लोकनायक जयप्रकाश नारायण की संपूर्ण क्रांति के पूरे हुए पचास साल
मुम्बई । देश के जाने माने राष्ट्र कवि रामधारी सिंह दिनकर ने कभी अपनी कविताओं में जयप्रकाश के बारे में कहा है है जयप्रकाश वह, जो न कभी सीमित रह सकता घेरे में/ अपनी मसाल जो जला बांटता फिरता ज्योति अंधेरे में/ है जयप्रकाश वह जो पंगु के चरण, मूक की भाषा है/ है जयप्रकाश वह, टिकी हुई जिस पर स्वदेश की आशा है/ हां, जयप्रकाश है नाम समय की करवट का, अंगड़ाई का/ भूचाल बवंडर के दावों से भरी हुई तरुणाई का/ है जयप्रकाश वह नाम, जिसे इतिहास समादर देता है/ बढ़कर जिसके पद चिन्हों को उर पर अंकित कर लेता है। उसी जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में हुए राष्ट्रव्यापी आंदोलन में अपने-अपने जीवन को न्यौछावर करने वाले कल के युवा और आज के अनुभवी संघर्षशील क्रान्तिवीरों का जुटान मुंबई में हो रहा है।
यह भी उल्लेखनीय है कि लोकनायक जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में देश में 1974 में हुए युवाओं और छात्रों के राष्ट्र व्यापी आंदोलन के पचास साल पूरे हो रहे हैं। इस आंदोलन की कामयाबी का शानदार इतिहास है। आजादी के बाद यह अपने आप में पहला ऐसा आंदोलन साबित हुआ,जिसके प्रभाव से देश की तरुणाई को लोकतंत्र बचाने और रचनात्मक समाज निर्माण की दिशा मिली और लोकतंत्र से खिलवाड़ करने वाली पार्टी को, ताकतों को सबक मिला। यह आंदोलन देश में आजादी के लिए दूसरी बड़ी लड़ाई के रूप में विख्यात हुआ। आंदोलन ने केंद्र की तत्कालीन तानाशाही सरकार को उखाड़ फेंका और लोकतंत्र की फिर से बहाली का रास्ता साफ किया।
गुजरे कालखंड के ऐतिहासिक व्यक्तित्व और आज के युवाओं का संगम होगा
इस आंदोलन के लिए जेपी के नेतृत्व में गठित छात्र युवा संघर्ष वाहिनी की स्थापना दिवस पर वाहिनी से जुड़े सभी नए पुराने साथी जुटान में शामिल होंगे। जुटान में पत्रकारिता के क्षेत्र में स्थापित अम्बरीष कुमार और अरुण कुमार त्रिपाठी द्वारा संपादित “1974, व्यवस्था परिवर्तन का आंदोलन और जेपी का सपना” पुस्तक का विमोचन भी होगा। जेपी के सहयोगी जीजी पारीख और वरिष्ठ सर्वोदय नेता अमरनाथ भाई के साथ आनंद कुमार, तुषार गांधी और वरिष्ठ पत्रकार श्रवण गर्ग संयुक्त रूप से करेंगे।
इस जुटान के दौरान वाहिनी के पुराने साथी अपने अनुभव साझा करेंगे और नए साथियों के सामने संपूर्ण क्रांति की मशाल को प्रज्वलित कर उनके हाथों में सौंपेंगे। ताकि जय प्रकाश नारायण की संपूर्ण क्रांति की अवधारणा को एक बार फिर से साकार करने के लिए नौजवान प्रयासरत रह सकें।
