% लाल कार्ड गलत व्यक्तियों ने बनवा रखे हैं। आज यह एक किवदंती है कि हमारे देश का नौजवान बिना मेहनत के करोड़पति बनना चाहता है। तो ऐसे में समाज कहां जाएगा? हमें यह सोचना होगा कि जब हमारे देश में स्कूल टूटे-फूटे थे तो उनसे जो पीढ़ी निकली उसने कितनी ऊंची नैतिकता का मापदंड स्थापित किया। इससे यह स्पष्ट है कि शिक्षा साधन से नहीं त्याग और समर्पण से आती है और उससे ही हम नैतिक मूल्यों की रक्षा कर सकते हैं।
इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार विनय छजलानी ने भी संबोधित किया। इस कार्यक्रम में भाग लेने के लिए देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के पत्रकारिता एवं जनसंचार अध्ययन शाला के विद्यार्थी भी बड़ी संख्या में पहुंचे। अतिथि का परिचय वरिष्ठ पत्रकार जयदीप कर्णिक ने दिया। प्रारंभ में अतिथि का स्वागत डॉ सोनाली नरगुंदे, अनिल भंडारी, प्रवीण जोशी, पराग जटाले ने किया। कार्यक्रम का संचालन हरेराम वाजपेई ने किया। अतिथि को स्मृति चिन्ह प्रकाश हिंदुस्तानी, बृजभूषण चतुर्वेदी ने भेंट किया। अंत में आभार प्रदर्शन गौतम कोठारी ने किया।