संदेह के घेरे में नागरिकों का राष्ट्रप्रेम नहीं, नायकों का सत्ताप्रेम...
चीन और पाकिस्तान के साथ अब तक हुई लड़ाइयों के अनुभव यही रहे हैं कि एक स्थिति के बाद नागरिक सरकार-आधारित स्रोतों को पूरी...
लोकतंत्र में नागरिकत्व की प्राणप्रतिष्ठा
अनिल त्रिवेदी
बहत्तर साल के लोकतंत्र में भारत के नागरिकों में लोकतांत्रिक नागरिक संस्कार और नागरिक दायित्वों की समझ और प्रतिबध्दता का स्वरूप कैसा हैं?...
आज भी अधूरे हैं, मार्टिन लूथर किंग के सपने
लल्जाशंकर हरदेनिया
दुनिया के सर्वाधिक सम्पन्न और लोकतांत्रिक कहे जाने वाले देश अमरीका में वहां के अश्वेत नागरिकों के साथ जैसा व्यवहार हो रहा है,...
हमें शर्मिंदा होने की क़तई ज़रूरत नहीं, सबकुछ ऐसे ही चलेगा
नई दिल्ली से कोई बारह हज़ार किलो मीटर दूर एक अश्वेत नागरिक की मौत पर अगर हम चिंतित होना चाहें तो भी कई कारणों...
विनम्रता, सज्जनता एवं दृढ़ता के संगम थे विट्ठल त्रिवेदी
सामाजिक, साहित्यिक और गांधी विचारक संस्थाओं ने दी श्रद्धांजलि
जाने माने शिक्षाविद, समाज सेवी एवं गांधी विचारक श्री विट्ठल त्रिवेदी का 14 जून 20...
सत्यजीत रे : ‘जलसाघर-द म्यूजिक रूम’
कोठी बिल्कुल जर्जर अवस्था में पहुँच चुकी है। सामने खड़े होने पर लगता है कि अपने ही ऊपर गिर पड़ेगी। यहाँ मियाँ बशीरुद्दीन से...