किसानी, जवानी और पानी बचाने के लिए किसान स्वराज यात्रा निकलेगी

गांधी जयंती से शुरू होकर संविधान दिवस पर दिल्ली में होगी समाप्त

किसानी, जवानी और पानी बचाने के लिए किसान स्वराज यात्रा निकाली जाएगी। इसका आह्वान मशहूर पर्यावरणविद और जल संरक्षक डॉ. राजेंद्र सिंह ने किया है। विश्व अहिंसा दिवस 02 अक्टूबर 2021 से संविधान दिवस 26 नवम्बर 2021 तक किसानी-जवानी-पानी चेतना यात्रा की तैयारी आरम्भ हो गई है। देश के सभी राज्यों की राजधानियों एवं जिलों से होते हुए यह यात्रा दिल्ली पहुंचेगी। इस यात्रा में प्रदेश के किसान, जवान और आम नागरिकों के अलावा सभी राज्यों व उनके जिलों से भी लोग हिस्सा लेंगे। यात्रा का मकसद खेती-किसानी को बचाने, बेरोजगार को रोजगार दिलाने, उनकी समस्याओं को खत्म करने और हर साल गहराते जल संकट से बचने, सभी राज्यों को पानीदार बनाने की चेतना जगाने का है।

जल संरक्षक  डॉ. राजेंद्र सिंह ने कहा कि आज खेती को कृषि उद्योग और कृषि व्यापार बनाने वाले तीनों कृषि कानून उद्योगपति और सरकारी समझौते ‘कानून’ के रूप में आये है। ये ईस्ट इण्डिया कम्पनी जैसे ही समझौते है। भारतीय लोकतंत्र को चलाने वाले संविधान की अवमानना करके किसानों को कंपनी राज का गुलाम बनाकर पूरे भारत को गुलाम बनाने वाली प्रक्रिया की शुरुआत कृषि कानूनों द्वारा बन रही है। इन कानूनों को रद्द कराना किसानों का अहिंसक सत्याग्रह है। समाधान का रास्ता खोजना जरूरी है। सभी मिलकर मनभेद और मतभेद मिटाकर एक शांति संगठन की ऊर्जा के रूप में इसे लड़ना चाहिए।

उन्‍होंने कहा कि किसानों के लिए बहुत काम हो रहे हैं, लेकिन अभी भी मूलभूत सुधार की जरूरत है। कम से कम किसानों के साथ उनकी जमीन के मामले में कोई दखल नहीं होना चाहिए। वे अपनी जमीन के अधिकारों को लेकर स्वतंत्र हों। ऐसा कोई भी प्रतिबंध न लगे कि उन्हें जमीन बेचने व अनुबंध के लिए मजबूर होना पड़े। किसान जो फसल उगा रहे हैं, उसमें उन्हें मदद मिले, फसलों का दाम ठीक से तय हो, उन्हें किसी भी स्तर पर नुकसान न हो, इसके इंतजाम होने चाहिए। किसानों की जमीन पर जबरन किसी दूसरे पक्ष का दबाव न हो। चेतना यात्रा में यही बात समझाई जाएगी।

उन्‍होंने आगे कहा कि अब भारत भर में जवानों की बेरोजगारी बहुत बढ़ गई है। बढ़ती बेरोजगारी-बेपानी से भी जन्मी है। सरकार की बाजारू औद्योगिक विकास नीति अब जननीति नहीं रही है। केवल उद्योगपतियों का हित साधने वाली उन्हीं के दबाव से युवाओं को बेरोजगार बना रही है। सरकार और उद्योगपतियों ने मिलकर जलवायु, जीवन, जीविका और जमीन का संकट पैदा कर दिया है। जवानों को भी गुलामों की तरह जीवन जीने हेतु मजबूर बना दिया है। वेरोजगारी चरम पर है। लाचार-बेकार व बीमार बनकर जवानी गांवों से उजड़ रही है। बेघर बन रही है। युवाओं को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए चेतना जगा रहे हैं।

डॉ. राजेंद्र सिंह बताते हैं कि जल के निजीकरण और व्यापारिकरण से बेपानी भारत में होकर विस्थापित होने की सम्भावना बढ़ रही है। सभी लोग पानी पीने और खेती के लिए खरीदकर जीवित नहीं रह सकते है। बड़ी कम्पनियां भारत के पानी को दूषित करके पानी का व्यापार बढ़ा रही है। पानी पर से भारतीयों के अधिकार खत्म हो रहे है। घर-खेत, जीवन-जीविका पर जल संकट आ गया है। चेतना का अभाव ही भारत में जल व्यापार बढ़ाकर भारत को बेपानी बना रहा है। स्वयं जल संरक्षण और प्रबंधन करके पानीदार भारत को बनाना है। सामुदायिक विकेन्द्रित जल प्रबंधन द्वारा ही भारत पानीदार बनेगा। चेतना यात्रा में इन सभी विषयों को लेकर आम नागरिकों से बातचीत की जाएगी। सभी को प्राकृतिक जल संसाधनों को बचाने के प्रति जागरूक किया जाएगा।

किसानी पानी और जवानी से जुडे़ तीनों विषयों की चेतना जगाने में विश्वास रखने वाले भारत के सभी संगठनों को एक साथ लाकर संघर्षरत होने हेतु चेतना-निर्माण-संगठन संघर्ष, सत्याग्रह, अहिंसक रास्ते पर चलकर करना है। यही भारत को स्वावलम्बन और स्वराज्य का रास्ता बनाता है। इसी हेतु 02 अक्टूबर को देशभर की सभी राजधानियों से स्वराज्य यात्रा आरम्भ करके सभी सांस्कृतिक व सामाजिक तीर्थो पर चेतना जगाते हुए 26 नवम्बर 2021 को पूरे भारत के सभी यात्रा दलों को दिल्ली पहुंचना तय हुआ है।

राजेंद्र सिंह ने बताया कि किसानी-जवानी-पानी चेतना हेतु भारत स्वराज्य यात्रा की तैयारी आरम्भ हुई है। राज्यवार समन्वयक तय किये जा रहे हैं। पानी, जवानी, किसानी का संकट पूंजीवाद है। पूंजीवाद भारत को बेपानी बना रहा है। नदियां प्रदूषण, अतिक्रमण व जल शोषण द्वारा सूख कर मर रही है। पूंजीवाद में प्राकृतिक शोषण की तकनीक इंजीनियरिंग ही सिखाई जाती है। भारतीय प्रौद्योगिकी और अभियांत्रिकी में प्राकृतिक आस्था से प्राकृतिक पोषण का व्यवहार और संस्कार मिटाकर दोहन के स्थान पर शोषण सिखा दिया है।

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