कार्यक्रम की संयोजक पुतुल के मुताबिक यह अभूतपूर्व जुटान दिवंगत साथी राजीव हेम केशव की अंतिम इच्छा को पूरा करने की शुरुआत भी है। तीन दिनों का यह जुटान पनवेल मुंबई स्थित मेहर अली सेंटर में होगा। इसमें पुराने 77 साथियों का सम्मान युवा साथियों द्वारा किया जाएगा और उनके उद्बोधन भी होंगे। इस मौके पर संपूर्ण क्रांति की अवधारणा और इसे चरितार्थ करने के लिए हमारे प्रयास पर चर्चा होगी। इसमें शामिल होंगे चंद्रकांत वानखेड़े, सुधाकर, अमर हबीब माया, अरुण, अशोक कुमार, कंचन वाला और विमल जी।
इसके अलावा इस जुटान में छात्र संघर्ष वाहिनी द्वारा अलग – अलग प्रदेशों में चलाए गए विभिन्न आंदोलनों के साधक साथी भी अपने अनुभव जाहिर करेंगे। इनमें बिहार बोधगया आंदोलन के प्रभात कंचन, कुमुद और कारू भाई, महाराष्ट्र शिरपुर धुले आंदोलन के बसंती, जतिन, उषा गडचिरोली के सतीश, शुभदा, देवा जी तोहफा, उड़ीसा के गंधमर्दन आंदोलन के भक्त चरण, सिद्धार्थ बारीपदा, किशोर, राजस्थान से शांति देवी और सवाई सिंह, उत्तराखंड चिपको आंदोलन के प्रभात ध्यानी, झारखंड में आदिवासी आंदोलन के कुमार चंद्र मार्डी, ओम प्रकाश, मधुकर, उत्तर प्रदेश आगरा से अशोक, गाजीपुर से ओम प्रकाश अरुण, दिग्विजय, इलाहाबाद से राम धीरज, विजय चितौरी, शंकरगढ़ से पुतुल एवं विमल जी, मुरादाबाद से कुड फतेहगढ़ आंदोलन के राकेश रफीक, पोंडा खेड़ा आंदोलन के आसिफ कमल, तिलक चांदना, लखनऊ से अमिताभ और रमन और मणिपुर से टिकेंद्र के साथ दिल्ली से प्रसून लतांत आदि अनुभव साझा करेंगे।
युवा भारत के राष्ट्रीय संयोजकों फिरोज, मीठी बोरवाला, अक्षय, पारमिता, राम तरुण द्वारा “अंतरराष्ट्रीय, राष्ट्रीय परिस्थितियों पर” अपने विचार रखेंगे और इस पर आयोजित परिचर्चा में शशि वाला, रंजीत, जितेंद्र, संतोष परिवर्तन, रोहित, प्रेम कुमार प्रेम आदि भाग लेंगे।
जुटान के तीसरे दिन समापन सत्र में वर्तमान समय में युवाओं के समक्ष चुनौतियां पर उषा विश्वकर्मा (वीरांगना वाहिनी), आलोक, संदीप (मैत्री आश्रम),तरुण राठी,प्राची यादव,सानिया आसिफ और कौशल (क्रांतिकारी युवा वतन) के साथ अंध श्रद्धा उन्मूलन आंदोलन के साथी क्षितिज भी अपने विचार व्यक्त करेंगे। धन्यवाद ज्ञापन सुनीलम और रवि देवघरे करेंगे।
जुटान के सभी कार्यक्रमों का संचालन रागिनी चौधरी, उषा पाटिल, अरुण तिवारी सुनंदा वानखेड़े, कुमुद किरण, कंचन, पुतुल मीनाक्षी राखी, तारकेश्वरी नेगी और शांति देवी मिल कर करेंगी। यह जुटान वास्तव में अभूतपूर्व होगा क्योंकि पिछले पचास वर्षों में यह पहला मौका है जब जेपी की संपूर्ण क्रांति को फिर से धरती पर उतारने के लिए राष्ट्रव्यापी मंथन होगा। इसके नतीजे क्या होंगे यह तो भविष्य बताएगा लेकिन जो भी हो रहा है, वह देश और खासकर युवाओं के लिए बहुत जरूरी पहल है।